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Artificial Rain in IIT Kanpur: अब नहीं रहेगा सूखा, आईआईटी कानपुर ने सफलतापूर्वक कराई कृत्रिम बारिश
Artificial Rain in IIT Kanpur: उत्तर प्रदेश को प्रदूषण से बचाने के लिए आईआईटी कानपुर ने कानपुर और उसके आस-पास के छेत्र में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशल रेन) को सफलतापूर्वक कराया।
Artificial Rain, IIT Kanpur: उत्तर प्रदेश को प्रदूषण से बचाने के लिए आईआईटी कानपुर ने कानपुर और उसके आस-पास के छेत्र में क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश (आर्टिफिशल रेन) को सफलतापूर्वक कराया। यह सफाकलता वैज्ञानिकों को कई वर्षो के कठिन प्रयासों के बाद हासिल हुई है। बादलो के साथ पाउडर स्प्रे का छिड़काव कर आईआईटी कानपूर समेत आस-पास केव इलाको में कराई झमाझम बारिश।
कैसे हुई कृत्रिम बारिश
आईआईटी कानपुर द्वारा कृत्रिम बारिश कराने के लिए विश्वविद्यालय की हवाई पट्टी से 5000 फ़ीट की ऊंचाई तक सेना का एयरक्राफ्ट उड़ाया गया। इस विमान द्वारा ही केमिकल पाउडर स्प्रे का छिड़काव कर कृत्रिम बारिश सफलतापूर्वक हुई। कृत्रिम बारिश करवाने का प्रयोग वर्ष 2017 में सिविल एविएशन रेगुलेटर डीजीसीए की मंज़ूरी के पश्चात ही प्रारम्भ किया गया। इस सफल प्रयास को उत्तर प्रदेश के सूखा ग्रस्त इलाको में प्रयोग कर बारिश कराई जाएगी। कृत्रिम बारिश कराने के लिए पहले कृत्रिम बादल बनाये जायेगे उसके बाद स्प्रे छिड़ककर ब्याट्रिश करवाई जाएगी। इस कृत्रिम बारिश के सफल प्रयास से उत्तर प्रदेश के सभी सूखा ग्रस्त इलाको में लोगों को राहत मिलेगी और पानी की समस्यां से काफी हद तक निजाद मिलेगा।
चीन नरे भारत को कृत्रिम बारिश की तकनीक देने से किया इंकार
कृत्रिम बारिस्ध की तकनीक चीन द्वारा कई वर्षो पूर्व ही विकसित कर ली गयी थी लेकिन भारतीयों द्वारा पूछने पर चीन ने इस तकनीक के बारे में जानकारी देने से इंकार कर दिया। चीन के इंकार करने के बाद आईआईटी के छात्रों और प्रोफेसरों ने मिलकर कृत्रिम बारिश की तकनीक पर प्रयोग करने प्रारम्भ किये। सरकार द्वारा भी इस तकनीक की खोज को मंज़ूरी प्राप्त हुई। ६ वर्षो के प्रयास और मेहनत के बाद आईआईटी कानपुर को सफलता हासिल हुई।
कितनी सफल है क्लाउड सीडिंग तकनीक
यह वैज्ञानिक प्रयोग केवल गर्मी के मौसम में ही सफल होता है क्यूंकि सर्दी के समय बादलो में नमी की कमी के कारन कृत्रिम बारिश करना मुश्किल होता है। क्लाउड सीडिंग तकनीक बारिश होने के अनुमान को 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक बड़ा देता है। क्लाउड सीडिंग तकनीक को सफल बनाने में अधिक रुपये भी खर्च नहीं होते है। भारत देश के आलावा चीन, अमेरिका और अरब अमीरात जैसे देशों ने भी सफलतापूर्वक कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया है।