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Azam Khan VS Akhilesh Yadav: क्या है सचाई, क्या मुसलमानों का भरोसा खो रहे अखिलेश
Azam Khan VS Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी में दरी बिछाने से लेकर अन्य सभी काम मुसलमान करते हैं पर उनकी उपेक्षा करने में अखिलेश यादव पीछे नहीं हैं।
Azam Khan VS Akhilesh Yadav: कभी यूपी की राजनीति में सबसे बड़ी ताकतवर कही जाने वाली समाजवादी पार्टी के हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य मो आजम खां के जेल में होने को लेकर पार्टी के अंदर विद्रोह की चिंगारी सुलग रही है। पार्टी में नेताओं के इस्तीफोे का सिलसिला लगातार बढता ही जा रहा है। इसे सीधे अर्थो में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ उपजा विद्रोह कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
हाल ही में सपा लोहिया वाहिनी के नवीन शर्मा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उससे पहले कासिम राईन, युवजन सभा के नूरपुर ब्लॉक अध्यक्ष मोहम्मद हमजा शेख और दर्जा प्राप्त पूर्व राज्यमंत्री इरशाद खान भी सपा से इस्तीफा दे चुके हैं। इस हफ्ते कुछ और नेता समाजवादी पार्टी से किनारा करने की तैयारी में है। विशेष बात यह है कि अब तक जिन नेताओं ने पार्टी से किनारा किया है उन सभी ने अपनी नाराजगी की वजह पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को ही माना है।
इसकी शुरुआत रामपुर से हुई जहां पूर्व मंत्री आजम खां के समर्थन में उनके मीडिया प्रभारी ने अखिलेश यादव के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए जब कहा कि अखिलेश यादव एक बार भी आजम खां से मिलने जेल नहीं पहुंचे और न ही उन्होंने मुस्लिम समाज के आगे बढकर कोई काम किया है। वह अपने बयान में अखिलेश यादव पर मुसलमानों की अंदेखी करने का सीधा आरोप लगाते हुए कह चुके हैं कि पार्टी में दरी बिछाने से लेकर अन्य सभी काम मुसलमान करते हैं पर उनकी उपेक्षा करने में अखिलेश यादव पीछे नहीं हैं।
वह भाजपा का पक्ष लेते हुए यह भी कह चुके हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सही कहा था कि अखिलेश नहीं चाहते कि आजम खान जेल से बाहर हों। फसाहत के अनुसार, आज़म खान इस बात से नाराज हैं कि अखिलेश उन्हें सीतापुर जेल में मिलने नहीं गए। वह बस एक बार एक उनसे मिलने गए जबकि आजम खां फरवरी 2020 से जेल में बंद हैं।
यहां यह भी बता दें कि आजम खान ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा और सीतापुर जेल में पिछले एक साल से अधिक समय से बंद हैं। आजम खां पश्चिमी यूपी में काफी लोकप्रिय है और यह चुनाव भी उन्होंने सलाखों के पीछे से 10वीं बार रामपुर जीता है। उधर अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिषील पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी के भी भाजपा में जाने की लगातार खबरें राजनीतिक क्षेत्र में उठ रही हैं।