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मासूमों की जान से खिलवाड़, जानवरों से बदतर हाल में घर से स्कूल बस वैन में जा रहे बच्चे
गंभीर बात ये है कि लंबे समय से स्कूल वाहनों के फिटनेस की जांच भी नहीं हुई है और न ही इनमें क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने को लेकर कोई कार्रवाई हुई है
बागपत में स्कूल संचालकों में जरा भी डर नहीं है। स्कूल संचालक कमाई के चक्कर में हजारों नौनिहालों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। आपको बता दें कि आठ सीटों वाले टैंपों पर 20 बच्चे तो 10 सीट वाली वैन में 26 बच्चों को ठूंसकर ले जाया जा रहा है। रोजाना शहर की सड़कों पर इस तरह की लापरवाही का नजारा आम बात है।
नौनिहालों के घर से स्कूल तक के इस असुरक्षित सफर को लेकर न तो परिवहन विभाग को कोई चिंता है और न ही स्कूल प्रबंधन ही इसकी जिम्मेदारी लेता है। चिंतित हैं तो सिर्फ वे अभिभावक जिनके लाडले रोजाना जानलेवा सफर पर घर से स्कूल के लिए निकलते हैं।
गंभीर बात ये है कि लंबे समय से स्कूल वाहनों के फिटनेस की जांच भी नहीं हुई है और न ही इनमें क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने को लेकर कोई कार्रवाई हुई है। लिहाजा स्कूल वाहनों के संचालकों के हौसले बुलंद हैं। बे-रोकटोक स्कूल वाहनों के लिए तय मानकों की अनदेखी की जा रही है।
सभी छोटे-बड़े स्कूलों में स्कूल वाहनों के लिए तय मानकों की अनदेखी की जा रही है। जानवरों की तरह बच्चों को वाहनों में ठूंसकर ले जाया जा रहा है। कहीं बच्चे टेम्पो में लटके हैं तो कहीं ड्राइवर की सीट पर चार-चार छात्र बैठकर सफर कर रहे हैं।