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Business On Diwali 2023: दीपावली यानी अब दुनिया में बिग बिजनेस, वीडियो में देखें ये ख़ास रिपोर्ट

Business On Diwali 2023: धूम धड़ाका, रोशनी दीपावली ख़ुशियों का त्योहार है। लेकिन दीपावली अब केवल ख़ुशियों का त्योहार बन कर नही रह गया है। बल्कि बिग बाज़ार हो गया है।

Yogesh Mishra
Published on: 12 Nov 2023 10:00 AM IST (Updated on: 12 Nov 2023 10:00 AM IST)
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Business On Diwali 2023: धूम धड़ाका, रोशनी दीपावली ख़ुशियों का त्योहार है। लेकिन दीपावली अब केवल ख़ुशियों का त्योहार बन कर नही रह गया है। बल्कि बिग बाज़ार हो गया है। भारत ही नहीं, दुनिया के किसी भी देश में जहां भारतवासी रह रहे हों, वहाँ दीपावली एक बहुत बड़े बाज़ार के रूप में उभरी है। वहाँ भारतवंशीय दीपावली पर बड़ी ख़रीददारी करते हैं। हद तो यह है कि साल भर महंगाई का रोना रोते रहे भारतवंशीय या भारत के लोग जहां भी हैं, वहाँ भी महंगाई की इस दिक़्क़त से छुट्टी पाये दिखते हैं। और दोनों हाथ से ख़रीददारी करते हैं। दुनिया भर में दीपावली एक ऐसे पर्व के रूप में उभर रहा है, जो पर्व, उत्सव, धूम धड़ाका, इन सब के साथ साथ बिग बाज़ार का भी त्योहार बन गया है।

दीपावली की धूम, बाजारों में रौनक

सीधी सी बात है - महंगाई अपनी जगह । त्यौहार अपनी जगह। अमेरिका, यूएई, ब्रिटेन हर जगह दीपावली की धूम है। बाजारों में रौनक है। सरकारों की तरफ से व्यापक इंतजाम किये गए हैं। भारत में दिवाली कंज्यूमर बिजनेस के लिए कमाई का सबसे बड़ा अवसर होती हैं। कंज्यूमर प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने यह अनुमान लगाया है कि इस साल की दिवाली पर पिछले समय की तुलना में सत्तर फ़ीसदी ज़्यादा ख़रीददारी होगी। यानी सत्तर फ़ीसदी ज़्यादा पैसे खर्च किये जायेंगें। ये पैसे कपड़ों पर, आभूषण पर , नई गाड़ियों पर और मौज मस्ती पर खर्च किये जाने का अंदाज लगाया गया है।

अमेरिका में कोई 60 लाख भारतवंशी हैं।अमेरिका के रिटेलर्स को उम्मीद है कि इस बार वहां भी जम कर बिक्री होगी। दरअसल, 2020 की अमेरिकी जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 44 लाख की भारतीय-अमेरिकी आबादी 2010 और 2020 के बीच 50 फीसदी से अधिक बढ़ गई है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, अमेरिका की भारतीय-अमेरिकी आबादी के बीच औसत घरेलू आय जो 2019 में 119,000 डालर प्रति वर्ष थी । वह व्यापक अमेरिकी आबादी की औसत आय से काफी अधिक है। यानी भारतवंशीय, जो अमेरिका में रह रहे हैं, उनकी आमदनी और उनके पास जो संपत्ति है, वह मूल अमेरिकी लोगों की संपत्ति व आमदनी से ज़्यादा है।

जुलाई में किए गए पिंटरेस्ट-जीडब्लूआई की रिसर्च से पता चला है कि "दिवाली उत्सव" शब्द की खोज में साल दर साल 60 फीसदी की वृद्धि हुई है। मतलब साफ़ है कि ऑनलाइन सर्च में दीपावली शब्द अब काफी प्रचलित हो चला है। अमेरिकी व्यापारी इसीलिए व्यावसायिक संभावनाओं के मद्देनज़र इस त्योहार को ज़्यादा अपना रहे हैं।

अमेरिका में दिवाली

अमेरिका में दिवाली का महत्व बढ़ ही रहा है। 2022 में, राष्ट्रपति जो बिडेन ने व्हाइट हाउस में दिवाली को अब तक के सबसे बड़े उत्सव के साथ मनाया। यह मान्यता राज्य और शहर स्तर पर भी दिखाई दी है। पेंसिल्वेनिया राज्य सीनेट ने इस साल अप्रैल की शुरुआत में दिवाली को आधिकारिक अवकाश राज्य बनाने वाला एक विधेयक पारित किया। न्यूयॉर्क शहर के मेयर एरिक एडम्स ने जून में घोषणा की कि दिवाली पर स्कूलों की छुट्टी होगी।

दुबई और यूएई में भी बहुत ढेर सारे भारतवंशीय रहते हैं। शायद यही वजह है कि दिवाली के अवसर पर वहाँ भी कंज्यूमर्स आइटम्स में बहुत ढेर सारे ऑफ़र दिये जाते हैं। इस साल प्रॉपर्टी खरीद पर छूट, लकी ड्रा में कारें और गोल्ड बिस्किट जैसे इनाम घोषित किये गए हैं। मॉल आदि में दिवाली फेस्टिवल बाज़ार सजे हुए हैं। संयुक्त अरब अमीरात में ज्वैलर्स के लिए दिवाली एक बड़ा उत्साह है। भीम ग्रुप के चेयरमैन डॉ. बी गोविंदन कहते हैं - त्योहारों के मौसम में सोना खरीदने के लिए लोग अक्सर पूरे साल बचत करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस दिवाली में बिक्री में तेजी आएगी और ख़रीद की गतिविधियाँ बढ़ेंगी। वह मानते हैं कि दीवाली एक शुभ दिन है। उन्हें इस बात का भरोसा है कि संयुक्त अरब अमीरात के लोग दीवाली पर सोने में निवेश ज़रूर करेंगे।

भारत के किसी भी छोटे और बड़े शहर के छोटे या बड़े बाज़ार से गुजरें तो बाज़ार ठसाठस भरा हुआ मिलेगा। आपको हर आइटम पर कोई कोई छूट मिलेगी। दुकानदार अपनी साल की सबसे अधिक बिक्री के आँकड़े बताता मिलेगा। इस लिहाज़ से यह तो मानना ही पड़ेगा कि ख़रीद के लिए , कंज्यूमर आइटम के लिए , किसी भी नये सामान की ज़रूरत को पूरा करने के लिए दीवाली एक अवसर है। और इस अवसर को अब मार्केट ने भी कब्जियाना शुरू कर दिया है। देखना है जिस तरह बाज़ार ने मदर्स डे,फादर्स डे, वेलेण्टाइन डे सरीखे तमाम तरह के दिनों को उत्सव में तब्दील कर दिया, उस तरह क्या बाज़ार हमारी दीपावली की रंगत को बढ़ाता है, या फिर सिर्फ़ इसे बाज़ार बना कर के छोड़ देता है।

Shashi kant gautam

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