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How to Start Mineral Water Plant: बोतल बंद पानी कैसे होता है तैयार, यहां देखें फैक्ट्रियों में कैसे बन रहा मिनरल वाटर

How to Start Mineral Water Plant: बोतलबंद पानी के निर्माण का सबसे पहला चरण होता है, बोलतों को तैयार करना। पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर संयंत्रों में सबसे पहले प्लास्टिक के कैप्सूल को बोतल के ढांचे में परिवर्तित किया जाता है। कैप्सूल को मशीन में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। फिर उसे एक अन्य मशीन में डाला जाता है, जहां नीचे से हवा कैप्सूल के अंदर छोड़ी जाती है।

Krishna Chaudhary
Published on: 25 March 2023 4:57 PM GMT (Updated on: 26 March 2023 1:52 AM GMT)

How to Start Mineral Water Plant: लखनऊ. ‘जल ही जीवन है’ इससे भला कौन नहीं वाकिफ है। ये कितना कीमती है इससे जल संकटग्रस्त क्षेत्रों और शहरों में रहने वाले लोग भली-भांति परिचित हैं। जिस वर्ष मानसून दगा दे जाती है तो देश के एक बड़े हिस्से के सामने पेयजल तक का संकट खड़ा हो जाता है। कृषि और उद्योग ठप होने के कगार पर पहुंच जाते हैं। साफ और स्वच्छ पेयजल तक पहुंच धीरे-धीरे चुनौतीपूर्ण होते जा रहा है।

यही वजह है कि बाजार में दिनों-दिन मिनरल वॉटर और पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर बोतल का कोरोबार फैलता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में देश में पांच हजार कंपनियां के करीब कंपनियां इस बिजनेस में उतरी हुई हैं। अलग-अलग पानी के ब्रांड्स की कीमत अलग-अलग होती है। हालांकि, सामान्य और प्रचलित अधिकतर बोतल ब्रांड्स की कीमत 20 रूपये प्रति लीटर है। ये नल के पानी से लगभग 10 हजार गुना अधिक महंगा होता है।

बोतल बंद पानी का ये है गणित

प्लास्टिक की बोतल कीमत (थोक में) – 80 पैसे
पानी की कीमत (1लीटर) – 1.2 रूपये
पानी की विभन्न प्रक्रियाओं से गुजारने की लागत – 3.40 रूपये/बोतल
अतिरिक्त व्यय – 1 रूपये

कुल लागत 6 रूपये 40 पैसे
इस हिसाब से देखें तो एक लीटर पानी की बोतल के पीछे का खर्च लगभग 7 रूपये बैठता है। लेकिन बाजार पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमत 20 रूपये हो जाती है। तो आइए एक नजर बोतल बंद पानी को कैसे तैयार किया जाता है, उसपर एक नजर डालते हैं –

बोतल की कैप्सूल

बोतलबंद पानी के निर्माण का सबसे पहला चरण होता है, बोलतों को तैयार करना।

पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर संयंत्रों में सबसे पहले प्लास्टिक के कैप्सूल को बोतल के ढांचे में परिवर्तित किया जाता है। कैप्सूल को मशीन में उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। फिर उसे एक अन्य मशीन में डाला जाता है, जहां नीचे से हवा कैप्सूल के अंदर छोड़ी जाती है। प्लास्टिक की ये कैप्सूल इसके बाद एक बोतल में कन्वर्ट हो जाती है। बोतल के आकार लेने के बाद इसे धुलाई के लिए भेजा जाता है।

बोतल में पानी भरने की प्रक्रिया

बोतल की अच्छी तरह से सफाई और धुलाई के बाद इसमें पानी भरा जाता है। इसके लिए एक खास तरीके के मशीन का प्रयोग होता है। संयंत्र में पानी के बड़े – बड़े टैंक होते हैं। फिर इस पानी में मिनरल मिलाकर इसे बढ़िया तरीके से तैयार किया जाता है और फिर बोतलों में डाला जाता है। बोतल में पानी भरने के बाद अब बारी आती है ढक्कन लगाने की। बोतलो की तरह ढक्कन को भी सबसे पहले बेहतर तरीके से धोया जाता है। इसे हाथ से नहीं बल्कि मशीन के जरिए धोया जाता है। एक-एक ढक्कन को बारीकी से साफ किया जाता है। ढक्कनों के धुलने के बाद इसे बोतलों में लगाने के लिए भेज दिया जाता है। मशीन के जरिए ही बोतलों में ढक्कन लगाया जाता है और उन्हें सील किया जाता है।

ढक्कन सही तरीके से बोतल में लगे हैं या नहीं वर्कर इसकी जांच करते हैं। कन्वेयर बेल्ट पर बैठे वर्कर सुनिश्चित करते हैं कि एक भी बोतल का सील लूज न हो क्योंकि ऐसे बोतलों को उपभोक्ता लेने से मना कर देते हैं। इसी कन्वेयर बेल्ट पर अगली प्रक्रिया होती है बोतलों में सील लगाने की। सभी बोलतों में लेबल लगने के बाद ये बिकने के लिए तैयार हो जाते हैं। फिर इन सभी बोलतों को कॉटूर्न में पैक किया जाता है। पैक करने के बाद कॉटूर्न को सील कर मार्केट में भेज दिया जाता है। इस पूरी प्रकिया का आप वीडियो भी देख सकते हैं, जिसका लिंक नीचे दिया गया है।

Krishna Chaudhary

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