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150 साल से अब तक जारी है भारत का सबसे पुराना मुकदमा Y-Factor Yogesh Mishra
Oldest Temple Case यह मामला कोलकाता के विश्व प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर मंदिर के संचालन के लिए रानी रश्मोनी या रासमणि के अर्पण-नामा (कर्मों का समर्पण) से संबंधित मूल याचिका का है।
Oldest Temple Case लंबे समय समय तक चलने वाले मुक़दमे और अदालतों पर मुकदमे के बोझ की बात आप सब ने ज़रूर सुनी होगी। आज हम बात करते हैं एक ऐसे मुकदमे की जो बीते पचास सालों से भारत की अदालत में चल रहा है। यह मुक़दमा एक मंदिर का है। जिस मंदिर का सह मुक़दमा है, उस मंदिर से स्वामी रामकृष्ण का सीधा रिश्ता बताया जाता है। अब आप सोच सकते हैं कि किस तरह न्यायपालिका मुक़दमों को निपटाती है और मुक़दमों के बारे में न्यायपालिका का क्या नज़रिया होता है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय में पिछले 150 वर्षों से यह कानूनी लड़ाई चल रही है।
इसे देश में सबसे लंबे समय तक सुना जाने वाला कानूनी मामला कहा जाता है। इस मुकदमे की शुरुआत 1872 में हुई थी । जब ब्रिटिश औपनिवेशिक कानून सर्वोच्च शासन कर रहा था। यह मामला कोलकाता के विश्व प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर मंदिर के संचालन के लिए रानी रश्मोनी या रासमणि के अर्पण-नामा (कर्मों का समर्पण) से संबंधित मूल याचिका का है। अब इसे फिर जस्टिस शेखर बी सराफ के कोर्ट में मेंशन किया गया है। लंबे समय समय तक चलने वाले मुक़दमे और अदालतों पर मुकदमे के बोझ की बात आप सब ने ज़रूर सुनी होगी। आज हम बात करते हैं एक ऐसे मुकदमे की जो बीते पचास सालों से भारत की अदालत में चल रहा है। यह मुक़दमा एक मंदिर का है। जिस मंदिर का सह मुक़दमा है, उस मंदिर से स्वामी रामकृष्ण का सीधा रिश्ता बताया जाता है। अब आप सोच सकते हैं कि किस तरह न्यायपालिका मुक़दमों को निपटाती है और मुक़दमों के बारे में न्यायपालिका का क्या नज़रिया होता है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय में पिछले 150 वर्षों से यह कानूनी लड़ाई चल रही है।
इसे देश में सबसे लंबे समय तक सुना जाने वाला कानूनी मामला कहा जाता है। इस मुकदमे की शुरुआत 1872 में हुई थी । जब ब्रिटिश औपनिवेशिक कानून सर्वोच्च शासन कर रहा था। यह मामला कोलकाता के विश्व प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर मंदिर के संचालन के लिए रानी रश्मोनी या रासमणि के अर्पण-नामा (कर्मों का समर्पण) से संबंधित मूल याचिका का है। अब इसे फिर जस्टिस शेखर बी सराफ के कोर्ट में मेंशन किया गया है।