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Video: गाँधी और पटेल–राष्ट्र के लिए पूरी तरह समर्पित

Video: सरदार पटेल गांधी जी से छह साल जूनियर थे। और नेहरू से चौदह साल सीनियर। असंख्य चुनौतियों पर काबू पाने और कई मतभेदों को पार करते हुए, इन लोगों ने एक साथ स्वतंत्रता की लड़ाई में शक्तिशाली गठबंधन बनाया। 1936 और 1946 में गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल पर नेहरू को प्राथमिकता दी थी।

Yogesh Mishra
Published on: 23 May 2023 10:08 AM GMT

Mahatma Gandhi and Sardar Patel Unknown Facts: भारत के स्वतंत्रता इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश करने वालों के लिए यह सबक़ है। जो लोग यह बताना चाहते हैं जो भी उनके प्रिय लोग देश की आज़ादी में काम किये। वही सर्वोपरि थे। बाक़ी सबका कोई मूल्य नहीं है। उनके लिए भी सबक़ है। सबक़ उनके लिए भी जो कि आज़ादी के पचहत्तर साल बाद एक दूसरी पर्सनालिटी को एक दूसरे से लड़ाते हुए मज़ा ले रहे हैं। कुछ पढ़ने को तैयार नहीं हैं। कुछ जानने को तैयार नहीं हैं। शायद ऐसे लोगों ने पिछले पाँच दस सालों में एक किताब भी नहीं पढ़ी होंगी।

इतिहास तो छोड़ ही दीजिए। उनके लिए भी सबक़। सबक यह है कि सरदार पटेल और महात्मा गाँधी को बीच कोई वैमनस्य नहीं था। कोई विद्वेष नहीं था। शायद पटेल जी इकलौते ऐसे लोगों में थे, जिनकी कोई बात महा गांधी नहीं टालते थे। शायद महात्मा गांधी ऐसे लोगों में थे, जिनकी किसी भी बात का अनादर पटेल जी नहीं कर सकते थे।सोचिये जहां रिश्ते इतने मधुर हों, उन रिश्तों को हम लोग गड़े मुर्दे की तरह उखाड़ कर के पोस्टमार्टम कर रहे हैं। हम आप को कई ऐसे उदाहरण बताना चाहते हैं ताकि आप और हम पोस्टमार्टम की इस प्रक्रिया को बंद कर दें। क्योंकि जब आप किसी अपने मनचाहे व्यक्तित्व से किसी अनचाहे व्यक्तित्व को लड़ाते हैं। तो नुक़सान दोनों का होता है।

सरदार पटेल गांधी जी से छह साल जूनियर थे। और नेहरू से चौदह साल सीनियर। असंख्य चुनौतियों पर काबू पाने और कई मतभेदों को पार करते हुए, इन लोगों ने एक साथ स्वतंत्रता की लड़ाई में शक्तिशाली गठबंधन बनाया। 1936 और 1946 में गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल पर नेहरू को प्राथमिकता दी थी।

महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बीच स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आजादी के बाद के कई मुद्दों पर मतभेद थे। इनमें अहिंसा, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध और विभाजन के दौरान ब्रिटेन का समर्थन करना शामिल था। मन के बंटवारे के बावजूद सरदार ने भारत के लिए स्वतंत्रता लाने के अपने लक्ष्य की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता और क्षमता के कारण ही गांधी का अनुसरण किया। गांधी और पटेल ने अपने मतभेदों को सर्वसम्मति से संतुलित किया था।

महात्मा गांधी के कहने पर वल्लभ भाई पटेल ने 1928 में बारदोली किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। तभी पहली बार गांधीजी उनके संगठन शक्ति से प्रभावित हुए। और आप को जानकर यह आश्चर्य होगा कि वल्लभ भाई पटेल के नाम के आगे सरदार जो एक विशेषण लगता है, इस विशेषण को सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने लगाया था। और यह ख़िताब हमेशा के लिए उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से जुड़ ही गया।

गांधी जी और पटेल में उम्र का अंतर महज 8 साल का था, लिहाजा गांधीजी पटेल से बेतकल्लुफ थे। जो बात कहने की जुर्रत किसी की न होती, वो पटेल धड़ल्ले से कह देते। कई राष्ट्रीय मसलों पर दोनों के विचारों में हमेशा जबरदस्त विरोधाभास तक रहा।
महात्मा गांधी से आत्मीयता के बावजूद उनके प्रति पटेल की दोटूक बयानगी हमेशा रही। आज़ादी के बाद जब वह देश के पहले गृहमंत्री बने, तब उनका बयान इसको तस्दीक करता है। पटेल ने कहा था - मुझे राज चलाना है, बंदूक रखनी है, तोप रखनी है, आर्मी रखनी है। गांधीजी कहते हैं कि कुछ न करो, तो मैं वह कर नहीं सकता, क्योंकि मैं 30 करोड़ का ट्रस्टी हो गया हूं। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सबकी रक्षा करूं। देश पर हमला होता है, तो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता हूँ। गांधी जी का रास्ता अच्छा है। लेकिन उस रास्ते तक मैं नहीं जा पाता हूँ।

सरदार पटेल के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था - सरदार के साथ जेल में बिताए गए दिन मेरे जीवन के सर्वाधिक आनंददायी क्षणों में से हैं। मेरे प्रति उनका वात्सल्य और परवाह मुझे मेरी मां की याद दिलाता था। मैंने कभी कल्पना तक नहीं की थी कि सरदार पटेल में दुर्लभ मातृत्व गुण भी है।
अब आप समझ सकते हैं कि पटेल और गांधी को आमने सामने खड़ा करके आप जो खेल खेलना चाहते हैं। वह खेल निरर्थक है। उस खेल में सिर्फ़ फ़ाउल, फ़ाउल, फ़ाउल आप खेल रहे हैं। इसे बंद कर दीजिए । सारे व्यक्तित्वों को उनके उन दिनों के रिश्तों के अक्श में देखिये ।

Yogesh Mishra

Yogesh Mishra

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