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Neelakurinji (नील कुरिंजी) से सोलो तक संजीवनी दे गए Modi, देखें Y-Factor...

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 16 Aug 2019 10:08 AM GMT (Updated on: 10 Aug 2021 9:21 AM GMT)
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लाल किले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के नील कुरिंजी फूल का जिक्र करके इस फूल को सुर्खियों में ला दिया था। यह फूल 12 साल में एक बार खिलता है। अगस्त से अक्टूबर के बीच खिलने वाले इस फूल के रंग के नाते ही नीलगिरी पहाड़ी का नाम पड़ा है। समुद्र तल से 16 सौ मीटर पर्वत श्रृंखला पर खिलने वाले इस फूल की वजह से ही केरल के मुन्नार में कुंडल, नल्लथन्नी और मुथिरपुझा की पर्वत श्रृंखलाएं आपस में मिल जाती हैं। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोलो नाम की एक वनस्पति का जिक्र किया। जिसे संजीवनी कहते हैं। 'सोलो' नाम का यह पौधा मूल रूप से लद्दाख के ठंडे और ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है। सोलो का वैज्ञानिक नाम रहोडियोला है। काफी समय तक स्थानीय लोग इसके व्‍यापक औषधीय गुणों से अनजान थे। यह पौधा अत्‍यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में सांस लेने में परेशानी होने की समस्‍या से निजात दिलाता है। आयुर्वेद के जानकारों का दावा है कि इस पौधे की मदद से शरीर को पर्वतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढालने में भी मदद मिलती है।

कम ऑक्‍सीजन के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात भारतीय सेना के जवान भी इसका इस्तेमाल अपनी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए करते हैं। यह बढ़ती उम्र को रोकने में सहायक है। ऑक्सीजन की कमी के दौरान न्यूरॉन्स की रक्षा करता है। लेह स्थित डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एलटीट्यूड रिसर्च (डिहार) इस पौधे के औषधीय गुणों के बारे में शोध कर रहा है। डिहार का दावा है कि यह औषधि सियाचिन जैसी प्रतिकूल जगहों पर रह रहे भारतीय सेना के जवानों के लिए चमत्कार साबित हो सकती है। डिहार के निदेशक डॉ. ओम प्रकाश चैरसिया की मानें तो रहोडियोला रोगप्रतिरोधक प्रणाली को बेहतर रखने, ऊंची जगहों पर प्रतिकूल परिस्थितियों के अनुरूप शरीर को ढालने में मदद करने और रेडियोएक्टिव पदार्थों के प्रभाव से बचाने में लाजवाब है। अवसाद को कम करने और भूख बढ़ाने में कारगर है। सियाचिन जैसी जगहों पर दूर-दूर तक जहां बर्फ की चादर बिछी होती है, जिससे जवानों में अवसाद का खतरा रहता है। प्रतिकूल परिस्थितियों से उनकी भूख पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इस पौधे में सिकोंडरी, मेटाबोलाइट्स और फायटोएक्टिव तत्व पाये जाते हैं जो विशिष्ट हैं।

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