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Video: कभी देखा है आपने ठेले पर दफ्तर, प्रयागराज में मुश्किलो से लड़ कर के शिवम ने शुरू किया चलता-फिरता इंटरनेट कैफे

Prayagraj Video: मजबूरी इंसान को कुछ वक्त के लिए निराश कर सकती हैं लेकिन उसे तोड़ नहीं सकती शर्त बस इतनी है, कि हौंसले आपके कमाल के होने चाहिए, फिर बाधा हो या बाघ आपके रास्ते में अड़ नही सकता।

Syed Raza
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Published on: 13 Sept 2022 6:58 PM IST
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Prayagraj Shivam Gupta Video: मजबूरी इंसान को कुछ वक्त के लिए निराश कर सकती हैं लेकिन उसे तोड़ नहीं सकती शर्त बस इतनी है, कि हौंसले आपके कमाल के होने चाहिए, फिर बाधा हो या बाघ आपके रास्ते में अड़ सकता और इस कहावत को सच कर दिखाया है। प्रयागराज के शिवम गुप्ता ने जब वक्त के हाथों वो मजबूर हो चले हाथ से नौकरी चली गई। पिता का सांया सिर से उठ गया घर में मां बहन की जिम्मेदारी ने रातों की नींद उड़ा दी, लेकिन हौंसला नहीं छूटा। आज वही शिवम यादव हैं, जिन्होने दुकान न होने के बावजूद साइबर कैफे खोल दिया और इस आइडिया को देखने वाला हर शख्स पहली बार में हैरान हो जाता हैं।

छत पर तिरपाल, दो कुर्सी, सिस्टम, इंटवर्टर और एक ठेला, कभी देखा है, आपने साइबर कैफे ऑन ठेला जी हां प्रयागराज के ये वही शिवम हैं, जिन्होने वक्त की तमाम मजबूरियां झेलीं, पिता का सांया जीवन से उठ गया, घर में मां और बहनों की जिम्मेदारी थी, गुरुग्राम में नौकरी कर कर रहे थे, तो मां की तबीयत खराब हो गई, लिहाजा मां नौकरी से ज्यादा जरूरी थीं, तो नौकरी को छोड़ तुरंत प्रयागराज वापस चले गए और फिर शुरू हुआ मेहनत का सफर चाय की दुकान खोली उससे घर के खर्चे तो चले लेकिन सभी जरूरतें पूरी न हो सकीं।


गुरुग्राम में आलोमाबाइल प्लांट पर नौकरी करने वाले प्रयागराज के शिवम गुप्ता ने बेरोजगार होने के बाद एक प्रयोग शुरू किया जो आज कल चर्चाओं में हैं। शिवम ने कैफे आन व्हील्स तैयार किया और इसको आरटीओ के पास शुरू किया। चलते-फिरते कैफे में कंप्यूटर, प्रिंटर लगाया और इसकी मदद से वे आरटीओ कार्यालय आने वाले लोगों के फार्म भरवाने, दस्जावेज प्रिंट कराने और प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक उम्मीदवारों को फार्म भरने में मदद करते हैं। इस कैफ आन व्हील्स पर वे ट्रेन टिकट बुकिंग और मनी ट्रांसफर की भी सुविधा देते हैं। कंप्यूटर या सूचना प्रौद्योगिकी में कोई डिग्री नहीं होने के बाद भी शिवम गुप्ता ने प्रयोग के तौर पर एक ठेले पर अपना कैफे तैयार किया।


23 साल का यह नौजवान तीन साल पहले गुरुग्राम के मानेसर स्थित एक इंटरनेट कैफे में नौकरी करता था पर वहां से नौकरी छूटने के बाद शिवम ने एक चाय के ठेले की शुरुआत की.. लेकिन जरूरते पूरी न होने पर इस कैफे का प्रयोग शुरू किया। आरटीओ कार्यालय पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने या अन्य कार्यों के लिए आने वाले लोगों को उनका इंटरनेट कैफे काफी से काफी सुविधा मिलती है। और यहां आने वाले लोगों को काफी मदद भी मिल रही है, यहीं नहीं जब कोई यहां पहली बार आता है तो ये नजारा देखकर चौक जाता है.. और मन ही मन सोचता है मेहनत इसे ही कहते हैं


गुरुग्राम में अपनी नौकरी गंवाने के बाद आर्थिक परेशानियों से घिरे शिवम ने एक मोबाइल इंटरनेट केंद्र खोलने का फैसला किया। 50 हजार रुपये की व्यवस्था कर एक ठेला, इन्वर्टर, लैपटाप, प्रिंटर सहित कई उपकरण खरीदा। अब आरटीओ कार्यालय आने वाले लोगों को तमाम सुविधा देने के साथ ही आनलाइन ट्रेन टिकट बुक करने और मनी ट्रांसफर भी करते हैं। इससे हर महीने 30 से 35 हजार रुपये कमाते और दूसरे युवाओं को भी रोजगार दे रहे हैं।

Prashant Dixit

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