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Video: वो लड़का जिसने 50 साल बाद तक झेले लगातार जागने के दुष्परिणाम, वीडियो में देखें ये खास रिपोर्ट

Video: जीव जंतु भी रात को सोते हैं, नींद लेते हैं। पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने गिनीज़ बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के लिए कई कई दिनों तक झपकी भी ली

Yogesh Mishra
Published on: 25 April 2023 7:17 PM GMT (Updated on: 25 April 2023 7:18 PM GMT)

Randy Gardner Known About US: वैसे तो नये नये कारनामे करके खुद को सामने लाना और दुनिया भर में पसरी हुई रिकार्ड बुक्स में अपना नाम दर्ज कराना आदमी का शग़ल हो गया है। जीव जंतु भी रात को सोते हैं, नींद लेते हैं। पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने गिनीज़ बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने के लिए कई कई दिनों तक झपकी भी ली। हालाँकि उन्होंने अपना नाम तो दर्ज करा लिया पर लंबे समय तक जगते रहने से उत्पन्न दुष्परिणाम उन्हें पचास साल तक झेलने पड़े। हद तो यह हुई कि गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने बिना सोये कोई रिकार्ड बनाने की प्रक्रिया को बंद कर दिया। यानी उसे अपनी बुक में दर्ज करने से मना कर दिया।
37 साल पहले गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने इस प्रकिया को किया था। क्योंकि उसका मानना था कि सोना एक स्वाभाविक क्रिया है। इससे दिमाग़ की ओवरहॉलिंग होती है।

1963 में अमेरिका में दो लड़कों - 17 वर्षीय रैंडी गार्डनर और उनके साथी ब्रूस मैकलेस्टर को एक साइंस फेयर प्रोजेक्ट के लिए एक आईडिया देना था। काफी सोचने विचारने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वे जागते रहने के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ेंगे। उस समय यह रिकॉर्ड होनोलूलू में एक डीजे के पास था जो 260 घंटे तक लगातार जगा रहा।

बहरहाल दोनों छात्रों का उनका उद्देश्य सरल था - वे यह पता लगाना चाहते थे कि आख़िर वे जगे रहते हैं तो उनका मस्तिष्क क्या प्रतिक्रिया करता है। उनका शरीर कैसी प्रतिक्रिया करता है। ब्रूस मैकलेस्टर के अनुसार, उन्होंने संज्ञानात्मक क्षमताओं तथा खेल में प्रदर्शन पर नींद की कमी के प्रभाव के अध्ययन का फैसला किया। गार्डनर ने यथासंभव लंबे समय तक जागते रहने का फैसला किया। मैकलेस्टर ने बताया - कि मैं उसकी निगरानी करने के लिए उसके साथ जागता रहा। तीन रात की नींद हराम होने के बाद मैंने पाया कि मैं दीवार के सहारे हूँ और दीवार पर ही नोट्स लिख रहा हूँ। इस घटना से इनको लगा कि यह प्रोजेक्ट इतना आसान नहीं है। सो इस जोड़ी ने एक अन्य साथी की मदद ली, और जल्द ही स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नींद शोधकर्ता विलियम डिमेंट इनके साथ आ गए।

प्रोजेक्ट शुरू तो ठीक से हुआ। लेकिन जब इन लड़कों की संज्ञानात्मक और संवेदी क्षमताओं की बात आई तो प्रयोग ने कुछ अप्रत्याशित परिणाम दिए। गार्डनर ने मनोदशा, एकाग्रता और स्मृति हानि के साथ-साथ दहशत और यहां तक ​​कि मतिभ्रम तक का अनुभव किया। अगर वह अपनी आँखें बंद करता तो तुरंत सो जाता। बाद में उसके दिमाग़ का स्कैन करने के बाद पाया गया कि गार्डनर हमेशा उनींदा उनींदा रहने लगा है। इसके दिमाग़ के कुछ हिस्से सोए हुए और कुछ हिस्से जागते रहते थे। कुल मिलाकर, गार्डनर 11 दिनों यानी 264 घंटे तक जागते रहने में सफल रहा। उसने रिकॉर्ड को तोड़ दिया और विज्ञान के प्रयोग को पूरा कर दिया।

प्रयोग खत्म होने पर 17 वर्षीय गार्डनर को नौसैनिक अस्पताल में ले जाया गया। जहां वह 14 घंटों तक सोता रहा। उसके बाद स्वाभाविक रूप से जाग गया। उसे कोई उनींदापन भी महसूस नहीं हुआ। उसने बताया कि वह नॉर्मल महसूस कर रहा है। शुरुआत में तो गार्डनर को कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। बाद में गार्डन ने असहनीय अनिद्रा झेली। और उसने बताया कि जो उस समय मैंने जाग कर प्रयोग किया था, उससे उबरने में मुझे पचास साल लग गये। दरअसल नींद की कमी कमजोर इम्यून सिस्टम और मूड स्विंग से लेकर वजन बढ़ने और उच्च रक्तचाप तक सभी प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है। इसके अलावा लम्बे समय तक जागते रहने का मानसिक स्थिति पर भयानक असर भी पड़ सकता है।

अंततः गार्डनर का भी रिकॉर्ड टूट गया। वर्तमान रिकॉर्ड रॉबर्ट मैकडॉनल्ड का है, जो 1986 में 453 घंटे 40 मिनट यानी 18 दिन 21 घंटे 40 मिनट तक जागते रहे। उसके बाद, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने 'नींद की कमी के खतरों' को भाँपते हुए इसे बंद ही कर दिया। पर भले ही गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज होना बंद हो गया हो। लेकिन लोगों ने अपने प्रयोग जारी रखे। इसी साल ब्रिटेन के टोनी राइट ने ग्यारह दिन जंग करके एक कीर्तिमान बनाया। उन्होंने कहा कि जगने के समय मुझे एक दैवीय फ़ीलिंग होती थी। पर इसी के साथ साथ उन्हें यह भी महसूस हुआ कि उनका शरीर शटडाउन हो रहा है। इस लिहाज़ से देखें तो दंग कर के कीर्तिमान मनाने की यह प्रकिया भले ही चल रही हो पर यह बहुत घातक है। इससे बचने की ज़रूरत है। अगर यह घातक नहीं होती तो गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में यह बंद नहीं किया जाता। यह चैप्टर ख़त्म नहीं किया जाता। इस तरह के ख़तरों से बचने की ज़रूरत है। ऐसे रिकार्ड्स बना कर नाम कमाना अच्छी बात नहीं कही जायेगी। क्योंकि इसके दुष्प्रभाव से उबरने में पचास साल लग जाते हैं।

Yogesh Mishra

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