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Today Trending Video: जब Lucknow में निर्दलीय प्रत्याशी ने रच दिया इतिहास, पंडित और मुल्ला में कंफ्यूज हो गए Voter

Lucknow Lok Sabha Seat Result: राजधानी लखनऊ की लोकसभा सीट पर 1952 के पहले चुनाव से लगातार कांग्रेस पार्टी जीत हासिल कर रही थी।

Yogesh Mishra
Published on: 6 Jun 2024 1:41 PM IST
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Lucknow Lok Sabha Seat Result: उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के कारण लखनऊ लोकसभा सीट पर हमेशा सबकी निगाहें लगी रहती हैं। इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लालजी टंडन जैसे दिग्गज कर चुके हैं। लखनऊ में अधिकांश मौकों पर कांग्रेस और भाजपा ने ही ताकत दिखाई मगर 1967 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर एक निर्दल प्रत्याशी ने जीत हासिल करके इतिहास रच दिया था।

यह पहला और आखिरी मौका था जब लखनऊ लोकसभा सीट पर किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस सीट पर जीत हासिल करने वाले पंडित आनंद नारायण मुल्ला की प्रसिद्धि न्यायविद और बेहतरीन शायर के रूप में थी। हाईकोर्ट के जज रह चुके पंडित आनंद नारायण मुल्ला के चुनाव मैदान में उतरने के बाद लखनऊ के मतदाता पंडित और मुल्ला में इस कदर कंफ्यूज हुए कि उन्होंने कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी वेद रत्न मोहन को चुनाव मैदान में हरा दिया था। लखनऊ के पुराने लोग आज भी उस चुनाव को याद किया करते हैं।

निर्दलीय प्रत्याशी ने सबको चौंकाया

राजधानी लखनऊ की लोकसभा सीट पर 1952 के पहले चुनाव से लगातार कांग्रेस पार्टी जीत हासिल कर रही थी। जब 1967 में चुनाव का ऐलान हुआ तो देश की अन्य लोकसभा सीटों की तरह लखनऊ सीट पर भी कांग्रेस को ही सबसे मजबूत माना जा रहा था। कांग्रेस ने उस चुनाव में लखनऊ सीट के लिए नामी बिजनेसमैन और शराब व्यवसायी वेद रत्न मोहन को अपना प्रत्याशी बनाया।

मोहन को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद लखनऊ सीट पर उनकी जीत तय मानी जा रही थी। 1967 के चुनाव में जनसंघ की ओर से आरसी शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा गया था।

कांग्रेस की ओर से जोरदार प्रचार शुरू किए जाने के बाद चुनावी अखाड़े में एक ऐसे शख्स की एंट्री हुई जिसने सबको चौंका दिया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज और मशहूर शायर पंडित आनंद नारायण मुल्ला ने अचानक चुनाव लड़ने का फैसला किया और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लखनऊ से नामांकन दाखिल कर दिया।

मुल्ला के उतरने से बदली सियासी तस्वीर

कांग्रेस प्रत्याशी वेद रत्न मोहन आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत थे और उन्होंने चुनाव प्रचार शुरू होने के साथ ही पैसा बहाना शुरू कर दिया था। लखनऊ के रणक्षेत्र में हर जगह उनका ही प्रचार दिख रहा था। दूसरी ओर रिटायर्ड जज और मशहूर शायर पंडित आनंद नारायण मुल्ला के पास न तो पैसे की ताकत थी और न चुनाव प्रचार करने के लिए कार्यकर्ताओं का हुजूम।

उन्होंने चुनाव लड़ने की अपनी जिद के कारण नामांकन दाखिल कर दिया था मगर हैरानी इस बात की थी कि उनके चुनाव मैदान में उतरने के कारण लखनऊ की सियासी तस्वीर बदल गई।

पंडित और मुल्ला में कंफ्यूज हो गए वोटर

पंडित आनंद नारायण मुल्ला को लेकर लखनऊ के वोटर पूरी तरह कंफ्यूज हो गए। अधिकांश मतदाता आखिर तक यह समझ ही नहीं सके कि वे ब्राह्मण हैं या मुसलमान। मतदाताओं के बीच आखिरी समय तक यह भ्रम बना रहा और इसी का नतीजा था कि हिंदुओं और मुसलमान दोनों ने मुल्ला के पक्ष में जमकर मतदान किया। उन्हें लखनऊ के हर गली-मोहल्ले में लोगों का समर्थन हासिल हुआ और पढ़े लिखे संभ्रांत लोगों ने भी उनके पक्ष में वोटिंग की।

मतदान के बाद जब काउंटिंग कराई गई तो लोग हैरान रह गए क्योंकि पंडित आनंद नारायण मुल्ला लखनऊ लोकसभा सीट पर 92,535 वोट पाने में कामयाब हुए थे। उन्होंने अपने विपक्षी कांग्रेस के उम्मीदवार वेद रत्न मोहन को 20,972 मतों से हराकर विजय हासिल की थी।



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