×

Y- Factor Yogesh Mishra: भारी जनादेश से पास एजेंडे पर हंगामा क्यों है तारी | Episode 64

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 16 Dec 2019 2:15 PM IST (Updated on: 9 Aug 2021 6:37 PM IST)
X

हंगामा है क्यों बरपा। यह सवाल मुल्क इन दिनों अपने नेताओं से पूछना चाह रहा है। जो कश्मीर से धारा 370 एवं 35-ए के प्रावधानों को हटाने, तीन तलाक को प्रतिबंधित करने और नागरिकता संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लगने पर शोर-शराबा मचा रहे हैं। सोनिया गांधी इसे संवैधानिक इतिहास का काला दिन बता रही हैं। मुस्लिम लीग के चार सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। कांग्रेस अदालत जाने की तैयारी में है। आईपीएस अधिकारी अब्दुल रहमान ने बिल के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। इस बिल के आने के बाद से ही कुछ भारतीय नेताओं और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सुर में सुर मिल रहे हैं।

हंगामा करने वाले दो तरह के लोग हैं। एक, वे जो इसे मुस्लिमों के साथ भेदभाव बता रहे हैं। बिल में उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान नहीं किया गया है। दूसरे, वे हैं जो कह रहे हैं कि घुसपैठिये कोई भी हों। उन्हें नागरिकता नहीं दी जानी चाहिए। ये मामले भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र के हिस्सा रहे हैं। इस घोषणा पत्र के बाद ही जनता ने भाजपा को केंद्र में दूसरी बार सरकार बनाने का मौका दिया है।

बिल पर वोटिंग से पहले अमित शाह ने साफ किया कि इस बिल को लेकर देश के मुस्लिमों को तनिक भी डरने की जरूरत नहीं है। इस बिल से उनकी नागरिकता नहीं छीनी जा रही। यह नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का नहीं। बिल में भारतीय मुसलमानों को छुआ तक नहीं गया है। इससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के प्रताडि़त गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी।

असम के लोगों को विरोध इस बात से है कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में पहले से राज्य में घुसे लोग अब नागरिकता पा जाएंगे। इससे असम को लोगों को अपनी पहचान, भाषा और संस्कृति खो जाने का खतरा सता रहा है। पर यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस एनआरसी का असम में कांग्रेस विरोध कर रही है। यह व्यवस्था उस असम समझौते में है जो 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने किया था। 26 मई, 2009 को गृहमंत्री रहे पी. चिदंबरम ने एनआरसी जैसी व्यवस्था पूरे देश में लागू करने की मंशा जताई थी। उन्होंने ने एनआरसी की तर्ज पर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की बात भी कही थी।

हिन्दुस्तान सरकार के बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं। लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। हाल के अनुमान के मुताबिक देश में 4 करोड़ घुसपैठिये मौजूद हैं। 40 हजार रोहंगिया घुसपैठ कर भारत में समस्या बने हुए हैं। 2014 में पश्चिम बंगाल के सीरमपुर में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चुनाव के नतीजे आने के साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठियों को बोरिया-बिस्तर समेट लेना चाहिए। 1991 में असम में मुस्लिम जनसंख्या 28.42 फीसदी थी जो 2001 के जनगणना के अनुसार बढक़र 30.92 फीसदी हो गई।

2011 की जनगणना में यह बढक़र 35 फीसदी को पार कर गयी। बांग्लादेशी मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी ने देश के कई राज्यों में जनसंख्या असंतुलन को बढ़ाने का काम किया है जिसके कारण देश में कई अप्रिय घटनाएं घटित हुई हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के अंदर 1951 में 84 फीसदी हिंदू थे और 2011 में वो घटकर 79 फीसदी हो गए जबकि बाकी के देशों में वहां के बहुसंख्यकों की संख्या बढ़ी है। जबकि 1947 में पाकिस्तान में 23 फीसदी अल्पसंख्यक थे। 2011 में यह आंकड़ा घटकर 3.7 फीसदी रह गया है।

आज यह आंकड़ा एक फीसदी के आसपास बैठता है। यही नहीं, 1947 में बांग्लादेश में 22 फीसदी अल्पसंख्यक थे। 2011 में यह आंकड़ 7.8 फीसदी रह गया है। 1971 में जब बांग्लादेश बना था तो वह धर्मनिरपेक्ष देश था। 1977 में उसका धर्म इस्लाम हो गया। 1950 में दिल्ली नेहरू और लियाकत समझौता हुआ था, जिसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान अपने-अपने अल्पसंख्यकों का ख्याल रखेंगे। पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। भारत में 1951 में 9.8 फीसदी मुसलमान थे। आज इनकी संख्या 14.23 फीसदी है।

priyajain

priyajain

Next Story