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भारतीय सेना का ऐतिहासिक फैसला, पहली बार महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक पर किया प्रमोट
भारतीय सेना के एक चयन बोर्ड ने पांच महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक पर प्रमोट कर दिया...
भारतीय सेना सेवा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना लगातार कदम उठा रही है। भारतीय सेना के एक चयन बोर्ड ने गणना योग्य सेवा 26 साल पूरे होने के बाद पांच महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक पर प्रमोट कर दिया। ऐसा पहली बार है जब कॉर्प्स ऑफ सिग्नल्स, कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) और कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स में काम कर रही महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक के लिए मंजूरी दी गई हो। इससे पहले, कर्नल के पद पर प्रमोशन केवल आर्मी मेडिकल कोर (SMC), जज एडवोकेट जनरल (JAG) और सेना शिक्षा कोर (AEC) के महिला अधिकारियों के लिए लागू थी।
कर्नल रैंक के लिए चुनी गई पांच महिला अधिकारी
- कोर ऑफ सिग्नल से लेफ्टिनेंट कर्नल संगीता सरदाना
- ईएमई कोर से लेफ्टिनेंट कर्नल सोनिया आनंद।
- लेफ्टिनेंट कर्नल नवनीत दुग्गल।
- कोर ऑफ इंजीनियर्स से लेफ्टिनेंट कर्नल रीनू खन्ना
- लेफ्टिनेंट कर्नल रिचा सागर
भारतीय सेना के नजरिए को परिभाषित करता है
भारतीय सेना की ज्यादा ब्रांचों में प्रमोशन के रास्ते का विस्तार महिला के करियर के बढ़ते अवसरों का संकेत है। महिलाओं को कर्नल रैंक में प्रमोशन देने के बाद यह कदम एक जेंडर न्यूट्रल सेना के प्रति भारतीय सेना के नजरिए को परिभाषित करता है।
महिलाएं NDA में एडमिशन के लिए परीक्षा में बैठ सकती
इसको लेकर केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने तर्क दिया कि, यह सरकार का नीतिगत निर्णय है। वहीं, केंद्र की दलील से असहमत, जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि, यह लैंगिक भेदभाव पर आधारित एक नीतिगत निर्णय है। शीर्ष अदालत ने महिलाओं के लिए अवसरों का विरोध करने के लिए सेना की खिंचाई की और उसे अपना रवैया बदलने और ऐसे मामलों में न्यायिक आदेश पारित होने की प्रतीक्षा नहीं करने को कहा। कोर्ट ने निर्देश दिया कि महिलाएं NDA में एडमिशन के लिए परीक्षा में बैठ सकती हैं, जो सितंबर को होगी। प्रवेश आदि उसके अंतिम आदेश के अधीन होंगे।