Mirzapur News :महिला ई-रिक्शा चालक बन कायम की मिसाल, पुरुष ई रिक्शा चालकों को दे रही टक्कर

Mirzapur News : प्रज्ञा देवी मीरजापुर जिले के सारीपुर गांव की रहने वाली हैं, यह जनपद की पहली महिला ई रिक्शा चालक है।

Brijendra Dubey
Report Brijendra DubeyPublished By Shraddha
Published on: 1 July 2021 9:34 AM GMT
महिला ई-रिक्शा चालक बन कायम की मिसाल
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महिला ई-रिक्शा चालक बन कायम की मिसाल (फोटो - सोशल मीडिया)

Mirzapur News : जब कोई इंसान गरीबी के जंजीरों की बेड़ियों (shackles) में जकड़ा होता है, तो वह इंसान उस गरीबी (Poverty) से लडने के लिए उन गरीबी के जंजीरों की बेड़ियों की बन्दिशों को तोड़ने के लिए रास्ता ढूंढता है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि मंजिल सबको नहीं मिलती है। कोई एक ही उन जंजीरों की बेड़ियों को तोड़ने में सफल होता है।

ऐसा ही एक वास्तविक कहानी से आपको रूबरू कराने जा रहा हूं। यह कोई बहुत बड़े इंसान की कहानी नहीं है, यह एक महिला ई रिक्शा चालक (E- Rickshaw Driver) के हिम्मत और हौसले के उड़ान की कहानी है। वह महिला अपनी रोजी रोटी औरबच्चों की परवरिश के लिए अपने अंदर गरीबी से लडने के लिए हौसले को इकट्ठा करती है। इसी हौसले की उड़ान लेकर अपनी तकदीर बदलने की चाह में प्रज्ञा देवी (40) ने वह कर दिखाया जिसको लोग देखकर बोलते हैं। प्रज्ञा दीदी आपके अंदर हुनर है , उस हुनर का उपयोग आपने बहुत अच्छे से किया। प्रज्ञा दीदी आप पर हमें गर्व है।

प्रज्ञा देवी मीरजापुर जिले के सारीपुर गांव की रहने वाली हैं, यह जनपद की पहली महिला ई रिक्शा चालक है। आप सुनकर थोड़ा हैरान जरूर होंगे। लेकिन प्रज्ञा का हौसला इतना बुलन्द है वह महिला होकर भी गरीबी में जकड़ी जंजीरों की बेड़ियां तोड़ने में सफल रही और अपने दम पर वह अपने मुंहबोले भाई से कर्ज लेकर ई-रिक्शा खरीदती है, वह उस ई रिक्शे को चलाकर अपने परिवार का पेट पालती है। गरीबी से परेशान प्रज्ञा ने कुछ करने का फैसला किया, प्रज्ञा की मदद उनके भाई ने किया, जिसके मदद से ई रिक्शा खरीदा। अब वह इससे कमाकर अपना परिवार चलाती है।

प्रज्ञा की बातचीत

प्रज्ञा देवी से जब बातचीत किया तो वह बताती है कि शुरुआत में वह मोटरसाइकिल चलाना सीख रही थी जिसके बाद उसे चलाने में निपुण हो गई थी, फिर उनके मन में ई रिक्शा चलाने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। उनके मन में गरीबी से लड़ने के लिए खुद के हौसले और हाथों पर भरोसा था किसको लेकर वह नई ऊंचाई को छूने के लिए बेताब थी। उन्होंने अपने मोहल्ले के भाई मोहन से 30 हजार रुपया कर्ज लेकर, ई रिक्शा इलाहाबाद बैंक से फाइनेंस कराकर खरीदी, जिसकी कीमत 80 हजार रूपए थी।

वह बताती है कि हमने दिन भर मेहनत करके, ई रिक्शा चलाकर बैंक का कर्ज अदा कर चुकी हूं, वह अपने भाई मोहन का बहुत बहुत धन्यवाद करती है, वह कहती है कर्ज तो सभी देते है लेकिन मदद कोई नहीं करता, लेकिन हमारे भाई मोहन ने हमारी मदद की है उसके लिए धन्यवाद हमेशा करती रहूंगी। वह बताती है ई रिक्शा चलाना मेरा शौक है लेकिन बहुत सारे लोग मुझे ई-रिक्शा चलाते देख कहते है की महिलाओं के लिए आप मिशाल बनी है, वहीं हसते हुए प्रज्ञा कहती है कि कुछ ड्राईवर भी है जो हमारी सवारी देख कर चिढ़ते भी है, प्रज्ञा देवी पांच बच्चों की मां हैं। वह बताती है गरीबी के कारण जब परिवार चलाने और बच्चों के परवरिश में दिक्कतें आने लगी तो हमें यह कदम उठाना पड़ा।

प्रज्ञा ने खुद घर से बाहर निकलकर कुछ काम करने की ठान ली। आज वह सुबह घर के कामकाज खत्म करने के बाद ई रिक्शा लेकर घर से निकलती है और गांव से शहर के कचहरी, रोडवेज और रेलवे स्टेशन, जहा की सवारी मिलती है,वह सभी इलाके की सड़कों पर सवारियों को उनके मंजिल तक पहुंचाती है। प्रज्ञा का कहना है कि वह दिन भर में 200 से 500 रुपए कमा लेती है। उनके पति अनिल कुमार पलंबर का कार्य करते हैं। वह बताती है उनके पति कांट्रैक्ट लेकर पलंबर का काम करते हैं, जीतना बड़ा काम रहता है उसके हिसाब से उनको कांट्रैक्ट मिलता है। वह 5000 से लेकर 10000 तक कमा लेते हैं। लेकिन उनको काम रोज नहीं मिलता उनको काम कभी-कभी मिलता है।

ई रिक्शा चलाने से पहले की जिंदगी

वहीं गरीबी का दंश झेल रही प्रज्ञा देवी से जब ई-रिक्शा चलाने से पहले की जिंदगी के बारे में बातचीत करना चाहा तो उन्होंने बताया कि उस समय हमारे पति को कभी-कभी काम मिलता था जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई, परवरिश में समस्या आने लगी थी, हमारे बच्चे पहले कभी-कभी फल खाते थे, लेकिन जब से ये रिक्शा चलाना चालू की हूं। तब से मैं खुद सब्जियां और फल खरीद कर लेकर घर जाती हूं और अपने बच्चों का परवरिश अच्छे तरीके से करना चाहती हूं। हमारे बच्चे पढ़ने में कुशल हैं।

बेटी विक्टोरिया ने कहा

प्रज्ञा देवी की बेटी विक्टोरिया जो 11 वर्ष की है। बातचीत के दौरान उसने बताया कि मैं कोरल कन्वेंट स्कूल से कक्षा पांचवीं की छात्रा हूं, उसने बताया ई-रिक्शा आने के बाद हमारी मम्मी हम लोगों के लिए सब्जियां और फल हमेशा लाती हैं। पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आती है।

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