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किराए पर कृषि यंत्र देकर महिलाओं को सशक्त बना रहीं रेनू मौर्या

उन्होंने एक साल में 70 से अधिक किसानों को किराए पर अपने कृषि यंत्र देकर उन्हें भी खेती से फायदा पहुंचाया है।

Apoorva chandel
Published on: 5 April 2021 2:54 PM IST
किराए पर कृषि यंत्र देकर महिलाओं को सशक्त बना रहीं रेनू मौर्या
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रेनू मौर्या

मिर्जापुर: यूपी के मिर्जापुर के नक्सल इलाके की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। जो महिलाएं पहले घर और चूल्हे-चौके से बाहर नहीं निकल पाई आज वह अपने साथ-साथ और भी कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर ही हैं। उन्हीं महिलाओं में से एक है रेनू मौर्या। जो फार्म मशीनरी बैंक से कृषि यंत्र लेकर क्षेत्र के किसानों को सस्ते दामों पर देती हैं और जिससे उनके साथ-साथ अपनी भी आय बढ़ा रही हैं।

रेनू मौर्या मिर्जापुर जिले के देवरी कलां गांव नक्सल क्षेत्र में रहती है, यह गांव पहाड़ के किनारे है। रेनू मौर्या बताती है कि उन्होंने एक साल में 70 से अधिक किसानों को किराए पर अपने कृषि यंत्र देकर उन्हें भी खेती से फायदा पहुंचाया है। जिससे वो नक्सल क्षेत्र की ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं भी महिलाओं के सम्मान में अब नई इबारत लिख रही हैं।


आगे बढ़ रही महिलाएं

मिर्जापुर के नक्सल इलाके की महिलाएं अब किसी न किसी दिशा में आगे बढ़ रही हैं। इन्होंने बताया कि सैकड़ों महिलाओं को जोड़कर हजारों की कमाई शुरू कर दी है और यह संभव हो पाया है कृषि विभाग व एनआरएलएम के सहयोग से जो महिलाएं पहले घर और चूल्हे-चौके से बाहर नहीं निकल पाती थीं, आज वह बाहर निकलकर पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। रेनू मौर्या उन्हीं महिलाओं में से एक हैं जो इस समय जिले की आदर्श महिला के रूप में जानी जा रही है इन्होंने फार्म मशीनरी बैंक से कृषि यंत्र लेकर उसे किराए पर देकर क्षेत्र के लोगों के साथ अपनी भी आय बढ़ा रही हैं।

महिलाओं को बना रही है स्वावलंबी

मीरजापुर जिले की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के बढ़ते कदम साथ में उनकी आमदनी बढ़ाने में फार्म मशीनरी बैंक और नक्सल क्षेत्र की मेहनती महिलाए अहम भूमिका निभा रहा है। गांव के संगठनों को कृषि विभाग के इस योजना से जोड़ा जा रहा है। इस योजना के तहत समूह के महिलाओं को कृषि यंत्र दिलाया जा रहा है, इससे अब महिलाएं अच्छी कमाई कर रही हैं, जिससे वह लोगो काफी खुश है। विकास खंड पटेहरा कलां के देवरी कला गांव की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी है रेनू मौर्या, इन्होंने अपने ग गांव समूह संगठन में 100 से अधिक महिलाओं को जोड़कर कृषि विभाग की मदद से फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत 5 यंत्र छूट के साथ खरीदी है,

इस यंत्र को अब वह किराए पर देकर हजारों की कमाई कर रही हैं, प्रतिज्ञा आजीविका महिला समूह संगठन में फार्म मशीनरी बैंक के तहत रेनू एक ट्रैक्टर और पांच यंत्र खरीदकर इलाके के किसानों को सस्ते दामों पर खेती के लिए दे रही हैं। इन्होंने एक साल में 70 से अधिक किसानों को फायदा पहुंचाया है। इन्होंने एक साल में 72,000 रुपए इनकम का स्रोत भी खड़ा कर ली है, ग्रामीण क्षेत्र में इसकी चर्चा जोरों पर है जैसे किसानों को पता चल रहा है कि कृषि यंत्र किराए पर मिल रहे हैं। छोटे किसान हो या बड़े किसान सब यंत्र के लिए पहुंच रहे है।


राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से मिली कामयाबी

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन व कृषि विभाग के सहयोग से कृषि यंत्र मिला है। वह अपने समूह के 100 महिलाओं को सस्ते दामों पर 600 रुपये प्रति बीघा के हिसाब से खेती कराती हैं। लेकिन वही अन्य किसानों को 700 रुपये से ऊपर खेती के लिए यंत्र दिए जाते हैं। किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र किराए पर मुहैया कराने के मकसद से फार्म मशीनरी बैंक के तहत 80 प्रतिशत अनुदान पर समूह संगठन को यंत्र उपलब्ध कराया जा रहा है।

प्रतिज्ञा आजीविका महिला संगठन समूह देवरी में फार्म मशीनरी बैंक के तहत एक ट्रैक्टर के साथ 5 कृषि यन्त्र दिया गया है। 15 लाख 74 हजार के यंत्र के लिए रेनू मौर्या ने 3 लाख 74 हजार रुपये संगठन समूह को जमा करना है। रेनू मौर्य ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़े होने पर कमाई बहुत खास नहीं हो पा रही थी। रेनू मौर्या के पति राजेश मौर्या ने बताया कि पहले वह छोटी सी दुकान चलाते थे, लेकिन वह दुकान चल नहीं पाई और वह बंद हो गया। अब पत्नी के सहयोग से ट्रैक्टर चलाने का मौका मिला है, वह किसानों के यहां जाकर ट्रैक्टर चलाकर कमाई कर रहे हैं।

किसानों की बदली तस्वीर

उप कृषि निदेशक अशोक उपाध्याय ने बताया कि ग्राम समूह संगठन को फार्म मशीनरी बैंक के तहत 80 फीसदी के अनुदान पर कृषि यंत्र दिए जा रहे हैं। मड़िहान तहसील के देवरी कला गांव की रेनू मौर्या को कृषि यंत्र दिया गया है, जो अच्छा काम कर रही हैं, 1 साल में उन्होंने 72,000 से ज्यादा की आमदनी इकठ्ठा की है।वह अपने इलाके की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। इस इलाके में इतने बड़े यंत्र नहीं होने की वजह से छोटे किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती थी, मगर रेनू मौर्या की सोच ने इस इलाके के किसानों की अब तस्वीर बदल दी है।

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