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Sudha Murthy एक ऐसा नाम जिसने भारतीयता को दी अंतरराष्ट्रीय पहचान
चाहे लेखन का मामला हो या समाज सेवा से जुड़े कार्य हों वह हमेशा तत्परता से आगे रही हैं। सुधा मूर्ति इंफोसिस के फाउंडर एसआर नारायण मूर्ति की पत्नी हैं।
Sudha Murthy: सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) एक ऐसा नाम है जिसने हर क्षेत्र में अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया है। यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। चाहे लेखन का मामला हो या समाज सेवा से जुड़े कार्य हों वह हमेशा तत्परता से आगे रही हैं। सुधा मूर्ति इंफोसिस के फाउंडर एसआर नारायण मूर्ति की पत्नी हैं। इनके बारे में निसंदेह यह कहा जा सकता है कि कुछ महिलाएं प्रेरणा लेने और सामाजिक परिवर्तन के लिए जन्म लेती हैं जिसमें से सुधा मूर्ति भी एक हैं। जिन्होंने भारतीय सामाजिक परिवेश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उनकी भारतीयता की पहचान कराने वाली एक परोपकारी और उद्यमी की छवि तो है ही साथ ही वह एक अपनी लेखन क्षमता, गरीब बच्चों की शिक्षा को सुविधाजनक बनाने और भारत की अग्रणी आईटी कंपनी इंफोसिस के पीछे सक्रिय दिमाग के लिए बहुत सम्मानित हैं। उनके कार्य उन्हें वैश्विक पहचान दिलाते हैं। भारत की पहली महिला इंजीनियर बनने से लेकर इंफोसिस जैसी कंपनी का नेतृत्व करने तक, समाज में बदलाव लाने के प्रति उनकी गंभीरता और उनकी शैक्षिक यात्रा ने उन्हें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बहुत जल्द बहुमुखी प्रतिभा की धनी लेखक-फिल्म निर्माता अश्विनी अय्यर तिवारी श्री नारायण मूर्ति और श्रीमती सुधा मूर्ति की जीवन कहानी (Sudha Murthy biography film) पर फिल्म बनाने जा रही हैं। आइये जानते हैं पद्मश्री सुधा मूर्ति के बारे में।
सुधा मूर्ति का जन्म (Sudha Murthy birthday) 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के हवेरी जिले के शिगगांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता डॉ आरएच कुलकर्णी एक सर्जन थे और उनकी मां विमला कुलकर्णी ने बचपन से ही उनके प्रयासों में उनका साथ दिया और उनके तीन भाई-बहनों के साथ सुधा की परवरिश की।
परिवार में शिक्षित माहौल ने उन्हें कम उम्र में ही कुछ असाधारण करने का जुनून पैदा कर दिया। सुधा मूर्ति के भाई श्रीनिवास कुलकर्णी एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री हैं, जिन्हें 2017 में डैन डेविड पुरस्कार मिला था। उनके शुरुआती जीवन के अनुभव और उनकी दादी के प्रति आत्मीयता उनकी कुछ पुस्तकों की नींव बन गई।
सुधा मूर्ति की शिक्षा (Sudha Murthy Education)
सुधा मूर्ति की शिक्षा ने उन्हें एक सफल लेखक के रूप में आकार देने में एक अहम भूमिका निभाई, भले ही उनका शैक्षिक मार्ग तकनीकी अधिक रहा। उसकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता इस बात से स्पष्ट है कि वह अपनी स्नातक और मास्टर डिग्री के दौरान एक टॉपर के रूप में उभरी थीं।
सुधा मूर्ति ने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीई किया, जहां उन्होंने अपने असाधारण अकादमिक प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक जीता। बाद में, उन्होंने उच्च अध्ययन के विकल्प पर विचार किया और 1974 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से कंप्यूटर विज्ञान में एमई किया और कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री से दोनों अंतिम परीक्षाओं में टॉप करने के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
भारत की पहली महिला इंजीनियर (India's first woman Engineer)
सुधा मूर्ति हमेशा महिलाओं के अधिकारों की हिमायती और शिक्षा के विकास में अग्रणी रही हैं। एक बार उन्होंने टाटा मोटर्स जिसे टेल्को के नाम से भी जाना जाता है, को उनकी केवल पुरुषों की नीति के बारे में लिखा और इसके बाद उन्हें एक साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, और बाद में भारत में नियुक्त होने वाली पहली महिला इंजीनियर बन गईं। टेल्को में उनकी स्थिति कंपनी की नौकरियों की नीतियों को फिर से परिभाषित करने में महत्वपूर्ण थी।
इंफोसिस की स्थापना में अपने पति नारायण मूर्ति का साथ देने और उन्हें शुरुआती निवेश देने के अलावा, उन्होंने साहित्य की एक विशाल श्रृंखला लिखी है जिसमें बच्चों के लिए भी किताबें शामिल हैं। बाल साहित्य की चर्चित लेखिका सुधा मूर्ति ने अपनी किताब 'हॉउ द अर्थ गॉट इट्स ब्यूटी' में बच्चों को धरती की खूबसूरती से अवगत कराने का प्रयास किया है। इस किताब को पेंग्विन ने प्रकाशित किया है और चित्रांकन प्रियंका पचपांडे ने किया है।
मूर्ति ने इस पुस्तक के संबंध मे कहा है, ''जब मैं यात्रा करती हूं, तो अकसर अलग-अलग भौगिलिक दृश्यों को देखती हूं जैसे बर्फ से ढके पहाड़, फूलों के मैदान, संगीतमय ध्वनि के साथ बहती नदियां, विभिन्न आकार और रंग के जानवर और जलाशयों में तरह तरह के जीव। मैं अक्सर यह सोच कर उत्सुक होती कि आखिर इन्हें किस कलाकार ने बनाया है। वह कौन जादूगर चित्रकार है जिसने अतुलनीय धरती को बनाया है।''
उन्होंने कहा, ''मैं हमेशा इन्हें देख विस्मित होती हूं और जो कहानियां मेरे सामने आईं मैं उन्हें बाल पाठकों के साथ साझा करना चाहती हूं।'' यह किताब पांच से आठ साल की उम्र के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। उन्होंने अपनी पुस्तकों के माध्यम से युवाओं और बुजुर्गों को उनमें पढ़ने की आदत डालने के लिए प्रोत्साहित किया है।
सुधा मूर्ति सोशल वर्कर (Sudha Murthy social worker)
सुधा मूर्ति की शिक्षा और समाज में सुधार की दिशा में योगदान के अथक प्रयासों ने उन्हें एक ब्रांड नाम बना दिया है। अपने इंफोसिस फाउंडेशन के माध्यम से, उन्होंने शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, गरीबी उन्मूलन आदि के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद की है। वह गेट्स फाउंडेशन की सक्रिय सदस्य हैं। भारत की शिक्षा प्रणाली में क्रांति लाने के उनके प्रयास देश में अभूतपूर्व रहे हैं जहां उन्होंने कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के उपयोग का समर्थन किया। उन्होंने हार्वर्ड में मूर्ति शास्त्रीय पुस्तकालय (एमसीएलआई) की भी स्थापना की।
सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन और ट्रस्टी भी हैं। उन्होंने 1996 में इंफोसिस फाउंडेशन की शुरुआत की। उन्होंने फाउंडेशन के माध्यम से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2300 घर बनाए हैं। इसके अलावा उनके फाउंडेशन ने स्कूलों में 7000 पुस्तकालय, 16,000 शौचालय भी बनाए हैं।