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भारत को मिलेगी महिला चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- समय आ गया

supreme court said time has come to appoint a woman as chief justice of India

Ashiki
Published on: 16 April 2021 3:36 PM IST (Updated on: 17 April 2021 9:38 AM IST)
Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट (File Photo)

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी को लेकर बड़ी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब महिलाओं के भारत का प्रधान न्यायाधीश बनने का समय आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला वकील अक्सर घरेलू जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए जज बनने से इनकार कर देती हैं। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि महिला वकीलों को जल्द जज बनना चाहिए ताकि वह वरिष्ठता क्रम में प्रधान न्यायाधीश के पद तक पहुंच सकें। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि इस सोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

दरअसल, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सूर्यकांत की विशेष पीठ ने हाईकोर्ट में अस्थायी जजों की नियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट कॉलेजियम को महिला वकीलों में से जज चुनने में क्या परेशानियां आती हैं। चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा, अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब महिला वकीलों को जज बनने का प्रस्ताव दिया जाता है, तो घरेलू जिम्मेदारियों या बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर जज बनने का प्रस्ताव ठुकरा देती हैं।

न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी की कमी के बीच सुनवाई में आईं महिला वकील शोभा गुप्ता और स्नेहा कलिता ने पीठ से सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर भी गौर करने की गुहार लगाई। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में महिलाओं की भागीदारी कम है। ऐसे में महिला वकीलों को जज बनने का मौका दिया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि समाज के विकास और लैंगिक समानता के लिए न्याय वितरण प्रणाली में भी महिलाओं की सहभागिता महत्वपूर्ण है। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर नोटिस जारी नहीं करेगी। साथ ही कोर्ट ने भरोसा दिलाया कि उसके दिमाग में महिलाओं का हित है, लेकिन इसके लिए योग्य उम्मीदवार का होना जरूरी है।

न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी की कमी के बीच सुनवाई में आईं महिला वकील स्नेहा कलिता ने बताया कि उच्च न्यायालयों में 661 न्यायाधीशों में से केवल 73 महिलाएं थीं, जो कुल न्यायाधीशों की तुलना में महज 11.04 फीसदी है। याचिका में कहा गया है कि 25 हाईकोर्ट में से 5 हाईकोर्ट मणिपुर, मेघालय, पटना, त्रिपुरा और उत्तराखंड में एक भी महिला जज फिलहाल नहीं है। याचिका में बड़ी संख्या में लंबित मुकदमों को देखते हुए अस्थायी जजों की नियुक्ति की मांग की गई है।

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