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Video: Panipat का हिन्दू-मुस्लिम, इत्तेहाद याद रहे, देखें Y-FACTOR Yogesh Mishra के साथ

Taliban Army Panipat: इस पानीपत युद्ध से हिन्दू-मुस्लिम एकता और अफगानी लुटेरों का दृढ़ता से मुकाबला करना भी एक ऐतिहासिक दृष्टान्त है।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Praveen Singh
Published on: 23 March 2022 12:38 PM GMT
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Y-FACTOR Yogesh Mishra: तालिबानी अफगनों ने पाकिस्तानी सीमा पर तैनात अपनी सेना में एक नयी टुकड़ी गठित की है। नाम रखा है ''पानीपत।'' पठानों ने दावा भी किया कि यह फौजी टुकड़ी अहमदशाह अब्दाली की भांति पानीपत के तीसरे युद्ध में 1761 में हरियाणा तथा दिल्ली तक इस्लामी हुकूमत पुनर्स्थापित करेगी। यह सपना ''गजवा—ए—हिन्द'' का ही अनुच्छेद है, जिसके तहत हिन्दुस्तान को दारुल इस्लाम बनाया जायेगा। यह अखबारी रपट पानीपत के तीसरे युद्ध पर आधारित है, जिसमें अहमदशाह ने मराठा साम्राज्य के सदाशिवराव भाउ को हराया था। नतीजन, दिल्ली के मुगल बादशाह जो मराठों पर आश्रित थे, कमजोर हो गये। ब्रिटिश राज को भारत को गुलाम बनाने का रास्ता प्रशस्त हो गया। बाद में बहादुर शाह जफर को सजा देकर भारत पर लंदन का राज कायम कर दिया।

मगर इस पानीपत युद्ध से हिन्दू-मुस्लिम एकता और अफगानी लुटेरों का दृढ़ता से मुकाबला करना भी एक ऐतिहासिक दृष्टान्त है। इतिहास याद रखता है कि शूरवीर कमाण्डर इब्रा​हीम खान गर्दी और मराठा जनरल सदाशिवराव भाउ के नेतृत्व में संयुक्त रुप से हिन्द की सेना इन अफगानियों से टकराई। पानीपत भले ही हार गये। पर हिन्दु—मुसलमान सेना ने अफगानी लुटेरे अहमद शाह दुर्रानी को पीछे खदेड़ा। दुखद विवरण यह रहा कि इन अफगानी पठानों ने महान हिन्दुस्तानी योद्धा इब्राहीम गर्दी को कैद में तड़पा कर मार डाला। पर यह रणबांकुरा, जो फ्रांसीसी तोपखाने में कुशलता से शिक्षित था, ने अपने समर कौशल से इस्लामी आक्रामकों को क्षीण किया। इस जंग में हैदराबाद के तेलुगु—भाषी निजाम सिपाही भी देश पर शहीद हुये। अफगानी से भिड़ते।

यहां एक गद्दार, देशद्रोही का ज़िक्र ज़रूरी है। अहमदशाह अब्दाली की सेना की सहायता करने में लखनऊ—फैजाबाद के नवाब शुजाउद्दौला की घातक किरदारी रही। वह नवाब सफदरजंग का पुत्र था। उसने अफगान हमलावरों की मदद की। मुगल सम्राट को कमजोर किया। मात्र अपने वंश हेतु काम किया। अंग्रेजों और अंतत: सारे अवध को उपनिवेश बनने की नींव डाली।

तो यह ज्वलंत उदाहरण है हिन्दू-मुस्लिम (मराठा—इब्रा​हीम खां गर्दी) की राष्ट्रभक्ति का तथा अवध नवाब की गद्दारी का। इस घटना पर एक चलचित्र भी बना था। इसमें इब्राहीम खां गर्दी की भूमिका में थे मशहूर अभिनेता मुकेश खन्ना, जो महाभारत में भीष्म पितामह की के रोल में थे। मराठा सेनापति की भूमिका में पंकज धीर थे, जो महारथी कुन्तीपुत्र कर्ण बने थे। हर भारतीय युवक को यह फिल्म देखनी चाहिये ताकि भारत पर फख्र कर सके।

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