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भारतीय छात्र अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित, घट रहा अमेरिका मोह

priyankajoshi
Published on: 21 July 2017 12:39 PM GMT
भारतीय छात्र अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित, घट रहा अमेरिका मोह
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वाशिंगटन : दुनिया के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय अमेरिका में होने के कारण दुनिया भर के छात्रों का सपना यहां पढ़ाई करने का होता है। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए पूरी दुनिया के प्रतिभाशाली छात्र कठिन परीक्षा पास करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि यहां की डिग्री की कितनी महत्ता है।

भारत के प्रतिभाशाली छात्र भी अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला पाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते। मगर एक ताजा सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारतीय छात्र अमेरिका में अपनी पढ़ाई को लेकर काफी चिंता में डूबे हुए हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजूकेशन (आईआईई) के एक नवीनतम सर्वे में यह खुलासा हुआ है। सर्वे के मुताबिक बड़ी संख्या में भारतीय छात्र अपनी शारीरिक सुरक्षा और स्वतंत्र अनुभव को लेकर चिंतित हैं।

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद भारतीयों की चिंता में इजाफा हुआ है। अमेरिका में हाल के दिनों में नस्लीय हमले की कई घटनाएं भी हुई हैं। इन हमलों में भारतीयों को भी निशाना बनाया गया है।

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दाखिले के बाद भी नहीं पहुंच रहे छात्र

आईआईई के मुताबिक, अमेरिकी सुप्रीमकोर्ट के जून में ट्रंप के छह मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध के फैसले को तात्कालिक रूप से जारी रखने के बाद छात्रों में यह भय व्याप्त है। छात्र इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस मामले का अंतिम फैसला न जाने क्या होगा। आईआईई छात्रवृति को बढ़ावा देने के साथ ही अर्थव्यवस्था को गति देने तथा मौके उपलब्ध कराकर शांतिपूर्ण और समान समाज के निर्माण की दिशा में काम करने वाला गैर लाभकारी संगठन है।

साल 1919 में स्थापित आईआईई के मुताबिक, अमेरिका में पढ़ाई करने वाले अन्तरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या 10 लाख से अधिक है। इनकी ओर से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में करीब 36 बिलियन डॉलर से अधिक का योगदान किया जा रहा है। ऐसे में काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है। सर्वे के मुताबिक भारत के साथ-साथ मध्य पूर्व से आने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट से विभिन्न संस्थानों में समस्या पैदा हो रही है। 31 फीसदी संस्थान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि मध्य एशिया के छात्र एडमिशन ऑफर मिलने के बाद भी कैंपस नहीं पहुंच रहे हैं और 20 फीसदी संस्थान यह सोचकर चिंतित हैं कि भारतीय छात्र शायद न पहुंचें। इस अनिश्चितता के कारण इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं कि शायद मध्य पूर्व के छात्र अमेरिका में पढ़ाई से किनारा कर लें।

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सुरक्षा को लेकर चिंतित

वैसे सर्वे के अनुसार, मौजूदा हालातों के बावजूद अमेरिका में पढ़ाई के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की रुचि पहले की तरह ही बनी हुई है। लेकिन 112 कॉलेजों की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल छात्रों के आने की संख्या में दो फीसदी की गिरावट आई है। 46 फीसदी संस्थानों को छात्रों के बीच वीजा बनाने की समस्याएं आ रही हैं। 41 फीसदी संस्थानों का कहना है कि छात्रों से हुई बातचीत के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि छात्रों में अमेरिका में रहने को लेकर काफी चिंताएं हैं।

घट सकती है भारतीयों की संख्या

आईआईई का कहना है कि भारतीय छात्रों में अमेरिका में शारीरिक सुरक्षा को लेकर काफी चिंताएं हैं। 80 फीसदी संस्थानों ने बताया कि भारतीय छात्रों के लिए शारीरिक सुरक्षा की समस्या बड़ी चिंता का विषय है। सर्वे में बताया गया है कि व्यक्तिगत सुरक्षा के साथ ही अन्य चिंताओं को लेकर अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी पर ब्रेक लग सकता है। अमेरिका में दाखिला लेने वाले अन्तरराष्ट्रीय छात्रों में भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। आईआईई का कहना है कि चिंता में डूबे भारतीय छात्र दूसरे देशों के शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं। खासकर उन देशों में जहां छात्रों के स्टूडेंट वीजा का निपटारा ज्यादा तेजी से होता है। वैसे इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि मौजूदा विपरीत माहौल के बावजूद अमेरिका में पढ़ाई को लेकर अन्तरराष्ट्रीय छात्रों की दिलचस्पी बनी हुई है।

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फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट जाएगा ट्रंप प्रशासन

इस बीच खबर है कि ट्रंप प्रशासन आतंकवाद पर रोक के नाम पर मुस्लिम बहुल 6 देशों से आने वाले यात्रियों के अमेरिका में प्रवेश प्रतिबंध लगाने वाले फैसले को कमजोर करने वाले संघीय न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा। उल्लेखनीय है कि संघीय न्यायाधीश ने अपने फैसले में अमेरिकी नागरिकों के परिवारों के संबंधियों की उस सूची में विस्तार किया है, जिसका वीजा प्रार्थी अमेरिका आने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। न्याय मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके हवाई के संघीय न्यायाधीश के इस फैसले को बदलने का अनुरोध किया। हालांकि सुप्रीमकोर्ट में अभी ग्रीष्मकालीन अवकाश है, लेकिन वह आपातकालीन मामलों की सुनवाई कर सकता है।

अटार्नी जनरल जेफ सेशंस ने हवाई की अदालत के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि जिला अदालत ने ऐसे निर्णय लिए हैं जो कार्यकारी शाखा के क्षेत्र में आते हैं। इसने राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने के साथ अव्यवस्था की स्थिति पैदा की है और अधिकारों के विभाजन के उचित सम्मान का उल्लंघन किया है।

ट्रंप की विश्वसनीयता में गिरावट

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी नेतृत्व की विश्वसनीयता को लेकर भारतीयों के बीच 18 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिकी संगठन प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार भारत अमेरिकी राष्ट्रपति को सर्वाधिक प्रशंसा की दृष्टि से देखने वाले देशों में शामिल है। भारत के 40 फीसदी उत्तरदाताओं ने ट्रंप में विश्वसनीयता दिखाई जबकि इसकी तुलना में 58 फीसदी ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा में भरोसा जताया। यह सर्वे 37 देशों में किया गया और सिर्फ दो देशों में ट्रंप ओबामा से बेहतर रहे। अमेरिका से बाहर के महज 22 फीसदी लोगों ने ही ट्रंप में भरोसा जताया। 64 फीसदी लोगों की राय रही कि ओबामा प्रशासन ज्यादा विश्वसनीय था। अधिकांश लोगों ने ट्रंप को अहंकारी, असहिष्णु, अयोग्य और खतरनाक तक माना। ब्रिटेन में तो 89 फीसदी लोगों की नजर में ट्रंप अहंकारी हैं।

priyankajoshi

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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