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Social Engineering Scam: 'सोशल इंजीनियरिंग' स्कैम पर इंटरपोल का एक्शन, 2000 घोटालेबाज गिरफ्तार
Social Engineering Scam: इंटरपोल के अनुसार, किसी व्यक्ति के विश्वास का फायदा उठाने के लिए उपयोग किए जाने वाले घोटालों को सोशल इंजीनियरिंग स्कैम कहा जाता है।
Social Engineering Scam: 'सोशल इंजीनियरिंग' (Social Engineering ) को आप भले ही अलग अर्थों में समझते हों, लेकिन ये भी जान लीजिये कि सोशल इंजीनियरिंग स्कैम (Social Engineering Scam) भी होते हैं। इंटरपोल के अनुसार, किसी व्यक्ति के विश्वास का फायदा उठाने के लिए उपयोग किए जाने वाले घोटालों को सोशल इंजीनियरिंग स्कैम कहा जाता है। इसी स्कैम के खिलाफ एक व्यापक ग्लोबल ऑपरेशन करते हुए इंटरपोल ने पांच करोड़ डालर करोड़ की जब्ती की है और कई अलग-अलग देशों से 2,000 कथित घोटालेबाजों की गिरफ्तारी की है।
इंटरपोल (इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन) ने "सोशल इंजीनियरिंग" घोटालों की बड़े पैमाने पर जांच की है। इन घोटालों में अधिकांश ऐसी ऑनलाइन योजनाएं हैं जिसमें साइबर अपराधी वेब उपयोगकर्ताओं को गोपनीय जानकारी प्रकट करने और फिर उन्हें धोखा देने के लिए करते हैं।
2,000 ऑपरेटर, धोखेबाज और मनी लॉन्ड्रर्स हुए गिरफ्तार
इंटरपोल (Interpol) के अनुसार, दुनिया भर के देशों में इंटरपोल और स्थानीय पुलिस एजेंसियों के बीच "फर्स्ट लाइट 2022' नामक दो महीने के ऑपरेशन का समन्वय किया गया था। जांच के दौरान उन्होंने दुनिया भर में 1,770 स्थानों पर छापेमारी करते हुए 3,000 अलग-अलग संदिग्धों की पहचान की, 4,000 बैंक खातों को सील कर दिया, और करीब 2,000 ऑपरेटरों, धोखेबाजों और मनी लॉन्ड्रर्स को गिरफ्तार किया। पकड़े गए लोगों में एक चीनी नागरिक भी था जो एक विशाल पोंजी योजना के संबंध में वांछित था। पुलिस का कहना है कि इस पोंज़ी स्कीम में लगभग 24,000 पीड़ित और 34 मिलियन यूरो की चोरी शामिल थी।
इंटरपोल के वित्तीय अपराध और एंटी भ्रष्टाचार केंद्र के निदेशक रोरी कॉर्कोरान ने कहा- विभिन्न प्रकार के दूरसंचार और सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी की अंतरराष्ट्रीय और डिजिटल प्रकृति स्थानीय पुलिस अधिकारियों के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करती है, क्योंकि अपराधी अपने पीड़ितों की तुलना में एक अलग देश या महाद्वीप से ऑपरेट करते हैं और अपनी धोखाधड़ी योजनाओं को अपडेट करते रहते हैं।
सामूहिक कानून प्रवर्तन
बीजिंग में इंटरपोल नेशनल सेंट्रल ब्यूरो के प्रमुख डूआन डाकी ने कहा कि इंटरपोल इस चुनौती से निपटने के लिए पुलिस सहयोग के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है। हालांकि ऑपरेशन फर्स्टलाइट 2022 समाप्त हो गया है, हमारे सामूहिक कानून प्रवर्तन प्रयास जारी रहेंगे क्योंकि अपराध जारी रहेंगे। फिलहाल, अधिकांश संदिग्धों की सार्वजनिक रूप से पहचान नहीं की गई है। अधिकारियों ने कहा है कि 76 अलग-अलग देशों ने इस ऑपरेशन में भाग लिया था।
ऑपरेशन फर्स्ट लाइट
इंटरपोल के अनुसार, वह स्थानीय पुलिस बलों के सहयोग से "फर्स्ट लाइट" नाम से वैश्विक सोशल इंजीनियरिंग स्कैम की निगरानी करता है। दूरसंचार धोखाधड़ी में, कॉल ऑफशोर कॉल सेंटरों से आती हैं और रकम आमतौर पर विदेशों में स्थानांतरित की जाती है।
ऑपरेशन फर्स्ट लाइट इसके पहले जुलाई से सितंबर 2017 तक हुआ था। पुलिस ने उस समय एशिया में स्थित 33 कॉल सेंटरों पर छापेमारी की और 1,013 लोगों को गिरफ्तार किया। इन पर दुनिया भर के अन्य देशों में पीड़ितों को पैसे देने के लिए धोखा देने के लिए कॉल करने का संदेह था। इनके विशिष्ट तौर-तरीकों में उन्हें कॉल करने वाले ऐसे लोग शामिल थे जो मुसीबत में रिश्तेदार होने का नाटक करते थे और पैसे मांगते थे। या सार्वजनिक अधिकारियों के रूप में सेवाओं के लिए भुगतान मांगते थे।
इंटरपोल के अनुसार, सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी (Social engineering fraud) एक व्यापक शब्द है जो जिसमें अपराधी रकम ऐंठने के लिए या भविष्य में कोई अपराध करने के लिए किसी व्यक्ति के विश्वास का फायदा उठा कर उसकी गोपनीय जानकारी प्राप्त करते हैं। ऐसे स्कैम सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर होते हैं लेकिन टेलीफोन या व्यक्तिगत रूप से संपर्क भी किया जाता है।
इंटरपोल का कहना है कि इन विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी के पीछे के तंत्र को समझना सबसे महत्वपूर्ण है और इसके लिए लोगों को जागरूक व सचेत होना होगा ताकि उन्हें ठगा न जाए।