TRENDING TAGS :
New Variant of Corona: डेल्टा प्लस से सावधान, इस पर वैक्सीन का भी असर नहीं
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भारत में भारी तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरियंट ने अब अपना चोला बदल लिया है और पहले से ज्यादा खतरनाक 'डेल्टा प्लस' वेरियंट के रूप में फैल रहा है।
New Variant of Corona: कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भारत में भारी तबाही मचाने वाले डेल्टा वेरियंट ने अब अपना चोला बदल लिया है और पहले से ज्यादा खतरनाक 'डेल्टा प्लस' वेरियंट के रूप में फैल रहा है। सबसे चिंताजनक बात ये है कि वैक्सीन भी इसके खिलाफ सुरक्षा नहीं देती। डब्लूएचओ ने इस बारे में चेतावनी भी दे दी है।
यही नहीं, कोरोना के इलाज में कामयाब मानी जा रही एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी भी डेल्टा प्लस पर बेअसर है। इस वेरियंट से संक्रमित मरीज केरल, पंजाब, बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मिले हैं। महाराष्ट्र की कोविड टास्क फोर्स ने तो चेतावनी दी है कि डेल्टा प्लस की वजह से राज्य में तीसरी लहर चंद हफ़्तों में आने की आशंका है।
पेरू में मिला नया वेरियंट
जहां डेल्टा प्लस ने चिंता बढ़ा दी है, वहीं कोरोना वायरस का लेटेस्ट वेरियंट साउथ अमेरिकी देश पेरू में पाया गया है। डब्लूएचओ ने इसे 'लैम्बडा' नाम दिया है और इसे 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के तौर पर दर्ज किया है। इसका मतलब है कि अभी इस पर नजर रखी जायेगी। ये वेरियंट क्या गुल खिला सकता है, इसपर रिसर्च किया जा रहा है।
नेपाल में हुआ था म्यूटेट
बहरहाल, डेल्टा प्लस वेरियंट (ए वाइ.1.) दरअसल डेल्टा वेरियंट से निकला हुआ है। डेल्टा वेरियंट सबसे पहले भारत में पाया गया था लेकिन नेपाल में फैलने के साथ साथ ये और म्यूटेट हो गया है। इस नेपाल म्यूटेशन को सबसे पहले ब्रिटेन ने पहचाना था। ब्रिटेन में इसके शुरुआती 5 केस वो थे जो नेपाल व टर्की से आये लोगों के संपर्क में आये थे।
इंग्लैंड की स्वास्थ्य एजेन्सी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक़ अब तक 63 प्रकार के अलग-अलग वैरिएंट की पहचान की गई है, जिनमें से 6 भारतीय वैरिएंट हैं। पूरे यूनाइटेड किंडम में 'डेल्टा प्लस' वैरिएंट के कुल 36 मामले हैं और अमेरिका में 6 प्रतिशत मामले डेल्टा प्लस वैरिएंट के हैं।
इम्यूनिटी बेअसर
विख्यात वाइरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील का कहना है कि बी.1.617.2 यानी डेल्टा वेरियंट ने स्पाइक प्रोटीन को बदल कर एवाइ.1. वेरियंट बना दिया है। इस बदलाव की विशेषता ये है कि इसमें पुराने बीटा वेरियंट के भी अंश हैं। सो, नए पुराने के मेल से ऐसा वायरस का ऐसा रूप सामने आ गया है जिसके खिलाफ इम्यूनिटी बेअसर साबित हो सकती है। इस पर और रिसर्च करने की जरूरत है। वैसे, ये बदलाव चिंताजनक है। ये तो पता चल चुका है कि एन्टीबॉडी कॉकटेल दवा का डेल्टा प्लस पर कोई असर नहीं होता है।
बंगाल में तेजी से फैल रहा संक्रमण
एक ओर जहां डेल्टा प्लस की आहट है वहीं बेहद खतरनाक डेल्टा वेरियंट का प्रकोप अभी शांत नहीं हुआ है। बल्कि बंगाल में तो ये तेजी से फैल रहा है। बंगाल में पिछले 15 दिनों में मिले संक्रमितों में से 90 प्रतिशत सैंपलों में डेल्टा वेरिएंट पाया गया है। यह वेरिएंट एक संक्रमित व्यक्ति से चार लोगों में फैलता है और इसने संक्रमण दर को बढ़ाकर 1.36 कर दिया है। जबकि नेशनल औसत 0.78 पर आ चुका है।
लगातार म्यूटेशन
वायरस की खासियत है कि वह लगातार अपना चोला बदलता रहता है। दरअसल, कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड लगभग 30,000 अक्षरों के आरएनए का एक गुच्छा है।जब वायरस इंसान के सेल्स में प्रवेश करता है तो यह वहां अपने तरह के अनगिनत वायरस पैदा करने की कोशिश करता है। कई बार इस प्रोसेस में नए वायरस में पुराने वायरस का डीएनए पूरी तरह कॉपी नहीं हो पाता है और उसका जेनेटिक कोड बदल जाता है। इसे ही म्यूटेशन कहते हैं जिसमें उसका जेनेटिक सीक्वेंस बदल जाता है। जितने ज्यादा लोगों को वायरस संक्रमित करेगा उतना ही उसमें बदलाव आएगा। कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होने का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ नए वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।
वैक्सीनेशन से होगा बचाव
वायरस के म्यूटेशन लगातार होते रहेंगे और इससे बचने का एक ही उपाय है कि संक्रमण को फैलने से रोका जाए। जितने ज्यादा लोगों का कम से कम समय में वैक्सीनेशन होगा, स्थिति को उतनी अच्छी तरह से कंट्रोल किया जा सकेगा। क्योंकि जब तक इस वायरस के खिलाफ कोई निश्चित दवा नहीं निकल आती तब तक वैक्सीन ही एकमात्र उपाय नजर आता है।