TRENDING TAGS :
Bangladesh Violence: बांग्लादेश पर कब्जे को तैयार बैठे हैं पाकिस्तान - चीन
Bangladesh Violence: आठ महीने बाद हसीना को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़कर जाना पड़ा है। इस घटनाक्रम को अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति और पर्दे के पीछे चलते षड्यंत्रों की कहानी भी कहा जा सकता है
Bangladesh Violence: इसी जनवरी में शेख हसीना ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में रिकॉर्ड चौथी बार जीत हासिल की थी। बमुश्किल आठ महीने बाद हसीना को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़कर जाना पड़ा है। इस घटनाक्रम को अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति और पर्दे के पीछे चलते षड्यंत्रों की कहानी भी कहा जा सकता है।
बड़ा संकट
ढाका में अपने सबसे अच्छे दोस्त के सत्ता से बाहर होने के बाद, भारत को अब बांग्लादेश में एक बड़ा संकट देखने को मिल रहा है, क्योंकि कट्टरपंथी पाकिस्तान और विस्तारवादी चीन में बैठे मददगारों की मदद से कट्टरपंथी तत्व देश पर कब्ज़ा करने के लिए तैयार हैं।।मालदीव और नेपाल में हाल ही में सत्ता परिवर्तन और भूटान से बदलाव की आहट ने पहले ही क्षेत्र में पाकिस्तान-चीन गठबंधन के पक्ष में शक्ति संतुलन को बिगाड़ दिया है। अब, शेख हसीना को रास्ते से हटा कर भारत दो विरोधी देशों के मित्रों ने बांग्लादेश में भी जीत हासिल कर ली है। ये हैं विपक्षी नेता खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी।
पाकिस्तान की कोशिशें
हसीना को सत्ता से बेदखल करना पाकिस्तान के लंबे समय से चल रहे प्रयासों का हिस्सा है। वह लगा हुआ था कि हसीना की भारत समर्थक बांग्लादेश अवामी लीग (बीएएल) की सरकार को हटाकर पाकिस्तान समर्थक सरकार स्थापित कर दी जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने न सिर्फ जमात ए इस्लामी और उसके छात्र विंग के चल रहे आंदोलन की फंडिंग की बल्कि उनके आंदोलन को चलाने के तरीके के बारे में रणनीति भी तय की और हसीना के सुरक्षा बलों द्वारा उन पर कार्रवाई किए जाने पर सुरक्षित ठिकानों की व्यवस्था भी की।
अंतिम लक्ष्य कुछ और
पाकिस्तान का अंतिम लक्ष्य शेख हसीना को हटाना ही नहीं है, बल्कि पाकिस्तान समर्थक बीएनपी सरकार के पक्ष में चुनाव कराकर अंतरराष्ट्रीय वैधता हासिल करना है। वह उसी रणनीति पर चल रहा है जिसे उसने पहले कश्मीर में लागू करने की असफल कोशिश की थी। रणनीति ये है कि पहले अशांति, हत्या और आतंकवाद को भड़काया जाए ताकि दुनिया का ध्यान आकर्षित हो जाए। एक बार जब यह हासिल हो जाता है, तो एक तटस्थ सरकार और संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिर से चुनाव चाहते हैं। अभी तटस्थता का मतलब हसीना को बलपूर्वक या अंतरराष्ट्रीय दबाव के जरिए हटाना और फिर चुनाव कराना है। टारगेट सिर्फ बीएनपी और जमात के नेतृत्व में एक नई सरकार बनाने का है।
चिंता की बात
जानकार कहते हैं कि भारत के लिए चिंता का विषय शेख हसीना के पतन से कहीं ज्यादा बांग्लादेश पर कट्टरपंथियों और इस्लामवादियों का कब्जा है।।विपक्षी नेता खालिदा जिया की बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के कट्टरपंथी भारत के लिए मुख्य समस्या हैं। ये तत्व मूल रूप से चीन और पाकिस्तान के समर्थक हैं। उन्होंने अतीत में 'इंडिया आउट' अभियान भी चलाया था, जिसमें शेख हसीना पर भारतीय कठपुतली होने का आरोप लगाया गया था।