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Adolf Hitler History Video: मौत के समय हिटलर के मन में मोहब्बत का पौधा उग आया था, देखें Y-Factor...

मौत के समय हिटलर के मन में मोहब्बत का पौधा उग आया था।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 9 Aug 2021 7:52 PM IST
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Adolf Hitler History Video: उसका चेहरा सूज गया था। चेहरे पर असंख्य झुर्रियां पड़ गई थीं। आंखों से जैसे जीवन ही खत्म हो गया था। कभी-कभी दायां हाथ तेजी से कांपने लगता था। उसे रोकने के लिए बाएं हाथ से उसे पकड़ लेता था। चाल शराबी की तरह लड़खड़ाती थी। थोड़ी दूर चलने के बाद टेबेल का कोना पकड़ लेता था। छह महीने के अंदर दस साल से अधिक का बूढ़ा हो गया था। कंधे झुक गए थे। कपड़े गंदे थे। पूरा शरीर हिलता था।

जानते हैं कौन था? किसके मृत्यु के करीब के ये चित्र हैं। दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह एडोल्फ हिटलर के। यह चित्र खींचा है। हिटलर की जिंदगी का वर्णन करने वाले लेखक राबर्ट पेन ने अपनी किताब- 'द लाइफ एंड देथ आॅफ एडोल्फ हिटलर।' 22 अप्रैल, 1945 को हिटलर ने अपने सभी साथियों से कहा दिया था कि आप चाहे तो बर्लिन से बाहर जा सकते हैं। पर उसकी प्रेमिका इवा ब्राउन ने कहा- 'मैं यही रहूंगी।' यही बात उनकी निजी सचिव त्राउदी जुंगा ने भी कही।

25 अप्रैल, 1945 के बाद से हिटलर के जीवन के सिर्फ एक मकसद था मौत की तैयारी करना। उसने अपने अंगरक्षक हिज लिंगे को कह रखा था कि मैं जब खुद को गोली मारूं। तो मेरे मृत शरीर को चांसलरी के बगीचे में ले जाकर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा देना। इसके बाद मेरी हर चीज जिसे मैंने इस्तेमाल किया है उसे वापस आकर जला देना। ताकि मेरी मौत के बाद न कोई मुझे देखे, न पहचान पाये। हिटलर के जीवनीकार इयान करशां ने लिखा है कि उसने आटो ग्वेंशे से दो सौ लीटर पेट्रोल इसके लिए पहले ही मंगवा लिये थे। हालांकि ग्वेंशे को सिर्फ 180 लीटर ही पेट्रोल मिला था।

सिर्फ अंटन ग्राफ के बनाए गए फ्रेडरिक महान के तैल्य चित्रों को मेरे ड्राइबर को दे देना जिसे वह सुरक्षित बर्लिन से बाहर ले जाएगा। हिटलर ने खुद को और अपनी पत्नी इवा ब्राउन दोनों को गोली मारी थी। जब उसके शव को आग लगाई गई तो उसके साथियों ने हाथ उठाकर कहा-'हेल हिटलर।' यह बात हिटलर के जीवनीकार इयान करशां ने लिखा है।

मौत के समय हिटलर के मन में मोहब्बत का पौधा उग आया था। वाल्टर वैगनर ने इवा ब्राउन से उसकी अंतिम दिन शादी करवाई थी। हिटलर की ओर से गवाह थे माग्दा गोएबेल्स और इवा ब्राउन की ओर से बोरमन। वैगनर शादी का सार्टिफिकेट लाना भूल गए थे। बाद में धमाकों के बीच वापस जाकर सार्टिफिकेट ले आये। इस सार्टिफिकेट पर 29 अप्रैल, 1945 की तारीख दर्ज है। जबकि शादी रात 12 बजकर 25 मिनट पर हुई थी। शादी के सार्टिफिकेट पर इवा हिटलर ब्राउन लिखा है। हिटलर की एक ब्रितानी गर्लफ्रेंड भी थी। जिसका नाम यूनिटी मिट फोर्ड था।

1939 में ब्रिटेन ने जब जर्मनी के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाया तब यूनिटी ने सर में गोली मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की, पर गोली फंस गई। वह बच गई। उसकी मौत 1948 में हुई। यूनिटी की बहन ने ही उसे हिटलर के आत्महत्या की खबर सुनाई थी।

यूनिटी की जीवनी लिखने वाले डेविस प्राएस जोंस के मुताबिक यूनिटी ने अपनी बहन डायना के बढ़ते प्रभाव से परेशान होकर हिटलर को पाने का मन बनाया था। उसने म्यूनिख शहर में हिटलर के ठिकानों को खोजा। बर्लिन ओलंपिक के समय हिटलर ने यूनिटी को अपने बाक्स में बुलाकर सनसनी फैला दी थी। उसे म्यूनिख में एक फ्लैट खरीद कर दिया था। यूनिटी की बहन डायना की शादी ब्रितानी फासिस्ट संघ के नेता ओसवाल्ड भोजली से हुई थी।

खुद को गोली मारने से पहले हिटलर ने साइनाइड के कैप्सूल से मरने के बारे में भी तहकीकात की थी। उन्होंने प्रोफेसर हासे से पूछा था। इसका प्रयोग अपनी प्रिय कुतिया ब्लांडी पर किया। हासे ने हिटलर को बताया कि ब्लांडी को मरने में कुछ सेकेंड से ज्यादा नहीं लगे। उसके मरने के बाद उसके सभी छह बच्चे उसके स्तन से चिपके थे। बाद में उन्हें चांसलरी के बगीचे में लाकर एक-एक कर गोली मारी गई। फिर उसे एक बक्से में दफना दिया गया।

जीवन के अंतिम दिनों में हिटलर जमीन के 50 फीट नीचे बने बंकर में रहते और काम करते थे। हिटलर शैपन पीता था। उसकी पहचान उसके डेंटल ब्रिज से हुई थी।

हिटलर की हैवानियत का सबसे बड़ा कैंप पोलैंड आश्वित्ज था। इस कैंप में पहुंचते ही लोगों के नाम की जगह उनकी बांह पर एक नंबर गोद दिया जाता था। जो उसकी पहचान हो जाता था। यह काम कैदी नंबर-3240 के हवाले था। जिसका असली नाम लुडविग लेल, लाइजेनवर्ग था। स्लोवाकिया में पेदा हुआ लुडविग यहूदी था।

हिटलर ने बर्बरता की सभी सीमाएं लांघ ली थी। यहूदियों को परेशान करने। प्रताडि़त करने के लिए हिटलर के नाजियों ने कुछ भी नहीं छोड़ा। उसने यहूदियों पर पांच तरह के प्रयोग किए।

1- गैस चैंबर प्रयोग- इसमें नाजियों ने यहूदियों को एक ऐसे कमरे में बंद किया जहां खाने-पीने की सारी सुविधाएं थीं। पर कमरे में एक ऐसी गैस छोड़ी गई उस गैस में यहूदियों को बिना सोए एक महीने रहना पड़ता था। इसमें उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता था और मौत हो जाती थी। इसे वर्ष 1940 में किया गया।

2- बोन ट्रांसप्लांट- यह प्रयोग यहूदियों पर नाजियों ने 1942-43 में किया। इसमें मनुष्य की हड्डियों, नसों और मांसपेशियों के अध्ययन का बहाना लिया गया। नाजी डाॅक्टरों ने यहूदियों को बिना बेहोस किए यह प्रयोग किया। जो असफल रहा और लाखों लोग मर गए।

3- ट्विन प्रयोग- इसमें यहूदियों के 15 सौ जुड़वा बच्चों को लिया गया। जिसका उद्देश्य जुड़वा बच्चों के जेनेटिक समानता-असमानता का अध्ययन करना था। इसमें केवल दो सौ बच्चे जीवित बच्चे। इस प्रयोग में क्लोरोफार्म सूंघा कर बच्चों को तुरंत मार दिया जाता था।

4- फीजिंग प्रयोग- जिन जर्मन पार्टो को नार्थसी में गिरा दिया गया था वो जमा देने वाली ठंड में कितने देर जीवित रह सकते थे। इसके लिए प्रयोग किया गया। इस भयानक प्रयोग में कपड़े उतार कर यहूदियों को माइनस छह डिग्री तापमान में फेंक दिया जाता था। फिर उसपर गर्म पानी डाला जाता था। तापमान के उतार-चढ़ाव के चलते उसकी मौत हो जाती थी।

5- सी वाटर प्रयोग- इसमें यहूदियों को समुद्री पानी पीने को दिया जाता था। देखा जाता था कि कितने दिन वो जीवित रहते हैं। नमक की अधिक मात्रा के कारण डिहाइड्रेसन, रक्त की कमी के चलते वे कोमा में चले जाते थे। अधिकतम बारह दिनों में मर जाते थे।

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