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Yogesh Mishra Y factor: CoronaVirus से जल्द मिल सकती है खुशखबरी...

ये दोनों दवाएं मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं...

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 10 Aug 2021 5:15 PM IST
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Yogesh Mishra Y factor: Corona Virus बीमारी के इलाज के लिए अभी दुनिया के डाक्टरों के पास कोई दवा नहीं है। इस महामारी से लड़ने के लिए दुनिया भर का बायोटेक उद्योग दवा और टीका ढूंढने में जुटा हुआ है। सभी देशों में मरीजों पर अलग-अलग दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है। इसके रिजल्ट भी अलग-अलग आ रहे हैं। कुछ दवाओं ने आशा जगाई है। इनमें मलेरिया और एचआईवी की दवाएं शामिल हैं। इनके बारे में व्यापक रिसर्च चल रहे हैं।

क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन

ये दोनों दवाएं मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एड्मिनिसट्रेशन (एफडीए) ने कोविड-19 के मरीजों पर इन दोनों दवाओं के सीमित और आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 19 मार्च को घोषणा की थी कि मलेरिया और गठिया के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्लोरोक्वीन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन/प्लाक्वेनिल को एफडीए द्वारा कोविड -19 के इलाज के रूप में परीक्षण के लिए अनुमोदित किया गया था।

वैसे क्लोरोक्वीन का कई सरकारी एजेंसियों और अकादमिक संस्थानों में परीक्षण चल रहा है। क्लोरोक्वीन की बात चीन से शुरू हुई थी। चीन में कुछ मरीजों में इसके अच्छे परिणाम आए थे। अब ब्रिटेन में 5 हजार मरीजों पर इन दवाओं का ट्रायल किया जा रहा है।

फेविलाविर

यह चीन में कोरोना वायरस के इलाज के लिए पहली स्वीकृत दवा है। चीन के नेशनल मेडिकल प्रोडक्टस एड्मिनिसट्रेशन ने कोरोना वायरस के उपचार के रूप में एक एंटी वायरल दवा 'फेविलाविर' के उपयोग को मंजूरी दी है। इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल 70 रोगियों पर किया गया था। इस परीक्षण में न्यूनतम साइड इफेक्ट सामने आए। यह दवा कोरोना बीमारी के इलाज में प्रभावशाली दिखाई पड़ी है। यह परीक्षण शेन्जेन प्रांत में जारी भी है।

रेमदेसिविर

अमेरिका की बायो-फार्मा कंपनी 'गिलीड साइन्सेज' इबोला की दवा रेमदेसिविर पर काम कर रही है। ये एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटी वायरल है जो कई वायरस की बढ़ोत्तरी रोकने का काम करती है। कोरोना वायरस के इलाज के लिए इस दवा का ट्रायल 761 मरीजों पर जारी है। कोरोना वायरस के मरीजों पर इस दवा के अच्छे नतीजे मिले हैं।

अक्टेम्रा

स्विट्जरलैंड की दिग्गज फार्मा कंपनी की 'अक्टेम्रा' दवा को चीन ने कोरोना वायरस से उत्पन्न गंभीर समस्याओं के इलाज लिए मंजूर किया है। यह दवा मरीज के शरीर के इम्यून सिस्टम के ओवररिएक्शन को रोकती है। इसी ओवररिएक्शन से कुछ मरीजों की मौत तक हो जाती है। चीन में इस दवा का 188 मरीजों पर प्रयोग किया जा रहा है। ट्रायल 10 मई तक चलने की संभावना है।

गलिडेसविर

अमेरिका की बायोक्रिस्ट फार्मा कंपनी की एंटी वायरल दवा गलिडेसविर कोरोना वायरस समेत अनेक विषाणुओं के खिलाफ कारगर दिखाई दी है। यह दवा वायरस की वृद्धि को रोकती है। इबोला, जीका, मारबुर्ग और येलो फीवर जैसे घातक वायरस के खिलाफ गलिडेसविर दवा के लाभदायक परिणाम दिखाई दिये हैं। फिलहाल कोरोना वायरस समेत अनेक वायरस से लड़ने के लिए इस दवा का ट्रायल पशुओं पर किया जा रहा है।

एचआईवी ड्रग्स

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लोपिनाविर, रितोनाविर, दारुनाविर, ल्यूपिम्यून जैसी एचआईवी की तमाम दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है। सिपला, एबवाई, जानसेन फार्मा जैसी कंपनियां पता लगा रही हैं कि इस दवाओं का कोरोना वायरस पर क्या असर पड़ता है। सार्स वायरस प्रकोप के समय से एचआईवी दवाओं की क्षमता परखी जा रही है।

गिम्सिलुमब

स्विट्जरलैंड की फार्म कंपनी 'रोइवन्त साइन्सेज' गिम्सिलुमब नामक दवा पर काम कर रही है। यह कंपनी भारतीय मूल के व्यक्ति विवेक रामसवामी की है।

यह दवाई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है। जो मरीज में वाइरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का काम करेगी। इस दवाई के इस्तेमाल से मरीजों के फेफड़ों को वायरस के नुकसान से बचाया जा सकेगा। इससे मृत्यु दर को कम करने की उम्मीद है।

टीजेएम2

चीन के पुडोंग स्थित 'आई-मैब बायोफार्मा' कंपनी 'टीजेएम2' नामक एंटीबॉडी बना रही है। जो कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण से ग्रसित होते हैं ऐसे में मरीजों में बड़ी मात्रा में 'साइटोकाइन्स' रिलीज होते हैं। जो जानलेवा साबित हो सकते हैं।'

टीजेएम2' इन्हीं 'साइटोकाइन्स' को टार्गेट करेगी। कंपनी ने इस दवा के विकास के लिए अमेरिका के एफडीए के पास आवेदन किया है। मंजूरी मिलते ही दवा पर ट्रायल का काम शुरू हो जाएगा।

एटी-100

अमेरिका की एयरवे थेरापेयूटिक्स कंपनी इनसानों में मौजूद 'एटी-100' नामक प्रोटीन से कोरोना वायरस का इलाज करने की कोशिश कर रही है। प्रीक्लीनिकल अध्ययन में पता चला है कीएटी-100 से फेफड़ों में सूजन और संक्रमण कम होता है।

साथ ही यह प्रोटीन सांस की विभिन्न बीमारियों के खिलाफ इम्यून प्रतिक्रिया पैदा करता है। कंपनी ने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के पास इन दवा का मूल्यांकन करने की अर्जी लगाई हुई है।

टीजेडएलएस-501

लंदन की 'टिजियाना लाइफ साइन्सेज' कंपनी टीजेडएलएस-501 नामक एंटीबॉडी पर काम कर रही है। यह एंटीबॉडी फेफड़ों को क्षति से बचाने और सूजन बढ़ाने वाले आईएल-6 कंपाउंड का स्तर बढ़ने से रोकती है।

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