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Dilip Kumar Journey: बडे दिल वाले दिलीप साहब, किरदार जिनके सामने छोटे पड़ गए

यूसुफ खान कहें या दिलीप कुमार। यह नाम आते ही वो मासूम चेहरा सामने आ जाता है...

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Praveen Singh
Published on: 8 July 2021 9:42 AM GMT (Updated on: 8 July 2021 9:47 AM GMT)
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Dilip Kumar Journey : पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार के उस मकान में लंबे समय से यूसुफ़ खान की यादें बस्ती थी। लेकिन अब मुंबई के अपने मकान व अपने शुभचिंतकों को यादों के सहारे ही हमेशा के लिए छोड़ कर कूच कर गये ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार (Dilip Kumar)। यूसुफ खान कहें या दिलीप कुमार। यह नाम आते ही वो मासूम चेहरा सामने आ जाता है ।जिसने हमेशा से करोड़ों दिलों पर राज किया। 1930 के आसपास, यूसुफ के माता पिता और कई करीबी रिश्तेदार, पेशावर छोड़ कर महाराष्ट्र में देवलाली के पास आकर बस गए थे। देवलाली और नासिक में यूसुफ ने बार्नेस स्कूल तथा बाद में खालसा कॉलेज में पढ़ाई की। यूसुफ के पिता की ख्वाहिश थी कि उनके बेटे को एक दिन 'आर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर' (ओबीई) सम्मान मिले। लेकिन बेटे ने पिता के सपने से बहुत आगे जा कर सम्मान और शोहरत पाई।

बढ़ती उम्र के कारण दिलीप कुमार ने करीब 23 वर्षों पूर्व फिल्मों में काम करना छोड़ दिया था 1998 में आई फिल्म में किला दिलीप कुमार (Dilip Kumar) की आखिरी फिल्म थी। अपनी जीवनी में दिलीप साहब ने लिखा है कि यूसुफ खान को दिलीप कुमार बनाने में मशहूर एक्ट्रेस देविका रानी का हाथ था। कहा जाता है कि पुणे की कैंटीन में काम करने के दौरान ही उस समय की लोकप्रिय अभिनेत्री देविका रानी और उनके पति हिमांशु राय की नजर दिलीप कुमार पर पड़ी। वे उन्हें साथ लेकर मुंबई आ गये। इन्होंने ने ही उन्हें बॉलीवुड में काम करने का मौका दिया। पेशावर के उनके यार राजकपूर फ़िल्मों में पहले ही जम गये थे। देविका रानी ने ही मोहम्मद यूसुफ खान की जगह उन्हें दिलीप कुमार का नया नाम दिया। इसके बाद दिलीप कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 25 साल की उम्र में ही ही वे देश के सबसे लोकप्रिय अभिनेता के रूप में स्थापित हो गए।

उनके सफर की शुरुआत 'ज्वार भाटा' फ़िल्म से हुई। यह सफर 40 के दशक में परवान चढ़ा। सन 44 से 55 तक उन्होंने 23 फिल्मों में काम किया। अपने पांच दशक के कॅरियर के दौरान 60 फिल्मों में काम करने वाले दिलीप कुमार देश के सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करते रहे। उन्हें बॉलीवुड का ट्रेजडी किंग कहा जाता था। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि दिलीप कुमार को बॉलीवुड का ट्रेजडी किंग क्यों कहा गया। दिलीप कुमार ने अपनी अभिनय यात्रा 1944 में आई फिल्म ज्वार भाटा से शुरू की थी। इसके बाद 1949 में आई उनकी दूसरी फिल्म अंदाज ने उन्हें सबके बीच काफी लोकप्रिय बना दिया। अपनी पहली दोनों फिल्मों में दिलीप कुमार (Dilip Kumar) ने ऐसे नायकों की भूमिका निभाई जिसका जीवन दुखों से भरा हुआ है । जो अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की मुसीबतों से संघर्ष कर रहा है।

1951 में आई फिल्म दीदार और 1955 में आई फिल्म देवदास ने दिलीप कुमार को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया। ये दोनों फिल्में सिने प्रेमियों में जबर्दस्त हिट साबित हुई। इन दोनों फिल्मों में अपनी अभिनय क्षमता से दिलीप कुमार ने बॉलीवुड में अलग पहचान बना ली। दोनों फिल्मों के प्रसारण के बाद दिलीप कुमार के बारे में कहा जाने लगा कि ट्रेजडी रोल निभाने में दिलीप कुमार का कोई जवाब नहीं है।

दिलीप कुमार ने अपने कॅरियर के दौरान कई फिल्मों में ऐसा दमदार अभिनय किया जिन्हें फिल्मी जगत कभी नहीं भूल सकता। 1949 में बनी फिल्म अंदाज में दिलीप कुमार ने पहली बार अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया। इस फिल्म में उनके साथ राजकपूर ने भी काम किया था । यह फिल्म काफी हिट हुई। इसके बाद 1951 में आई दीदार और 1955 में आई देवदास जैसी फिल्मों मैं दिलीप कुमार के कॅरियर में चार चांद लगा दिए।

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को मौजूदा पाकिस्तान के पेशावर शहर में हुआ था। उनके बचपन का नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। उनके पिता लाला गुलाम सरवर फल का कारोबार करते थे ।मगर देश विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आकर बस गया। अपनी शुरुआती जिंदगी के दौरान दिलीप कुमार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पिता को व्यापार में जबर्दस्त घाटा लग जाने के कारण दिलीप कुमार पुणे की एक कैंटीन काम करने के लिए मजबूर हो गए मगर यही मजबूरी उनकी जिंदगी के लिए टर्निंग प्वाइंट बन गई।

- 11 दिसम्बर 1922 को पेशावर में जन्मे थे और नाम था मोहम्मद यूसुफ खान।

- भारत में जब यूसुफ खान का परिवार बस गया तब एक बार वे अपने पिता से किसी बात पर नाराज होकर घर छोड़ कर चले गए। यूसुफ खान ने पुणे में आर्मी क्लब के पास सैंडविच का स्टाल लगाया था।

- एक्ट्रेस देविका रानी ने यूसुफ खान को दिलीप कुमार नाम दिया था और बॉम्बे टॉकीज फ़िल्म कम्पनी जॉइन कराई थी।

- दिलीप कुमार की पहली फ़िल्म थी ज्वार भाटा जो 1944 में आई थी। इस फ़िल्म में काम करने के लिए उनको 1250 मासिक वेतन मिला था।

- 60 साल के कैरियर में दिलीप कुमार ने 60 फिल्मों में काम किया। उन्होंने कभी टीवी सीरियल में काम नहीं किया था।

- दिलीप साहब ने 89 वर्ष की उम्र में अपना ट्विटर एकाउंट बनाया था।

- दिलीप साहब ने आने से 22 वर्ष छोटी सायरा बानो से शादी की थी। इस शादी से दिलीप के भाई बहन हमेशा नाराज रहे।

- दिलीप साहब क्रिकेट के बहुत शौकीन थे। 1980 में एक मैच के दौरान उनकी मुलाकात हैदराबाद की अस्मा साहिबा नामक महिला से हुई। दोनों ने शादी कर ली लेकिन दो साल बाद ही अलग हो गए।

- दिलीप साहब 1979 से 1982 तक मुंबई के शेरिफ रहे थे।

- फ़िल्म कोहिनूर के लिए दिलीप साहब ने खासतौर पर सितार बजाना सीखा था।

- सायरा बानो के अनुसार दिलीप साहब को अंताक्षरी खेलने का बहुत शौक था।

- दिलीप कुमार को पश्तो, इंग्लिश, हिंदी और उर्दू पर समान कमांड थी।

- दिलीप कुमार ने फ़िल्म मुसाफिर में लता मंगेशकर के साथ गाना गाया है। ये उनका एकमात्र गाना है।

- दिलीप कुमार का मुंबई में पाली हिल पर बंगला है। इस बंगले पर कब्जे को लेकर दिलीप कुमार के भाई एहसान खान (77) और असलम खान (75) ने कोर्ट में मुकदमा कर रखा है।

- ट्रैजिक रोल करते करते दिलीप साहब की अपनी मनोदशा उदास, निराश और अत्यंत भावुक जैसी हो गई थी। इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश मनोचिकित्सक डॉ निकोल्स से इलाज करवाया था।

- दिलीप कुमार का पुश्तैनी घर पेशावर में है जिसे पिछले महीने सरकार ने अधिग्रहित कर लिया। इस मकान को दिलीप कुमार को समर्पित म्यूज़ियम में तब्दील किया जा रहा है।

- पाकिस्तान सरकार के आग्रह और आमंत्रण पर दिलीप कुमार दो बार पाकिस्तान यात्रा पर गए थे।

- दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए- पाकिस्तान और ब्रिटेन की महारानी से ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर सम्मान मिल चुका है।उनको पूरे फिल्मी जीवन में न जाने कितने ही सम्मानों से नवाजा गया। इसमें आठ तो फिल्म फेयर अवार्डस ही शामिल हैं जिसे हिन्दी फिल्मों का श्रेष्ठ अवार्ड कहा जाता है। इससे पहले उन्हे दादा साहब फाल्के अवार्ड भी मिल चुका था। एक फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के अलावा नेशनल फिल्म अवार्ड पद्मभूषण पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।

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