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Yogesh Mishra Y-Factor: Iran के पहले Supreme Leader Ruhollah Khomeini का रिश्ता UP से है
Yogesh Mishra Y-Factor: ईरान और भारत का क्या रिश्ता हो सकता है? ईरान और उत्तर प्रदेश का क्या कोई रिश्ता हो सकता है? इन दोनों सवालों का जवाब किसी से मांगा जाए तो तपाक से न कह देगा। कह देगा ईरान का भारत से, ईरान का उत्तर प्रदेश से कोई रिश्ता नहीं है। पर यह सही नहीं है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है। प्रधानमंत्री का पद इसी राज्य से होकर गुजरता है। सबसे अधिक सांसद यहीं से हैं। सबसे अधिक विधायक यहीं के हैं। अगर उत्तर प्रदेश से ईरान का रिश्ता निकल आए तो भारत से उसके रिश्ते नहीं होने की बात गलत हो जाएगी।
हकीकत यह है कि ईरान का रिश्ता उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से जुड़ता है। इस जिले के जिस इलाके में पारिजात का वृक्ष है। जहां पांडवों की मां कुंती का बनवाया कुंटेश्वर महादेव मंदिर है। ईरान के पहले सर्वोच्च नेता आयतोल्लह रुहोल्लाह खोमैनी उसी इलाके के एक गांव किंतूर के बाशिंदे रहे हैं। किंतूर आज भी एक छोटा सा कस्बा है।
18वीं सदी में खोमैनी के पूर्वज कुछ समय के लिए भारत आए। भारत में अवध के इलाके में जा बसे। यहां के शासक पर्शियन मूल के इमामिया शिया मुस्लिम थे। आयतोल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी के दादा सैय्यद अहमद मुसावी हिंदी का जन्म किंतूर में हुआ था। मुसावी 1830 में अवध के नवाब के साथ इराक में नजफ की तीर्थयात्रा पर गए। वहां से वो ईरान चले गए। ईरान जाकर खुमैन गांव में बस गए।
इसलिए एक पीढ़ी बाद उनका सरनेम 'खोमैनी' हो गया। कहा यह भी जाता है कि अहमद मुसावी भारत में ब्रिटिश हुकूमत के बढ़ते प्रभाव के कारण यहां से चले गए थे। अहमद मुसावी हालांकि ईरान में बस गए। आयतोल्लह खोमैनी के पूर्वज ईरान के खोरासान प्रांत के मूल निवासी थे।
यहीं पर रुहोल्लाह खोमैनी का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम आयतोल्लाह सैय्यद मुस्तफा मुसावी था। मार्च 1903 में मुस्तफा मुसावी की कुछ लोगों ने हत्या कर दी। रुहोल्लाह खोमैनी गजल भी लिखते थे। कुछ गजलों में उन्होंने 'हिंदी' तखल्लुस का भी प्रयोग किया।
ईरान के पहले शिया 'सर्वोच्च धार्मिक नेता' आयतोल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी के जमाने से दोनों देशों के बीच चली आ रही दुश्मनी युद्ध जैसे हालात बना रही है। ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है।
एक महत्वपूर्ण बात ये है कि 1979 में ईरान की क्रांति के वक्त आयतोल्लाह के कार्यालय ने इस बात का जोरदार खंडन किया था कि उनका रिश्ता भारत से रहा है। आयतोल्लाह ने तो गहरी नाराजगी जताई थी। क्रांति की सफलता के तुरंत बाद ही इस बात को उठाया गया। उस समय यह लग रहा था कि क्रांति के कट्टर राष्ट्रवादियों को भारतीय कनेक्शन नागवार गुजरेगा। बहरहाल, 2014 में नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में ईरान के राजदूत गुलामरजा अंसारी ने कहा था कि आयतोल्लाह खोमैनी अवध के एक महत्वपूर्ण परिवार के थे।