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Jinnah का इस्लाम से नहीं था दूर-दूर का कोई नाता, देखें Y-Factor...
भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था...
Y-Factor Muhammad Ali Jinnah: पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती क्रिसमस के दिन है। पुराने दस्तावेजों के अनुसार जिन्ना का जन्म 20 अक्टूबर, 1875 को हुआ था । लेकिन सरोजिनी नायडू द्वारा लिखी गई जिन्ना की जीवनी के अनुसार, जिन्ना का जन्म 25 दिसम्बर , 1876 को हुआ था, जिसे जिन्ना की आधिकारिक जन्म तिथि मान लिया गया है। मोहम्मद अली जिन्ना के बचपन का नाम महमदअली झीनाभाई था। उनका जन्म कराची ज़िले के वज़ीर मेसन में हुआ था । लेकिन कुछ किताबों में इनका जन्म स्थान झर्क को बताया गया है।
भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था। जिन्होंने मुस्लिम लीग के साथ 1937 में लखनऊ समझौता करवाया था। वह अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। बाद में मतभेदों के चलते जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चौदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा।
जिन्ना मुस्लिम लीग के नेता थे । जिन्ना ने ही पहली बार मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया था। इस लक्ष्य को लाहौर प्रस्ताव कहा जाता है। 1946 में हुए प्रांतीय चुनाव में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई।इसी के बाद जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी के लिए निर्णायक अभियान शुरू किया था।
जिन्ना आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान में, उन्हें आधिकारिक रूप से क़ायदे-आज़म यानी महान नेता। बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। जिन्ना की निजी लाइफस्टाइल बहुत क्लासिक थी। वो उच्च वर्ग के पक्के अंग्रेज वाले तौर तरीकों से रहते थे। इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई पूरी करने वाले सबसे युवा भारतीय जिन्ना ही थे। मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने लन्दन में लॉ की पढ़ाई पूरी कर ली थी। 20 साल की उम्र में जिन्ना बंबई के एकलौते मुस्लिम बैरिस्टर बन गये थे। उस जमाने में जिन्ना सबसे महंगे वकीलों में शामिल थे । जिनकी फीस 1500 रुपये प्रति केस थी।
इंग्लैंड में पढाई करने के दौरान जिन्ना अंग्रेजों की लाइफस्टाइल से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पूरी तरह अंग्रेजियत को अपना लिया। उनके जीवन पर पारसी लाइफ स्टाइल का भी बहुत प्रभाव था। जिन्ना हमेशा सूटेड-बूटेड रहते थे। उनके सूट लन्दन में सवाइल रो फैशन स्ट्रीट के हेनरी पूल एंड कंपनी द्वारा डिज़ाइन किये जाते थे। जिन्ना के पास 200 से ज्यादा सूट थे । जिन्हें वह बढ़िया तरीके से कलफ लगी शर्ट के साथ पहनते थे।
जिन्ना हमेशा सिल्क की बहुत बेहतरीन टाई पहनते थे। उन्होंने कभी एक टाई को दो बार नहीं पहना। एक बार पहनने के बाद वो टाई उनके लिए बेकार हो जाती थी। जिन्ना हमेशा कायदे से ड्रेसअप रहते थे। यहाँ तक कि मृत्युशैय्या पर होने के बावजूद वह अच्छी तरह ड्रेस पहने रहे। उन्होंने उस समय कहा था – 'मैं अपने पैजामे में सफ़र नहीं करूंगा।'
जिन्ना शेरवानी के साथ कराकली टोपी पहनते थे । जो बाद में जिन्ना कैप के नाम से मशहूर हो गयी। जिन्ना ने शेरवानी और टोपी की ड्रेस को 1937 में लखनऊ में हुए मुस्लिम लीग के अधिवेशन में पहली बार पहना था। वह बिलियर्ड के शौक़ीन और बेहतरीन खिलाड़ी थे।
जिन्ना को क्यूबा के सिगार और स्कॉच व्हिस्की का बहुत शौक था। वह सबसे बढ़िया सिगरेट, सिगार और व्हिस्की ही पीते थे। इसके अलावा उनको मांस, खासतौर पर पोर्क मीट खाने का बहुत शौक था। जिन्ना हमेशा अपने साथ महंगी 'क्रेवन ए' सिगरेट का डिब्बा रखते थे। उनकी डेस्क पर सिगरेट के अलावा क्यूबा के हवाना सिगार का भी डिब्बा हमेशा मौजूद रहता था। जिन्ना एक दिन में 50 से ज्यादा सिगरेट पी जाते थे।यह सिलसिला 30 साल तक चलता रहा।
जिन्ना बहुत लिबरल विचारों के थे। उन्होंने कभी नमाज नहीं पढ़ी। उनके जीवन में धर्म का कोई प्रभाव नहीं था। जिन्ना वैसे एक शिया मुसलमान थे। जिन्ना हमेशा इंग्लिश बोलते, लिखते और पढ़ते थे। सिर्फ सार्वजानिक सभाओं में वो उर्दू में भाषण देते थे। इंग्लिश की आदत ऐसी थी कि 1945 के चुनावों के दौरान एक रैली में जिन्ना इंग्लिश में ही भाषण देने लगे।
जालंधर में एक सार्वजानिक सभा के दौरान जब जिन्ना भाषण दे रहे थे । तभी अजान होने लगी। लोग नमाज के लिए तितर बितर हो गए। लेकिन जिन्ना शांत भाव से मंच पर लगी कुर्सी पर बैठ गए । सिगार सुलगा कर कश लगाने लगे। जिन्ना की मां का नाम मिठीबाई और पिता का नाम जिन्नाभाई पुँजा था। उनके पिता जिन्नाभाई एक सम्पन्न गुजराती व्यापारी थे। लेकिन जिन्ना के जन्म के पूर्व वे गुजरात का काठियावाड़ छोड़ सिन्ध में जाकर बस गयेथे। जिन्ना के पूर्वज हिन्दू थे। जिन्होंने इस्लाम क़बूल कर लियाक़त।