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Maharana Pratap History: महाराणा प्रताप की जयंती दो दिन मनाए जाने में गलत क्या ? देखें Y-Factor...
विकीपिडिया समेत सरकारी साइटों पर महाराणा प्रताप की जयंती की तारीख 9 मई, 1540 दर्ज है...
Maharana Pratap History: शायद ही कोई हो जो महाराणा प्रताप का नाम न जानता हो। विरले ही होंगे जो उनकी शौर्य गाथाओं से परिचित नहीं होंगे। अपनी मौत के 450 साल बाद भी महाराणा प्रताप स्वाभिमान और शौर्य के प्रतीक हैं। लेकिन हर साल उनकी जयंती को लेकर विवाद खड़ा हो जाता है। अलग-अलग महीनों की अलग-अलग तारीखों पर। कई बार एक ही महीने की अलग-अलग तारीख पर। उनके अनुयायी उनका जन्मदिन मनाते हैं। इसे लेकर भारी विभ्रम की स्थिति हो जाती है।
इसी साल लें तो उनकी जयंती 9 मई और 6 जून दोनों तरीखों पर मनाई गई। विकीपिडिया समेत सरकारी साइटों पर महाराणा प्रताप की जयंती की तारीख 9 मई, 1540 दर्ज है। इस लिहाज से कई लोग 9 मई को उनकी जयंती मनाते हैं। पर हकीकत यह है कि हिंदू पंचाग के मुताबिक महाराणा प्रताप का जन्म गुरु पुष्प नक्षत्र में जेष्ठ के महीने की तृतीय तिथि को हुआ था। जैसे हर साल हिंदू त्योहारों की तारीखें बदलती हैं। उसी प्रकार महाराणा प्रताप के जयंती का दिन भी बदलता है। हल्दीघाटी म्युजियम के अनुसार भी 1540 में जेष्ठ महीने की तृतीय तिथि 9 मई को पड़ी थी। इसी लिए अंग्रेजी कैलेंडर 9 मई को उनका जन्मदिन मानता है। लेकिन हिंदू पंचाग के मुताबिक जो लोग उनका जन्मदिन मनाते हैं उनके लिए यह तारीख अलग पड़ती है।
जन्म तिथि के साथ ही हल्दीघाटी की लड़ाई को लेकर भी मत वैभिन्न है। इतिहास की मानें तो 21 जून, 1576 के दिन अकबर और राणा प्रताप के फौजों की बीच राजस्थान के उदयपुर शहर के करीब स्थित हल्दीघाटी में जंग की शुरुआत हुई थी। इस लड़ाई में मुगलों की स्पष्ट जीत नहीं मानी जाती। यह भी सत्य है कि महाराणा प्रताप ने अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। 1596 में शिकार खेलते हुए महाराणा प्रताप को चोट लगी और 19 जनवरी, 1597 को 57 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।