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Gandhi Jayanti 2 October: गांधी जी की सफलता के पीछे पत्नी का नहीं दो पुरुषों का हाथ, देखें Y-Factor...

Gandhi Jayanti 2 October 2022: इतिहास गवाह है। खुद बापू ने इस बात को स्वीकार किया था।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 2 Oct 2022 8:18 AM IST (Updated on: 2 Oct 2022 8:20 AM IST)
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Mahatma Gandhi Secrets: अंग्रेजी में यह कहावत आम है कि हर सफल पुरुष के पीछे किसी न किसी स्त्री का हाथ होता है। लेकिन इस कहावत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खारिज करके रख दिया था। उनकी सफलता के पीछे किसी स्त्री नहीं बल्कि पुरुष का हाथ था। दो पुरुषों का हाथ था। इनमें एक पुरुष थे- राजकुमार शुक्ल। दूसरे पुरुष थे- महादेव देसाई।

इतिहास गवाह है। खुद बापू ने इस बात को स्वीकार किया था। राज कुमार शुक्ल का रिश्ता चंपारण आंदोलन से जुड़ता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 10 अप्रैल, 1917 को राज कुमार शुक्ल के आमंत्रण पर ही चंपारण गये थे। गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वे चंपारण की भौगोलिक स्थिति और नाम तक नहीं जानते थे। 1916 में लखनऊ में हुए कांग्रेस अधिवेशन में राज कुमार शुक्ल चंपारण के किसानों की समस्या लेकर महात्मा गांधी से मिले थे। पटना अधिवेशन में भी वह गांधी जी से मिले थे। उन्होंने 1907 में चंपारण में नील की खेती के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था।

गांधी जी यहां पर डाॅ. राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, अनुग्रह बाबू के साथ पहंुचे थे। लोकराज सिंह चंपारण सत्याग्रह के पुरोधा किसान नेता थे। उन्होंने महात्मा गांधी से कहा कि आपके आशा और विश्वास पर अपना सब कुछ गंवाया है। अगर आप चंपारण नहीं आये तो गंगा में कूद कर आत्महत्या कर लूंगा। लोकराज सिंह की यह प्रेम भरी धमकी और राज कुमार शुक्ल का बार-बार का निमंत्रण ऐसा बैठा कि थक हार कर, मन मार कर गांधी जी को चंपारण आना पड़ा। चंपारण गांधी जी के सत्याग्रह की जन्मस्थली बना। इसी आंदोलन के बाद गांधी जी उन दिनों के स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानियों में से सबसे आगे आकर खड़े हो गये। गांधी जी की 125वीं जयंती पर केंद्र सरकार ने राज कुमार शुक्ल पर डाक डिकटजारी किया। चंपारण सत्याग्रह के 100वें साल में बिहार सरकार ने गांधी संग्रहालय में राज कुमार शुक्ल की मूर्ति लगाई।

अरविंद मोहन जी ने चंपारण सत्याग्रह पर दो किताबें लिखीं। पहली- चंपारण सत्याग्रह के सहयोगी। दूसरी- महात्मा गांधी की चंपारण डायरी। राज कुमार शुक्ल की डायरी पर आधारित नोट्स को लेकर बी.एल. दास ने गांधी जी के चंपारण आंदोलन के सूत्रधार नामक किताब लिखी। यह डायरी कैथीलिपि में लिखी गई है। सुजाता चैधरी द्वारा लिखी-चंपारण के गांधी नामक किताब में भी राज कुमार शुक्ल का खासा जिक्र है। बेहद दुःखदाई बात यह है कि राज कुमार शुक्ल की अंत्येष्टी अंग्रेज ए.सी. एम्मन के पैसे से हुई। उन्होंने 300 रुपये दिए थे। एम्मन नील के ठेकेदार थे। 1929 में जब राज कुमार शुक्ल की मृत्यु हुई तब एम्मन ने कहा था कि वह चंपारण का अकेला मर्द था जो मुझसे जिंदगी भर लड़ता रहा। उनकी श्राद्ध सभा में एम्मन ने डाॅ. राजेंद्र प्रसाद से कहा था कि वह भी अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे। तीन महीने बाद एम्मन की भी मृत्यु हो गई।

दूसरे शख्स हैं महादेव देसाई। महादेव देसाई वैसे तो राष्ट्रपिता के सचिव थे। गांधी जी के शब्दों को लिपिबद्ध करने, चिट्ठियां लिखने, दोभाषिय, यात्रा प्रबंधक, वार्ताकार, जेल सहयात्री और रसोइये सरीखे तमाम रोल में महादेव देसाई गांधी जी के साथ थे। पेशे से वकील महादेव जी के बारे में गांधी जी ने लिखा है-तुम बिल्कुल ठीक उसी तरह के युवा हो, जिसकी मैं दो सालों से तलाश कर रहा था। एक ऐसा व्यक्ति मिल गया जिसे मैं आसानी से एक दिन अपना सारा काम सौंप सकूं। जिस पर पूरे विश्वास के साथ भरोसा कर सकूं। तुमने खुद को मेरे लिए अपरिहार्य बना दिया है।

अपने भतीजे मगन लाल को 1919 में गांधी जी ने कहा कि महादेव मेरे लिए हाथ-पैर के साथ ही मेरे मस्तिष्क जैसा है। उसके बिना ऐसा लगता है मानों मैंने अपने पैर और आवाज खो दी है। वह जितना विद्वान है उतना ही भद्र। आजादी के पंच वर्ष पहले ठीक उसी दिन जेल में महादेव देसाई की मौत हो गई। देश के संग्राहलयों में महादेव देसाई द्वारा गांधी जी को संबोधित तीन सौ से अधिक पत्र व टेलीग्राम रखे हैं।

उनकी मौत पर राष्ट्रपिता ने उनके बेटे नाराण देसाई को लिखा- आपके पिता का निधन राष्ट्र के लिए अपूर्णनीय क्षति है। भारत आज बौद्धिक रूप से चार दिन पहले की तुलना में बिपन्न हो गया है। गांधी जी ने एकबार महादेव देसाई के खराब स्वास्थ्य पर छुट्टी लेने को कहा पर वे राजी नहीं हुए। उन्हें काम की सनक थी। तब गांधी जी ने कहा- यदि तुम असक्त हो गये तो मैं बिना पंखों का पक्षी बन जाऊंगा। यदि तुमने बिस्तर पकड़ लिया तो मुझे अपना तीन-चैथाई काम समेटना पड़ेगा। बावजूद इसके स्वतंत्रता आंदोलन में उनके इस योगदान याद ही नहीं किया जाता।



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