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National Anthem Y- Factor | इन राज्यों के विधानसभा में पहली बार बजा राष्ट्रगान Ep-157

यह जानकर आपको ज़रूर हैरत होगी कि भारत में ऐसे भी राज्य हैं जहाँ हाल तक विधानमंडल में राष्ट्रगान नहीं बजाया जाता था।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 31 March 2021 2:17 PM IST (Updated on: 9 Aug 2021 5:38 PM IST)
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यह जानकर आपको ज़रूर हैरत होगी कि भारत में ऐसे भी राज्य हैं जहाँ हाल तक विधानमंडल में राष्ट्रगान नहीं बजाया जाता था। ये राज्य हैं-नागालैंड और त्रिपुरा। जी हाँ, नागालैंड में तो अब जा कर विधानमंडल में जन गण मन की धुन सुनाई दी है। नागालैण्ड एक उत्तर पूर्वी राज्य है। इसकी राजधानी कोहिमा है। दीमापुर सबसे बड़ा शहर है।इस की सीमा पश्चिम में असम से, उत्तर में अरूणाचल प्रदेश से, पूर्व मे बर्मा से और दक्षिण मे मणिपुर से मिलती है। इसका क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किलोमीटर है।

जनसंख्या 19,80,602 है। यह देश का सबसे छोटा राज्य है।यहाँ कुल 16 जनजातियाँ रहती हैं। हर जनजाति अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों, भाषा और पोशाक के कारण दूसरी से भिन्न है। लेकिन भाषा और धर्म दो ऐसे सेतु हैं, जो जनजातियों को आपस में जोड़ते हैं। अंग्रेजी राज्य की आधिकारिक भाषा है। यह ईसाई बाहुल्य राज्य है।

यह पूर्वोत्तर का सबसे तेजी से विकसित होने वाला राज्य है।नागालैण्ड की स्थापना 1 दिसम्बर, 1963 को भारत के 16वें राज्य के रूप मे हुई थी। असम घाटी के किनारे बसे कुछ क्षेत्रों को छोड़कर राज्य का अधिकतर हिस्सा पहाड़ी है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का केवल 9 फ़ीसदी हिस्सा समतल जमीन पर है।

नागालैण्ड में सबसे उँची चोटी माउंट सरामति है । जिसकी समुंद्र तल से उँचाई 3840 मीटर है। यह पहाड़ी और इसकी शृंखलाएँ नागालैंड और बर्मा के बीच प्राकृतिक अवरोध का निर्माण करती हैं। यह राज्य वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता का घर है। कुछ मतों के अनुसार इस राज्य का नाम अंग्रेज़ों ने नागा के आधार पर रखा। सन 1832 में कैप्टन जेनकींस और पेंबर्टन के रूप में पहले यूरोपियन नागालैंड में आये थे।

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रज़ों ने नागा लोगों को युद्ध में लड़ने के लिए फ्रांस और यूरोप भेजा। जब वे भारत वापस आए तो उन्होने नागा नॅश्नलिस्ट मूवमेंट की स्थापना की थी। भारत की आजादी के दौरान नागालैंड असम के अंतर्गत था । लेकिन नागा लोग अपना विकास चाहते थे। इसी कारण से वे किसी केन्द्रीय सरकार से जुड़ना चाहते थे। सन् 1955 में केंद्र ने भारतीय सेना की एक टुकड़ी नागालैंड भेजीं। सन् 1957 में भारत सरकार और नागा लोगों के बीच विलय की बातचीत शुरू हुई।

एक दिसंबर, 1963 को असम से काट कर नागालैंड को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था। राज्य में जनवरी, 1964 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी में पहली विधानसभा का गठन किया हुआ। अब करीब 58 साल बाद पहली बार विधानसभा के बजट अधिवेशन के दौरान सदन में राष्ट्रगान बजाया गया।

यही नहीं, त्रिपुरा में भी वर्ष 2018 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद ही सदन में पहली बार राष्ट्रगान बजाया गया था। हालाँकि सदन में राष्ट्रगान बजाने पर किसी तरह की रोक नहीं थी । लेकिन इसके बावजूद यहां राष्ट्रगान क्यों नहीं गाया जाता था, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती।

बहरहाल, विधानसभा अध्यक्ष शारिंगेन लॉन्गकुमेर ने इस महीने बजट अधिवेशन शुरू होने के मौके पर राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान चलाने का फैसला किया। इसके लिए राज्य सरकार से भी पहले अनुमति ले ली गई थी। उसके बाद राज्यपाल के सदन में प्रवेश करने पर पहली बार राष्ट्रगान बजाया गया। मास्क पहने हुए सभी विधायकों ने एक साथ खड़े होकर सम्मान भी किया। देश आजाद होने के पहले से ही पहले जातीय हिंसा और उसके बाद अलगाववादी आंदोलनों के शिकार रहे नागालैंड के लिए इसे ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष एस लॉन्गकुमेर का कहना है कि उन्होंने सदन में राज्यपाल के अभिभाषण से पहले राष्ट्रगान बजाने का सुझाव दिया था। सरकार ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। विधानसभा अध्यक्ष इस सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं करते हैं कि बाकी राज्यों की तरह नागालैंड में भी अब तक राष्ट्रगान पहले क्यों नहीं बजाया जाता था।

हां, वह यह ज़रूर कहते हैं कि - मैं यहां सदन में राष्ट्रगान बजाने की इस परंपरा की शुरुआत कर गर्र्व महसूस कर रहा हूं। तेरहवीं विधानसभा का हिस्सा बनने के बाद से ही मैं सदन में राष्ट्रगान की कमी महसूस करता था। अध्यक्ष बनने के बाद मैंने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर राय-मशविरा किया। उनकी हरी झंडी मिलने पर सदन में इसे बजाने का रास्ता साफ हो गया।

पड़ोसी राज्य त्रिपुरा की विधानसभा में भी पहली बार 23 मार्च, 2018 को राष्ट्रगान की धुन गूंजी थी। राज्य में भाजपा की सरकार का गठन होने के बाद सदन के पहले अधिवेशन में मुख्यमंत्री के कहने पर राष्ट्रगान की धुन बजाई गई थी। पहले तो यहाँ मुख्यमंत्री कार्यालय में तिरंगा भी नहीं होता था । लेकिन अब उसे वहां लगा दिया गया है। भाजपा का कहना है कि त्रिपुरा पर लंबे समय तक वाम दलों का शासन रहा था। शायद वाम दलों के नेता उतने राष्ट्रवादी नहीं थे ।इसी वजह से न तो मुख्यमंत्री दफ्तर में तिरंगा रहता था। न ही सदन में राष्ट्रगान की धुन बजाई जाती थी।

संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य विधानसभा में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं है। इसे एक परंपरा के तौर पर बजाया जाता है। संविधान में ऐसा कुछ नहीं है कि जिसमें राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य हो। यह तो इस गीत के सम्मान का मामला है। त्रिपुरा उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। ऐसा कहा जाता है कि राजा त्रिपुर, जो ययाति वंश के 39 वें शासक थे।उन्हीं के नाम पर इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा।एक मत के मुताबिक स्थानीय देवी त्रिपुर सुन्दरी के नाम पर यहाँ का नाम त्रिपुरा है। यह हिंदू धर्म के 51 शक्ति पीठों में से एक है।इतिहासकार कैलाश चन्द्र सिंह के मुताबिक यह शब्द स्थानीय कोकबोरोक भाषा के दो शब्दों का मिश्रण है - त्वि और प्रा। त्वि का अर्थ होता है पानी और प्रा का अर्थ निकट।

ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में यह समुद्र के इतने निकट तक फैला था कि इसे इस नाम से बुलाया जाने लगा। महाभारत, पुराणों और अशोक के शिलालेखों में भी त्रिपुरा का उल्‍लेख मिलता है। राजमाला के अनुसार त्रिपुरा के शासकों को 'फा' उपनाम से पुकारा जाता था, जिसका अर्थ 'पिता' होता है।

इसका क्षेत्रफल 10491 वर्ग किमी है। इसके उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है । जबकि पूर्व में असम और मिज़ोरम हैं।राज्य की जनसंख्या लगभग 36 लाख 71 हजार है। अगरत्तला यहाँ का सबसे बड़ा शहर व त्रिपुरा की राजधानी है। यहाँ कोक बेरोक व बंगाली भाषा बोली जाती है।

आधुनिक त्रिपुरा क्षेत्र पर कई शताब्दियों तक त्रिपुरी राजवंश ने राज किया। त्रिपुरा की स्थापना 14वीं शताब्दी में माणिक्य नामक इंडो-मंगोलियन आदिवासी मुखिया ने की थी। जिसने हिंदू धर्म अपनाया था। 1808 में इसे ब्रिटिश साम्राज्य ने जीता।यह स्व-शासित शाही राज्य बना।1956 में यह भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ।भारतीय गणराज्य में विलय के पूर्व यहाँ राजशाही थी।

उदयपुर इसकी राजधानी थी । जिसे अठारहवीं सदी में पुराने अगरतला में लाया गया। उन्नीसवीं सदी में नये अगरतला में। गणमुक्ति परिषद द्वारा चलाए गए आन्दोलनों से यह सन् 1949 में भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ। हालाँकि त्रिपुरा शाही परिवार का एक धड़ा राज्य का विलय पूर्वी पाकिस्तान के साथ चाहता था।

लेकिन त्रिपुरा के आखिरी राजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य (1923-1947) ने अपने मौत के पहले भारत में विलय की इच्छा जाहिर की थी। जिसके बाद भारत सरकार ने त्रिपुरा को अपने कब्जे में ले लिया। राजा वीर चन्द्र माणिक्य महादुर देववर्मा ने अपने राज्य का शासन ब्रिटिश भारत की तर्ज पर चलाया। 21 जनवरी, 1972 को इसे राज्य का दर्जा मिला।

त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है। यह प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों को आकर्षित करता है।हैंडलूम बुनाई यहां का मुख्य उद्योग है। यहाँ विधानसभा में एक ही सदन है। जिसमें साठ विधायक होते हैं। लोकसभा की दो व राज्य सभा की एक सीट है। आठ ज़िले वाले इस राज्य में जनसंख्या घनत्व 350 वर्ग प्रति किलोमीटर है। धान यहाँ की मुख्य फसल है।

जिसकी राज्य के 91 फ़ीसदी ज़मीन में खेती की जाती है। उज्जयन्त महल पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा संग्रहालय है।अगरतला स्थित नीरमहल महत्‍वपूर्ण पर्यटन केंद्र हैं। त्रिपुर सुन्दरी-तलवाडा ग्राम से 5 किलोमीटर दूर स्थित भव्य प्राचीन त्रिपुरा सुन्दरी का मंदिर हैं। जिसमें सिंह पर सवार भगवती अष्टादश भुजा की मूर्ति स्थित हैं। मूर्ति की भुजाओं में अठारह प्रकार के आयुध हैं। इस मंदिर की गिनती प्राचीन शक्तिपीठों में होती हैं। मंदिर में खण्डित मूर्तियों का संग्रहालय भी बना हुआ हैं । जिनकी शिल्पकला अद्वितीय हैं। मंदिर में प्रतिदिन दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता हैं। प्रतिवर्ष नवरात्रि में यहाँ भारी मेला भी लगता है। त्रिपुरा में हिन्दुओं की संख्या लगभग 84 प्रतिशत है। दुर्गा पूजा यहां का प्रमुख त्यौहार है।

Praveen Singh

Praveen Singh

Journalist & Director - Newstrack.com

Journalist (Director) - Newstrack, I Praveen Singh Director of online Website newstrack.com. My venture of Newstrack India Pvt Ltd.

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