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Pathaan: पब्लिसिटी के दम पर खूब चलती हैं फ़िल्में

Pathaan: कहा जा रहा है कि इसका विरोध इस फ़िल्म को फ़्लॉप करा देगा। लेकिन अगर हम पुराने इतिहास को देखें, जिन जिन फ़िल्मों का विरोध हुआ है, वे फ़िल्में सफल हुई हैं। यानी विरोध करने वाले लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 25 Jan 2023 4:27 PM GMT
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Pathaan Controversy: पठान फ़िल्म अंतत: रिलीज़ हो गई। उसके साथ के विवाद और वितंडे भी समानांतर रुप से चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसका विरोध इस फ़िल्म को फ़्लॉप करा देगा। लेकिन अगर हम पुराने इतिहास को देखें, जिन जिन फ़िल्मों का विरोध हुआ है, वे फ़िल्में सफल हुई हैं। यानी विरोध करने वाले लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह क्रियेटिव रिस्पांसिबिलिटी के तहत किया हुआ एक कदम है जो एक ऐसे फ़ार्मूले को सिद्ध करता है, जिस फ़ार्मूले में कहा जाता है कि बदनाम होंगे तो क्या नाम नहीं होगा?

विरोध मतलब प्रचार

फ़िल्म की नायिका दीपिका पादुकोण जिस तरह 'कबेशर्म रंग' गाने पर अलग-अलग ड्रेसों में नज़र आती हैं। अंत में उन्हें भगवा पहनाया जाता है। इसे आप समझ रहे होंगे कि यह क्रियेटिव रिस्पांसिबिलिटी है। पर यह फ़िल्म को प्रचारित करने का एक तरीक़ा है। ताकि इस फ़िल्म को ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखें। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें भी समझ में नहीं आ रहा है कि वह इस फ़िल्म को प्रचारित कर रहे हैं। फ़िल्म को प्रचारित करने के लिए एक बड़ी मैनेजमेंट टीम लगी होती है, उसके जाने अनजाने वे लोग हिस्सा हो जाते हैं। पीआर और पब्लिसिटी कंपनियाँ यह काम करती हैं। और इस जाल में हमको आप को फँसा लेती हैं। एक पुरानी कहावत है - खराब प्रचार जैसी कोई चीज नहीं होती। लेकिन पब्लिसिटी चाहे अच्छी हो या बुरी, बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के प्रदर्शन को बहुत प्रभावित करती है। रिलीज से पहले पब्लिसिटी दर्शकों के बीच रुचि या उत्सुकता की भावना भी पैदा करती है। जिससे बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बढ़ जाता है। पब्लिसिटी पर खर्च किया गया पैसा फिल्म के बजट का हिस्सा होता है।

तो विवाद के पीछे की ये है स्ट्रेटजी

फिल्म कैसी भी हो, उसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को बढ़ाने के लिए मल्टीप्लेक्स का बहुत बड़ा रास्ता अपनाया जाता है। कुछ दशक पहले तक सिर्फ सिंगल स्क्रीन सिनेमा होते थे। सो फिल्म की रिलीज़ काफी सीमित रहती थी। लेकिन मल्टीप्लेक्स की बाढ़ आने और सिंगल स्क्रीन सिनेमा बंद होने से फिल्म डिस्ट्रीब्यूटरों और प्रोड्यूसरों का नुक्सान बहुत फ़ायदा हुआ। होता ये है कि फिल्मों को, खासकर बड़े बजट की फिल्मों को सैकड़ों स्क्रीन पर एक साथ रिलीज़ किया जाता है। इसके पीछे गणित यह होता है कि सैकड़ों स्क्रीन में दर्शकों की बहुत बड़ी संख्या शुरूआती हफ्ते - दो हफ्ते में मिल जायेगी और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन मिल जाएगा। इसमें प्री-रिलीज़ पब्लिसिटी या ऐसे विवाद बहुत कामयाब होते हैं। बहुत सहयोग देते हैं। पठान फिल्म तमाम स्क्रीन पर रिलीज़ हुई है। पठान फ़िल्म के पीछे की यह स्ट्रेटेजी है।

कई ऐसी फ़िल्में बताई जा सकती हैं, जो विवाद का हिस्सा रही हैं और बॉक्स ऑफिस पर उन्होंने बेतहाशा कमाई की है। 2010 में, शाहरुख खान की 'माई नेम इज खान' परेशानी में पड़ गई थी। असल में, शाहरुख ने आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करने के बारे में एक ट्वीट किया। जिस पर शिवसेना ने सख्त ऐतराज़ जताया था। शिवसेना ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। विरोध हुआ। उसके परिणामस्वरूप पहले दिन फ़िल्म के टिकटों की बिक्री प्रभावित हुई। दूसरे दिन टिकटों की खूब बिक्री हुई। और फिल्म ने 223 करोड़ रुपये कमाये।

इन फिल्मों ने विवाद के बाद की रिकार्ड तोड़ कमाई

  • 2016 में करण जौहर की 'ऐ दिल है मुश्किल' को भी विरोध का सामना करना पड़ा था। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने पाकिस्तानी अभिनेता को कलाकारों में शामिल करने पर ऐतराज़ जताया था। करण जौहर को इसके चलते माफी मांगने वाला वीडियो भी बनाना पड़ा था। लेकिन इस विवाद का टिकट बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा बल्कि मदद ही मिली।
  • 2016 में 'उड़ता पंजाब' पर काफी विवाद हुआ। यह विवाद बॉलीवुड बनाम सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी में बदल गया। विवाद ने काफी जिज्ञासा पैदा की और फिल्म चल निकली।
  • आमिर खान की फिल्म 'पीके' की रिलीज के समय भी जमकर बवाल देखने को मिला था। लोगों ने फिल्म पर उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था। विरोध और विवाद के बाद भी यह फिल्म रिलीज हुई और आमिर खान को यह विवाद इतना काम आया कि उनकी फ़िल्म ने 340 करोड़ रुपये कमा कर के दिखा दिये।
  • आमिर खान की फिल्म 'दंगल' के रिलीज से पहले भी विवाद देखने को मिला था।आमिर ने कहा था कि उनकी पत्नी किरण ने कहा है कि देश छोड़ देना चाहिए । यहाँ पर बच्चे उनके सुरक्षित नहीं हैं। देश का माहौल ठीक नहीं है। बच्चों को लेकर के डर लगता है। आमिर खान के इस बयान के बाद देशभर में उनका विरोध हुआ । उनकी इस फ़िल्म का बॉयकॉट हुआ। लेकिन उनकी फिल्म ने 387 करोड़ रुपये कमाये।
  • रणवीर सिंह, एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर की फिल्म 'पद्मावत' का पोस्टर सामने आने के बाद से ही भारी विरोध झेलना पड़ा था। फिल्म के नाम पर भी काफी बवाल किया गया। विरोध को देखते हुए फिल्म निर्माता को फिल्म के कुछ दृश्यों में बदलाव करने पड़े। साथ ही इसके नाम को भी बदल दिया था। फिर भी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 302.15 करोड़ रुपये की कमाई की।
  • आलिया भट्ट की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' को भी काफी विरोध झेलना पड़ा था। सेक्स वर्कर गंगूबाई के जीवन पर आधारित इस फिल्म पर लोगों ने गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। विरोध के बाद इस फिल्म की 121.90 करोड़ रुपये की कमाई हुई ।

बॉयकॉट मतलब प्रमोशन

इस तरह हम देखें तो यह जो विरोध का तरीक़ा है, यह अब फ़िल्म इंडस्ट्री का एक नया एजेंडा और नया हथकंडा हो गया है। हमें आप को इसका शिकार होने से बचना चाहिए। बिना शोर शराबे के जो चीजें आप को ना पसंद हैं, उनका बॉयकॉट करना चाहिए। और जो चीज़ें पसंद हैं उनका बढ़कर के स्वागत करना चाहिए। हम एकदम ऐसा नहीं कर रहे हैं। इसलिए जो लोग क्रियेटिव रिस्पांसिबिलिटी की आड़ लेकर के हमारी आप का भावनाओं, हमारे आप के धर्म और आस्था से खेल रहे है; उनको समझना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। और हम अंतत: उनके ही उस फ़िल्म के प्रमोशन का हिस्सा बन जाते हैं, इसलिए यह सब विरोध और समर्थन सोच समझ के करने का समय है।

Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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