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Satyug Kalyug Video: हजारों साल पहले लिख दी थी आज की बातें, देखें Y-Factor...
श्रीमद् भागवत् ईसा के लगभग एक हजार से 12सौ साल बाद लिखी गई।
Satyug Kalyug: धर्म ग्रंथ सिर्फ उपदेश नहीं देते। वे रास्ता भी सुझाते हैं। इन ग्रंथों को लिखने वाले बहुत दूरअंदेशी होते हैं। श्रीमद् भागवत् ईसा के लगभग एक हजार से 12सौ साल बाद लिखी गई। वाल्मीकि रामायण ईसा से पांच सौ से छह सौ वर्ष पूर्व लिखी गई। लेकिन इन दोनों ग्रंथों में 21वीं शताब्दी के दूसरे चित्र साफ साफ मिल जाते हैं।
श्रीमद् भागवत् में लिखा है कि कलयुग में क्षमा, दया, आयु, पवित्रता, सत्य तथा स्मरण शक्ति क्षीण होती जाएगी। संपत्ति ही मनुष्य के उत्तम जन्म, उचित व्यवहार का लक्षण माना जाएगा। कानून और न्याय मनुष्य के बल के अनुसार लागू होंगे। व्यापार की सफलता कपट पर निर्भर करेगी। स्त्री और पुरुष ऊपरी आकर्षण के कारण साथ रहेंगे। पुरुषत्व और स्त्रीत्व का निर्णय कामशास्त्र में निपुणता पर निर्भर करेगा।
चिकनी चुपड़ी बातें बनाने वाला विद्वान और पंडित माना जाएगा। निर्धन व्यक्ति असाधु माना जाएगा। पेट भरना जीवन का लक्ष्य बन जाएगा। परिवार का पालन पोषण करने वाला व्यक्ति दक्ष समझा जाएगा। धर्म का अनुसरण यश के लिए किया जाएगा। सभी वर्णों में जो सबसे बलवान दिखा सकेगा। वह राजनीतिक शक्ति प्राप्त करेगा। कलयुग समाप्त होने तक सभी प्राणियों के आकार छोटे हो जाएंगे।
राजा प्रायः चोर हो जाएंगे। लोगों का पेशा चोरी करना झूठ बोलना तथा व्यर्थ हिंसा करना हो जाएगा। मनुष्य गधों जैसे हो जाएंगे। मनुष्य क्षुद्र दृष्टि वाले अभागे पेटू तथा दरिद्र होंगे। स्त्रियां एक पुरुष को छोड़कर बेरोकटोक दूसरे पुरुष के पास चली जाएंगी। शहरों में चोरों का दबदबा होगा। नेता प्रजा का भक्षण करेंगे। संन्यासी लालची बन जाएंगे। व्यापारी क्षुद्र व्यापार करेंगे। धोखाधड़ी करके धन कमाएंगे। लोग किसी अधम पेशे को अपनाने को सोचेंगे। नौकर धन से रहित स्वामी को छोड़ देंगे। भले ही वह संत जैसे आचरण वाला क्यों न हो।
मालिक भी अक्षम नौकरों को त्याग देंगे भले ही वह उस परिवार में बहुत काल से क्यों न रहा हो। मनुष्य कंजूस तथा स्त्रियों द्वारा नियंत्रित होंगे। अपने भाई पिता अन्य संबंधियों तथा मित्रों को त्याग कर साले सालियों की संगति करेंगे। क्षुद्र लोग भगवान के नाम पर दान लेंगे और तपस्या का दिखावा कर साधु का वेशधारण कर अपनी जीविका चलाएंगे। धर्म न जानने वाले धार्मिक सिद्धांतों पर प्रवचन करने का ढोंग रचेंगे। लोग थोड़े से सिक्कों के लिए शत्रुता ठान लेंगे। लोग अपने बढ़े माता-पिता, बच्चों व पत्नी की रक्षा नहीं कर पाएंगे। पेट व जननांगों की तुष्टि में लगे रहेंगे।
वाल्मीकि रामायण कहती है सद् ग्रंथ लुप्त हो जाएंगे दंभी अपनी बुद्धि की कल्पना करके बहुत से पंथ प्रकट कर देंगे। शुभ कर्मों को लोभ हड़प लेगा। ब्राह्मण वेदों को बेचने वाले और राजा प्रजा को खा जाने वाले होगे। जिसको जो अच्छा लग जाए, वही मार्ग होगा। डींग मारने वाला पंडित होगा।
मिथ्या आडंबर रचने वाला संत होगा। जो किसी भी तरह दूसरे का धन हरण कर ले वही बुद्धिमान होगा। जो झूठ बोलता है। हंसी दिल्लगी करना जानता है। वही बुद्धिमान कहा जाएगा। सभी लोग वर्ण संकर और मर्यादाच्युत होंगे। पुत्र अपने माता पिता को तभी तक मानेगा जब तक स्त्री का मुंह दिखाई नहीं पड़ेगा। जब से ससुराल प्यारी लगने लगेगी तबसे कुटुम्बी शत्रु हो जाएंगे। राजा पाप परायण होंगे। व्यक्ति जाति से नहीं धन से कुलीन माना जाएगा। अन्न के बिना लोग दुखी होकर जियेंगे और मरेंगे।