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Y-FACTOR Yogesh Mishra: भारत में अब पुरुषों से ज्यादा हैं महिलाएं

भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। देश में 2019 से 2021 के बीच कराए गए पांचवें नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे से पता चला है कि भारत में अब प्रति एक हजार पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Shashi kant gautam
Published on: 13 Dec 2021 5:58 PM GMT (Updated on: 13 Dec 2021 6:30 PM GMT)
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कभी हमारे यहाँ यह नारा दिया गया था- "लड़का लड़की एक समान।" (boy girl alike) फिर यह कहा गया- "हम दोनों का एक सहारा, आपस में क्यों हो बँटवारा।"यानी लड़का हो या लड़की किसी एक बच्चे पर भी लोगों ने संतोष करना शुरू कर दिया। नरेंद्र मोदी का सरकार आई। उसने कहा, " लड़की बचाओ, लड़की पढ़ाओ।" इससे पहले भी कोख में मारी जा रही लड़कियों को लेकर के तमाम तरह की चर्चाएँ, तमाम तरह से लोगों को समझाने का प्रयास हुआ और एक बहुत इमोशनल लेटर भी आप को पढ़ने को मिला होगा जिसमें कोख में मारी जा रही एक बेटी अपने पिता के नाम चिट्ठी लिखती हैं।

नोबेल लारेंट अमर्त्य सेन (Nobel Laurent Amartya Sen) ने भी अपनी किताब में लिखा कि भारत में लड़कियाँ बहुत ग़ायब हो जा रही हैं। प्रियंका गांधी ने नरेंद्र मोदी को जवाब देने के लिए- "लड़की हूँ, लड़ूँगी कहा।" इन सबका नतीजा अब दिखने लगा है यही वजह है कि हाल फ़िलहाल एक सर्वे में यह उजागर हुआ है कि भारत में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज़्यादा है। यदि 1000 लड़के हैं तो लड़कियों। की तादाद 1020 बैठती है। यानी हम लोगों ने लड़का लड़की एक समान करने की जो भी मुहिम चलाई , लड़कियोंको बचाने की जो भी मुहिम चलाई , उसका नतीजा हमारे सामने आ गया है।

भारत में अब प्रति एक हजार पुरुषों पर 1020 महिलाएं

भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। देश में 2019 से 2021 के बीच कराए गए पांचवें नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे से पता चला है कि भारत में अब प्रति एक हजार पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। गिनती में महिलाएं भले ही ज्यादा हैं ।लेकिन जन्म लिंगानुपात ज्यों का त्यों है या बढ़ा है।

करीब साढ़े छह लाख परिवारों में कराए गए इस सर्वे से यह भी पता चला है कि देश में प्रजनन दर घट कर औसत 2 पर आ गई है। शहरी क्षेत्रों में तो यह 1.6 पर है। इसका मतलब है कि पुरानी जेनरेशन की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त बच्चे पैदा नहीं हो रहे हैं। इसका संकेत यह भी है कि भारत की जनसंख्या अब पीक लेवल पर पहुंच चुकी है। अब वह नीचे आना शुरू हो जाएगी। ध्यान देने वाली बात है कि 50 के दशक में देश में महिलाएं औसतन 6 बच्चे जनती थीं । जो अब केवल 2 बच्चे ही जनतीं है।

photo - social media

भारत में सदियों से बच्चियों के जन्म को अभिशाप माना जाता रहा है

भारत में अब महिलाओं की जनसंख्या ज्यादा होना बहुत बड़ी बात है । क्योंकि सदियों से यहां बच्चियों के जन्म को अभिशाप माना जाता रहा है। शायद इसी वजह से महिलाओं की संख्या कम रही है। 1990 में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने इस विषय पर लिखा और बताया था कि किन वजहों से महिलाओं की ये स्थिति है। उस वर्ष प्रति 1000 पुरुषों पर 927 महिलाएं थीं।

बहरहाल, फैमिली सर्वे से इतर, देश में लिंगानुपात की वास्तविक और पूरी तस्वीर अगली जनगणना के बाद पता चल सकेगी। ये गिनती 2021 में ही होनी थी। लेकिन कोरोना के चलते इसे टाल दिया गया है। देश में गिरती प्रजनन दर के आंकड़ों के राजनीतिक मायने भी हैं। असम और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण बिल पेश किए हैं जिसमें दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर सरकारी सुविधाओं में कटौती का प्रावधान है।



महिलाओं और बच्चों में खून की कमी चिंता का कारण

महिलाओं और बच्चों में खून की कमी चिंता का कारण बना हुआ है। 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 13 में आधे से ज्यादा बच्चे और महिलाएं अनीमिया से ग्रसित हैं। यह भी देखा गया है कि 180 दिनों या उससे अधिक समय के लिए गर्भवती महिलाओं द्वारा पर्याप्त मात्रा में आईएफए की गोलियां लिए जाने के बावजूद उनमें एनीमिया के मामले एनएफएचएस-4 की तुलना में आधे राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़े हैं।

महिलाओं और पुरुषों दोनों के मामलों में हाई ब्लड शुगर (high blood sugar) के स्तर में बहुत भिन्नता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में उच्च या बहुत अधिक ब्लड शुगर होने की संभावना जताई गई है। उच्च या बहुत अधिक ब्लड शुगर वाले पुरुषों का प्रतिशत केरल, 27 फीसदी में सबसे अधिक है, इसके बाद गोवा 24 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर है। पुरुषों में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के मामले महिलाओं की तुलना में कुछ अधिक पाए गए हैं।

पिछले चार वर्षों में सुविधाएं हुईं बेहतर

पिछले चार वर्षों में (2015-16 से 2019-20 तक) बेहतर स्वच्छता सुविधा और खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन इस्तेमाल करने वाले परिवारों का प्रतिशत बढ़ा है। स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से अधिकतम घरों में शौचालय की सुविधा प्रदान करने के लिए ठोस प्रयास हुए हैं। देश में प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से घरेलू माहौल में सुधार किया है। उदाहरण के लिए पिछले 4 वर्षों के दौरान सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में खाना पकाने के ईंधन का उपयोग 10 प्रतिशत बढ़ा है। कर्नाटक और तेलंगाना राज्य में इसमें 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।

महिलाओं के ऑपरेटिंग बैंक खातों के संबंध में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। मिसाल के तौर पर बिहार के मामले में यह वृद्धि 50 प्रतिशत दर्ज की गयी है। इस तरह हम कह सकते हैं कि यह आँकड़ा 26 प्रतिशत से बढ़कर 77 फ़ीसदी तक जा पहुँचा है। हालाँकि अन्य राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में महिलाओं के ऑपरेशनल बैंक खातों की तादाद 60 प्रतिशत से अधिक है।

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भारत में महिलाओं की दशा में बेहद सुधार हुआ है

इस सर्वे से यह पता चलता है कि भारत में महिलाओं की दशा में बेहद सुधार हुआ है। अब लोग लड़कियों को भी लड़कों के समान समझने लगे हैं। और लड़की का होना जो अभिशाप माना जाता था, वह दूर हुआ है। वह ख़त्म हुआ है। उम्मीद है इसी तरह हम सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ते हुए आगे बढ़ते रहेंगे। एक नये समाज का निर्माण करेंगे।

Shashi kant gautam

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