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Shiv Sena Congress: शिवसेना कांग्रेस का प्रेम राग तो बहुत पुराना है, बाकी तो समझता जमाना है, देखें Y-Factor...

बाल ठाकरे ने आपातकाल को साहसिक कदम बताते हुए इंदिरा गांधी को बधाई दी थी...

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 10 Aug 2021 4:14 PM IST
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Shiv Sena Congress: महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। यह बात कई लोगों को पच नहीं रही होगी। लोगों को लग रहा होगा कि यह बेमेल रिश्ता कैसे? पर ऐसा नहीं है। कांग्रेस और शिवसेना का यह याराना पुराना है। बीजेपी से सिर्फ उसका तीस साल पुराना रिश्ता है। जबकि कांग्रेस से उसका जन्म से रिश्ता है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में शिवसेना के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। प्रतिभा देवी पाटिल के साथ भी शिवसेना खड़ी थी। ये दोनों कांग्रेस के उम्मीदवार थे। मुखर्जी के सामने एनडीए ने पीए संगमा को उम्मीदवार बनाया था। जबकि प्रतिभा पटिल के सामने भैरव सिंह शेखावत खड़े थे।

शिवसेना ने 1975 में आपातकाल का समर्थन किया था। बाल ठाकरे ने आपातकाल को साहसिक कदम बताते हुए इंदिरा गांधी को बधाई दी थी। मुंबई राजभवन में वह इंदिरा गांधी से मिलने गए थे। 1977 के लोकसभा चुनाव में भी शिवसेना कांग्रेस के साथ खड़ी थी। इसी साल मुंबई के मेयर के चुनाव में शिवसेना ने कांग्रेस उम्मीदवार मुरली देवड़ा को जितवाने में मदद की थी। 1960 के मध्य में शिवसेना की स्थापना बाल ठाकरे ने की थी। उस दौर में समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडीस मुंबई के बड़े नेता थे। मजदूर संगठनों पर उनका कब्जा था। उन्होंने अजेय माने जाने वाले कांग्रेसी नेता एसके पाटिल को हराकर उनकी राजनीति खत्म कर दी। मंुबई में कामगार वर्ग में जार्ज के दबदबे को तोड़ने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे वसंतराव नाईक ने बहुत मदद की। शिवसेना को मजाक में वसंत सेना भी उन दिनों कहा जाता था।

नाईक के बाद शंकरराव चैहान, वसंत दादा पाटिल, शरद पवार, अब्दुल रहमान अंतुले, बाबा साहेब भोसले, शिवाजी राव पाटिल समेत कई कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने शिवसेना की भरपूर मदद की। कांग्रेस के साथ तालमेल करते हुए उन्होंने जिला परिषद, नगर पालिका और नगर निगम में जगह बनाई। ऐसे में कांग्रेस और शिवसेना को एक-दूसरे के लिए अछूत बताने वालों के लिए यह जानना जरूरी है कि दोनों के साथ आने से शिवसेना के हिंदूवादी और कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष चेहरे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शिवसेना का मराठी मानुष भी खतरे में नहीं पड़ेगा।



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