TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Global Gender Gap Report: महिलाओं को भागीदारी देने में अभी भी फिसड्डी है हमारा देश, देखें Y-Factor...

Y- Factor: महिलाओं को भागीदारी देने में अभी भी फिसड्डी है हमारा देश, जानिए हकीकत...

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 14 April 2021 5:53 PM IST (Updated on: 9 Aug 2021 5:54 PM IST)
X

Global Gender Gap Report: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। महिला पुरूष बराबरी का हक़दार। कोख में बेटियों को मत मारो। बेटियों का अपने माता-पिता के नाम भावुक पत्र। स्त्री मुक्ति आंदोलन के तमाम पसरे हुए स्वरूप। इसके बाद भी भारत में स्त्री - पुरुष असमानता बढ़ती जा रही है। यह विश्व आर्थिक मंच का जिसकी रिपोर्ट बताती है । इसके मुताबिक़ भारत एक साल पहले के मुकाबले चार पायदान फिसलकर 112वें स्थान पर पहुंच गया है। सबसे खराब स्थिति स्वास्थ्य और आर्थिक भागीदारी के क्षेत्रों में है । जहां महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत सबसे नीचे स्थान पाने वाले पांच देशों में शामिल है।

विश्व आर्थिक मंच ने अपनी पहली रिपोर्ट 2006 में पेश की थी। उस समय भारत 98वें पायदान पर था। 2019 में भारत 108वें पायदान पर था। 2020 में भारत का स्थान चीन, नेपाल, ब्राजील, इंडोनेशिया और बांग्लादेश से भी नीचे रहा है। चीन को 106 पायदान पर जगह मिली थी। श्रीलंका को 102. नेपाल को 101, ब्राज़ील को 92, इंडोनेशिया को 85 , बांग्लादेश को 50 स्थान हासिल था।

टॉप पर आइसलैंड

सबसे उम्दा स्थिति आइसलैंड की है। आइसलैंड के बाद शीर्ष चार देशों में नॉर्वे, फिनलैंड और स्वीडन का स्थान है। शीर्ष दस देशों में इनके अलावा निकारागुआ, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, स्पेन, रवांडा और जर्मनी हैं।

सबसे खराब

स्त्री-पुरुष समानता में यमन की स्थिति सबसे खराब है। उसे 153वां स्थान मिला है जबकि इराक को 152वें और पाकिस्तान को 151वें पायदान पर रखा गया है।

चार मुख्य कारक

विश्व आर्थिक मंच की इस रिपोर्ट के मुताबिक स्त्री-पुरुष असमानता को चार मुख्य कारकों के आधार पर तय किया गया है - महिलाओं को उपलब्ध आर्थिक अवसर, राजनीतिक सशक्तिकरण, शैक्षणिक उपलब्धियां और स्वास्थ्य एवं जीवन प्रत्याशा।

अंतर पाटने में लग जाएंगे 99 साल

रिपोर्ट में विश्व आर्थिक मंच ने कहा है कि 2019 में स्त्री-पुरुष के बीच विभिन्न क्षेत्रों में जो अंतर है उसे पाटने में 99.5 साल लगेंगे। लेकिन 2018 के मुकाबले इसमें सुधार देखा गया है। जब अनुमान लगाया गया था कि असमानता को दूर करने में 108 साल लगेंगे।

स्त्री पुरुष के बीच राजनीतिक असमानता को खत्म करने में 95 साल लगेंगे।

आर्थिक अवसरों के मामले में स्त्री-पुरुष के बीच अंतर को कम करने में 257 साल लगेंगे।

भारत की रैंकिंग

भारत का स्थान चीन, श्रीलंका, नेपाल , ब्राजील, इंडोनेशिया और बांग्लादेश से भी नीचे है। वैसे, राजनीतिक सशक्तिकरण में भारत की रैंकिंग सुधरी है । जबकि स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा में वह फिसलकर 150वें स्थान, आर्थिक भागीदारी एवं अवसर के मामले में 149वें पायदान और शैक्षणिक उपलब्धियों के मामले में 112वें पायदान पर आ गया है। साल 2006 के बाद से स्थिति खराब हुई है। भारत सूची में शामिल 153 देशों में एकमात्र ऐसा देश है जहां, स्त्री-पुरुष के बीच आर्थिक असमानता, उनके बीच की राजनीतिक असमानता से भी बड़ी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत (35.4 प्रतिशत), पाकिस्तान (32.7 प्रतिशत), यमन (27.3 प्रतिशत), सीरिया (24.9 प्रतिशत) और इराक (22.7 प्रतिशत) में महिलाओं के लिए आर्थिक अवसर बेहद सीमित हैं। इसके अलावा भारत उन देशों में है, जहां कंपनी के निदेशक मंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व (13.8) बहुत कम है। लिंगानुपात की बात करें भारत में 100 लड़कों पर सिर्फ 91 लड़कियां हैं।



\
Praveen Singh

Praveen Singh

Journalist & Director - Newstrack.com

Journalist (Director) - Newstrack, I Praveen Singh Director of online Website newstrack.com. My venture of Newstrack India Pvt Ltd.

Next Story