Aja Ekadashi 2024 Date: अजा एकादशी व्रत कब है? जानिए शुभ योग, मुहूर्त और पारणा का समय

Aja Ekadashi 2024 Date: 2024 में अजा एकादशी व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से परमपद की प्राप्ति होती है

Update: 2024-08-22 12:49 GMT

Ekadashi Vrat ( Social Media Photo)

Aja Ekadashi 2024 Date: अजा एकादशी व्रत कब है ? भाद्रमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। इस साल 2024  में अजा एकादशी की शुरुआत 29 अगस्त 2024 सुबह 01:18 बजे से होगी। साथ ही इस एकादशी का समापन 30 अगस्त 2024 को सुबह 01:36 बजे पर होगा। इसलिए यह एकादशी 29 अगस्त को मनाई जाएगी।इस दिन विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिनुसार व्रत रखने, पूजा करने से परमपद की प्राप्ति और वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की पूजा की जाती है।

अजा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi Shubh Muhurat)

भाद्रमास की अजा एकादशी मुहूर्त 2024

अजा एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 अगस्त, 2024, सुबह 01:18 बजे

अजा एकादशी तिथि समाप्त: 30 अगस्त, 2024, सुबह 01:36 बजे

अजा एकादशी व्रत का पारण समय:30 अगस्त, 2024, सुबह 08:44 बजे से दोपहर 11:12 बजे तक

29 अगस्त को पड़ने वाले अजा एकादशी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं।

पहला शुभ योग यानि सिद्धि योग सुबह से लेकर शाम 6 .18 मिनट तक है।

वहीं दूसरा योग यानि सर्वार्थ सिद्धि योग शाम को 4.39 मिनट से अगले दिन 30 अगस्त को सुबह 5.58 मिनट तक रहेगा।

 इसमे जो कार्य करेंगे, वे सफल सिद्ध हो सकते हैं. व्रत के दिन आर्द्रा नक्षत्र सुबह से शाम 4 . 39 मिनट तक है।

विजय मुहूर्त- 02.10 PM से 02.58 PM

गोधूलि बेला- 06.05 PM से 06.46 PM

अजा एकादशी के दिन व्रत रखकर विष्णु पूजा करना चाहते हैं, सूर्योदय के बाद यानि सुबह 05. 58 मिनट से कर सकते हैं।

इस समय से उनको सिद्धि योग प्राप्त होगा।उस दिन राहुकाल 01:58 PM से 03:34 PM तक है, इस समय में पूजा न करें।
    
 उस दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:28AM से 05:13 AM तक और शुभ मुहूर्त यानि अभिजीत मुहूर्त 11:56 AM से 12:47 PM तक है।

अजा एकादशी पूजा विधि (Aja Ekadashi Puja Vidhi)

इस दिन सुबह उठकर मिटटी के लेप और कुशा से स्नान करना चाहिए। उसके बाद अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, कथा महात्मय सुनने के साथ दान-पुण्य का भी महत्व है। इस दिन पूरे समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है। विष्णु पुराण, व गीता के अनुसार अजा एकादशी करने से समस्त भय और पापों से मुक्ति और मधुसुधन की कृपा बरसती है।

पद्मपुराण और भागवत पुराण के अनुसार इस विष्णु भगवान की पूजा ऋषिकेश स्वरूप में करनी चाहिए । क्योंकि मान्यता है कि शयनावस्था में भगवान विष्णु इस समय वामन रुप में रहते हैं । इसलिए इस रुप की विधि-विधान से पूजा करने और फलाहार से इस दिन परमार्थ की प्राप्ति होती है।


इस एकादशी को राजा हरिशचंद्र ने किया था।अजा एकादशी का व्रत जो रखता है, उसे धन की कमी नहीं रहती है, आर्थिक संकट दूर होता है, साथ ही श्रीहरि की कृपा से उसके संतान पर कोई संकट नहीं आता है. इस व्रत को करने से आपको अपना खोया हुआ धन, संपत्ति, गुण आदि की प्राप्ति हो सकती है।

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