25 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, जानिए शुभ मुहूर्त व नौ देवियों के मंत्र
चैत्र नवरात्रि में अब कुछ दिन ही शेष है। और सबको यही उम्मीद है कि माता रानी वर्तमान हालात को सही कर देंगी। हर साल 4 नवरात्रि मनाई जाती है, इसमें चैत्र व शारदीय नवरात्र का बहुत महत्व होता है। इस बार भी 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष आरंभ हो रहा है। जो नौ दिन तक चलेगा।
जयपुर: चैत्र नवरात्रि में अब कुछ दिन ही शेष है। और सबको यही उम्मीद है कि माता रानी वर्तमान हालात को सही कर देंगी। हर साल 4 नवरात्रि मनाई जाती है, इसमें चैत्र व शारदीय नवरात्र का बहुत महत्व होता है। इस बार भी 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष आरंभ हो रहा है। जो नौ दिन तक चलेगा। इन नौ दिनों में देवी की नौ अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।
बता दें कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। चैत्र नवरात्रि से ही नया हिंदू नववर्ष शुरू होता है। मान्यता है कि नवरात्र में सच्चे मन से आराधना और पूजा करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। चैत्र महीने को हिंदू नववर्ष का पहला महीना भी माना जाता हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि में क्या है खास…
नववर्ष की शुरुआत
25 मार्च से चैत्र नवरात्रि के साथ नया विक्रम संवत 2077 भी शुरू हो जाएगा।नए विक्रम संवत 2077 का नाम प्रमादी रहेगा। प्रमादी का अर्थ बावला, प्रमादमय व पागल होता है। प्रमादी विक्रम संवत 2077 के राजा बुध और मंत्री चंद्रमा होंगे। चैत्र नवरात्रि के दिन गुड़ी पड़वा और झूलेलाल जयंती भी मनाई जाती हैं। चैत्र नवरात्रि नौ दिन 25 मार्च से शुरू होकर 2 अप्रैल तक चलेंगे।
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मुहूर्त
इसके साथ ही इस नवरात्रि में एक विशेष संयोग भी बनता दिख रहा है ।इस बार गुरु, मंगल और शनि का योग बनेगा, जिसमें ये तीनों ग्रह मकर राशि में एक साथ रहेंगे। इसलिए मकर राशि वालों के लिए ये दिन बहुत खास होगा।इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आ रही हैं, इसका तात्पर्य यह होता है कि सर्वसिद्धी की प्राप्ति होगी। इस बार की नवरात्रि 9 दिन की होगी। 9 दिन की नवरात्रि को शुभता और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है 25 मार्च यानी बुधवार के दिन 05 बजकर 57 मिनट पर सूर्योदय होगा, इसके पश्चात कलश स्थापना किया जा सकता है। यदि आप अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना चाहते हैं, तो दिन में 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक कलश स्थापित कर लेना उत्तम रहेगा।
विधि
नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना और कन्या पूजा का विशेष महत्व होता है। पवित्र मिट्टी से बनाए गए वेदी पर कलश स्थापना की जाती है। वेदी पर जौ और गेंहू बो दें और उस पर मिट्टी या तांबे का कलश विधिपूर्वक स्थापित कर दें। इसके बाद वहां गणेश जी, नौ ग्रह, आदि को स्थापित करें तथा कलश पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात माता रानी का षोडशोपचार पूजन करें। इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद अब आप प्रत्येक दिन के आधार पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों रोज विधि विधान से पूजा करें।
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नौ देवियों के बीज मंत्र
शैलपुत्री: ह्रीं शिवायै नम:।
ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
चन्द्रघण्टा: ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
कूष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:।
स्कंदमाता: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
कात्यायनी: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
कालरात्रि: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
महागौरी: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
सिद्धिदात्री: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।