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ज्योतिष की नजर में कोरोना वायरस: इस दिन से मिलेगी राहत, होगी शुभ फलों में वृद्धि

चीन के वुहान से पूरी दुनिया में फैला कोरोना वायरस आज चरम पर है और महामारी का रूप ले चुका है। भारत में भी इसके बहुत से मामले सामने आए हैं, लेकिन लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इस वायरस से कब  मुक्‍ति मिलेगी। ज्योतिष विज्ञान की दृष्‍टि से जानिए से कोरोना वायरस क्यों विश्वस्तर पर एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है।

suman
Published on: 19 March 2020 2:35 AM GMT
ज्योतिष की नजर में कोरोना वायरस:  इस दिन से मिलेगी राहत, होगी शुभ फलों में वृद्धि
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लखनऊ: कोरोना वायरस आज चरम पर है और महामारी का रूप ले चुका है। लाखों लोग इस वायरस से प्रभावित हो चुके हैं। यह महामारी लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में भी इसके बहुत से मामले सामने आए हैं, लेकिन लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इस वायरस से कब मुक्‍ति मिलेगी। ज्योतिष की नजर से जानिए कोरोना वायरस क्यों विश्वस्तर पर एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है।

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ये ग्रह होते हैं महामारी के जनक

आकाश मंडल का हर ग्रह और हमारे शरीर के प्रत्येक तत्व भिन्न या विचित्र स्थिति में होने अथवा असंतुलित होने पर तनाव का कारण बनते हैं। जो ग्रह एक साथ मानव सभ्यता के बड़े हिस्से पर असर डालता हैं, वो हैं शनि, बृहस्पति और मंगल। शनि, राहु और केतु ये तीनों ग्रह अप्रत्याशित परिणामों के जनक माने जाते हैं।

जब-जब ये ग्रह आया स्वराशि में तब-तब महामारी

शनि जब-जब स्वराशि यानी मकर में आता है, तब-तब विचित्र स्थितियां पैदा करता है। शनि दुनिया में बड़ी महामारियों को दावत देता रहा है। इतिहास की बात करें, तो साल 165 ईसवी में जब शनि मकर में प्रवेश किया था, तब इतालवी प्रायद्वीप में चेचक के संक्रमण से 50 लाख लोगों की मौत हुई थी।

साल 252 में जब शनि मकर में पहुंचा, तो कहा जाता है कि ‘प्लेग ऑफ साइप्रियन’ के प्रकोप से रोम में महीनों तक हर रोज औसतन 5,000 लोगों की मौत होती रही। साल 547 में जब शनि अपनी स्वराशि में पहुंचे, मिस्र से बूबोनिक प्लेग फैला, जिसे ‘प्लेग ऑफ जस्टिनियन’ कहा गया। यह वहां से फैलते हुए कुस्तुनतुनिया पहुंच गया, जो एक ऐतिहासिक शहर है। यह रोमन बाइजेंटाइन और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. बाइजेंटीनी इतिहास लेखक प्रोसोपियस के अनुसार, तब प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो रही थी।

सन 1918 में स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी। इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे। उस समय भी बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्‍विक स्‍तर पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ। सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था। ऐसे में जब भी बृहस्पति-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं।

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जब कोरोना वायरस की महामारी फैली हुई है तब भी शनि स्वयं की राशि मकर में ही चक्रमण कर रहे हैं। 15 मार्च से सूर्य का राशि परिवर्तन से कुछ राहत मिलेगी। मंगल अभी गुरु राशि धनु में चलायमान हैं। लेकिन 22 मार्च को जब मंगल शनि की स्वराशि मकर में जाएगा तब शनि के संग युति करके इस महामारी के साथ योग किसी दुर्घटना के साथ प्राकृतिक आपदा से जान-माल की हानि का संकेत है।

बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह

राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों का ग्रह माना गया है। बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है ।ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केस में।

सूर्य ग्रहण सामान्य नहीं था

चार नवम्बर 2019 को बृहस्पति और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवम्बर के महीने में ही सामने आया था। यानि के नवम्बर में बृहस्पति-केतु का योग बनने के बाद ही कोरोना वायरस एक्टिव हुआ। इसके बाद एक और नकारात्मक ग्रह स्थिति बनी जो था 26 दिसंबर को होने वाला सूर्य-ग्रहण जिसने कोरोना वायरस को एक महामारी के रूप में बदल दिया। 26 दिसंबर को हुआ सूर्य ग्रहण सामान्य नहीं था क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के दिन छःग्रहों के (सूर्य, चन्द्रमा, शनि बुध बृहस्पति, केतु) एकसाथ होने से ष्ठग्रही योग बन रहा था जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बहुत तीव्र हो गया था। कुल मिलाकर नवम्बर में केतु-बृहस्पति का योग बनने पर कोरोना वायरस सामने आया और 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बाद इसने एक बड़ी महामारी का रूप धारण कर लिया।

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अनुकूल समय

आने वाले 29 मार्च को बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश होगा जिससे पिछले चार महीनो से चल रहा बृहस्पति-केतु का योग खत्‍म हो जाएगा। ऐसे में 29 मार्च के बाद से कोरोना वायरस के अटैक से राहत मिलना शुरू हो जाएगा और इसके संक्रमण का प्रभाव कम होने लगेगा। 14 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होगा जिसके बाद वैज्ञानिकों को कोरोना वायरस का कोई ना कोई एंटीडोट मिलेगा। 29 मार्च को शाम 7.08 बजे बृहस्पति का मकर राशि में प्रवेश शनि-मंगल को शांत करेगा। शनि-बृहस्पति की युति मौजूदा भयावह स्थिति में शांति का काम करेगी। कहा जा सकता है कि 29 तारीख से कोरोना महामारी की क्षमता में कमी आयेगी। 4 मई को शाम 7.59 बजे जब मंगल शनि से राशि परिवर्तन करेगा और कुंभ राशि में जायेगा, तब नकारात्मकता में कमी आयेगी और शुभ फलों में वृद्धि होगी। इस स्‍थिति में कुल मिलाकर 29 मार्च के बाद एक से डेढ़ महीने के अंदर इस महामारी का प्रभाव भी कम होने की उम्‍मीद है।

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