सीताजी का हैप्पी बर्थडे आज, क्या आपको पता थी ये बात...
कहीं कहीं इस पर्व को जानकी नवमी भी कहा जाता है। इस मत के लोग वैशाख मास की नवमी को सीता जयंती मनाते हैं। लेकिन निर्णयसिंधु के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीताजी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी कहा जाता है।
रामकृष्ण वाजपेयी
ऐसी पौराणिक मान्यता है लेकिन क्या आपको पता है कि माता सीताजी का जन्म किस दिन हुआ था। आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताएंगे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश भगवान श्री राम की जन्मस्थली है और यहां का विशाल भू भाग लंबे समय तक अयोध्या का राज्य क्षेत्र रहा है। खासकर अवध क्षेत्र के राजा राम कहे जाते हैं। उनकी पत्नी माता सीताजी का जन्म धरती से हुआ था।
तो हम आपको बता दें कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन माता सीता की जयंती मनायी जाती है। धार्मिक परंपरा के अनुसार इस दिन माता सीता का जन्मदिन मनाया जाता है।
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धार्मिक ग्रंथो के अनुसार पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए अपनी पत्नी के साथ हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय हल की नोक जमीन के एक भाग में अटक गई खोदने पर वहां से एक घड़ा निकला जिसमें से एक बालिका प्रकट हुई। चूंकि जोती हुई जमीन और हल की नोक को सीता कहा जाता था इस लिए बालिका का नाम भी हल की नोक से जन्म होने के कारण सीता रख दिया गया।
एक और दिन भी मनाते हैं ये पर्व
कहीं कहीं इस पर्व को जानकी नवमी भी कहा जाता है। इस मत के लोग वैशाख मास की नवमी को सीता जयंती मनाते हैं। लेकिन निर्णयसिंधु के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष के दिन सीताजी का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमी कहा जाता है।
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सीता शक्ति, इच्छा-शक्ति तथा ज्ञान-शक्ति तीनों रूपों में होती हैं वह परमात्मा की शक्ति स्वरूपा हैं। माता सीता की शक्ति का उदाहरण हनुमान जी को मिले इस वरदान से पता चलता है जिसमें वह हनुमानजी को निमिष मात्र में अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता बना देती हैं।
इस दिन माता सीता के मंगलमय नाम 'श्री सीतायै नमः' और 'श्रीसीता-रामाय नमः' का जाप करना लाभदायी होता है। चूंकि माता सीता शक्ति व लक्ष्मी स्वरूपा हैं इसलिए इनका व्रत स्त्री पुरुष दोनो के लिए सुख समृद्धि देने वाला होता है।