हरियाली तीज: पति के साथ सात जन्म तक रिश्ता निभाने का पर्व

Update: 2017-07-25 08:12 GMT

लखनऊ:सावन माह की महाशिवरात्रि पर्व मनाए जाने के बाद अब महिलाएं हरियाली तीज की प्रतिक्षा कर रही है। यह पर्व महिलाओं के लिए उतना ही महत्व रखा है, जितना कि करवा चौथ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पर्व पर भगवान शंकर का माता पार्वती से पुनर्मिलन हुआ था। इस पर्व पर महिलाएं जहां करवा चौथ की तरह ही साज श्रंगार करती हैं, वहीं सावन के झूले का आनंद भी उठाती है। आगामी 26 जुलाई को यह पर्व मनाया जाएगा।

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उत्तर भारत में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। वेस्ट यूपी और उत्तराखंड की महिलाओं को इस पर्व का इंतजार रहता है। इस पर्व पर महिलाएं अपने पति का साथ सात जन्म तक पाने के लिए व्रत भी रखती हैं। वेस्ट यूपी में इस पर्व की पहले से ही तैयारी प्रारंभ हो जाती है। इस क्षेत्र में पर्व से पहले ही ग्रामीण क्षेत्रों में आम के बाग तो शहरी क्षेत्रों में महिलाएं एकत्रित होकर गली मोहल्लों में झूले बनवाती हैं और सावन के गीत गाते हुए झूले का आनंद उठाती हैं।

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इस व्रत के माध्यम से महिलाएं भगवान शिव- पार्वती के समक्ष अपनी श्रृद्धा को समर्पित करने का प्रयास करती है। इस दिन को छोटी तीज या श्रवण तीज के नाम से भी जाना जाता है।तीज का आगमन सावन में होने वाली भीगी फुहारों से ही शुरू हो जाता है। जिससे चारों ओर हरियाली भी अपने मधुर गान से इस त्यौहार को मनाने के लिए प्रकृति के गले लग जाती है। इस समय बरसात और प्रकृति के मिलने से पूरे वातावरण में मधुर झनकार सी बजने लगती है। इस त्योहार की मधुर बेला के आगमन के समय नव विवाहिता लड़कियों को उनके ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है, अपने पीहर आने के बाद महिलाएं गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और नाचती हैं। सावन की तीज में महिलाओँ को मायके से काफी भेंट व उपहार मिलते है। जिसमें वस्त्र और मिष्ठान के साथ हरी चूड़ियां, मेंहदी एवं अनेक प्रकार की वस्तुएं होती हैं।

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व्रत को करने की विधि

हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र को बनाए रखने के लिए निर्जला व्रत धारण कर मां पार्वती की स्तुति करती हैं। प्रत्येक सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर नए वस्त्र पहन कर मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। सभी महिलाएं मंदिर में एकत्रित होकर मां पार्वती की बालू से प्रतिमा बनाती हैं और उन्हें सजाकर फल फूल अर्पण कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इस पर्व को महिलाएं बड़ी ही खुशी के साथ नाचते-गाते हुए मनाती है।

 

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