जानिए किससे हुई थी मौली बांधने की शुरुआत, कैसे मिलता है इससे लाभ

किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले और बाद में कुछ परंपराओं का निर्वाह करना पड़ता है। जैसे आचमन, तिलक और कलावा बांधना।  जब भी हम कोई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो तिलक लगाते है, कलावा(धागा,मोली) बांधते हैं। वैसे भी हिंदू धर्म में पूजा के बाद कलाई पर धागा (मौली) बांधने की परंपरा है।

Update:2020-03-23 08:46 IST

लखनऊ: किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले और बाद में कुछ परंपराओं का निर्वाह करना पड़ता है। जैसे आचमन, तिलक और कलावा बांधना। जब भी हम कोई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो तिलक लगाते है, कलावा(धागा,मोली) बांधते हैं। वैसे भी हिंदू धर्म में पूजा के बाद कलाई पर धागा (मौली) बांधने की परंपरा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि धागा बांधना केवल परंपरा में शुमार नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए लाभवर्द्धक है। हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ या फिर यज्ञ, हवन आदि से समय पंडित यजमान की दायीं कलाई में कलावा बांधते हैं। कलावा को मौली और रक्षासूत्र के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि इसके पीछे क्या कारण है?। अगर आपको लगता है कि इसके पीछे सिर्फ धार्मिक कारण है तो ऐसा नहीं है।जी हां, धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी मौली बांधी जाती है।

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इनसे हुई शुरुआत

शास्त्रों में ये कहा गया है कि कलावा या मौली बांधने का प्रारंभ माता लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी। माना जाता है हाथ पर मौली बांझने से जीवन में आने वाले संकट से रक्षा होती है। कलावा को हमेशा बांधते समय एक मंत्र को बोला जाता है-

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।

त्रिदेव का आशीर्वाद

शास्त्रों में कहा गया है कि कलावा बांधने से त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती तीनों देवियों की अनुकूलता का भी फायदा मिलता है। जानें कलावा धारण करने को लेकर क्या कहता है विज्ञान विज्ञान के मुताबिक, शरीर के ज्यादातर अंगों तक जाने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। वहीं जब कलाई पर मौली या कलावा बांधा जाता है तो इससे नसों की क्रिया नियंत्रित रहती हैं। इससे वात, पित्त और कफ की समानता बनी रहती है। माना ये भी जाता है कि कलावा बांधने से हृदय संबंधी रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और पैरालिसिस जैसे रोगों से काफी सुरक्षा होती है। महामारी से भी ये कलावा रक्षा करते हैं।

 

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इन स्थानों पर मौली बांधने से मिलता है लाभ

मौली को शादी शुदा महिलाओं के बाएं हाथ और पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में बांधने का विधान है। चाबी के छल्ले, बही-खाता और तिजोरी जैसी जगहों पर पवित्र मौली बांधने से फायदा होता है, ऐसी मान्यताएं हैं।मान्यता है कि कलावे में देवी या देवता अदृश्य रूप में विराजमान रहते हैं। इसका निर्माण कच्चे सूत से तैयार होता है और यह कई रंगों जैसे पीला, सफेद, लाल या फिर नारंगी रंग से मिलकर बनता है। ऐसा माना जाता है कलाई पर इसे बांधने से आर्थिक समस्या भी दूर होती है।

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