बत्तीसी पूर्णिमा का महत्व: इन चीजों का आज ही करें त्याग, जीवन हो जाएगा खुशहाल

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।अगर संभव हो तो पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें।

Update: 2020-12-30 03:10 GMT
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आरंभ: दिसंबर 29, मंगलवार, को 07:55:58 से, पूर्णिमा समाप्त: दिसंबर 30 बुधवार को 08:59:21 तक है।

जयपुर: आज 30 दिसंबर का दिन हिंदू पंचांग में बहुत महत्व रखता है। इस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा है। धर्मानुसार पूर्णिमा को विशेष तिथि के रूप में देखा जाता है। हर माह की शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि पूर्णिमा कहलाती है। ज्योतिषानुसार, इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा भी ग्रहों की मजबूत स्थिति में रहता है। इस दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन दान का फल अन्य पूर्णिमा व दिनों की तुलना में 32 गुना अधिक प्राप्त होता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।

 

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आरंभ: दिसंबर 29, मंगलवार, को 07:55:58 से, पूर्णिमा समाप्त: दिसंबर 30 बुधवार को 08:59:21 तक है।

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महत्व

धर्मानुसार पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान् सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को किए गए दान का पुण्य न केवल जातक को, बल्कि उसके पूर्वजों को भी मिलता है। अगर कोई जातक सच्चे मन से पूरे विधि विधान के साथ इस व्रत को करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर के पूरे घर में सफाई के बाद गौमूत्र छिड़के। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार पर बंदनवार लगाएं।अगर संभव हो तो पूजा के स्थान पर गाय के गोबर से लीपें और गंगाजल छिड़कें। तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं और प्रणाम कर के तुलसी पत्र तोड़ें। ताजे कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु-लक्ष्मी और श्रीकृष्ण एवं शालिग्राम का अभिषेक करें। अबीर, गुलाल, अक्षत, चंदन, फूल, यज्ञोपवित, मौली और अन्य सुगंधित पूजा सामग्री के साथ भगवान की पूजा करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं।इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा कर के नैवेद्य लगाएं और आरती के बाद प्रसाद बांटें।

इनका करें त्याग

पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं अगर संभव हो तो किसी तीर्थ में नहाएं। इस दिन तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज, मांसाहार, मादक वस्तुएं और शराब से दूर रहें। दिन में न सोएं और झूठ न बोलें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा की जाती है। स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करके आचमन करते हुए ॐ नमोः नारायण कहकर, श्री हरि का आह्वान करें। इसके बाद श्री हरि को आसन, गंध और पुष्प आदि अर्पित करें। अब पूजा स्थल पर एक वेदी बनाकर हवन में अग्नि जलाएं। इसके बाद हवन में तेल, घी और बूरा आदि की आहुति दें। हवन समाप्त होने पर सच्चे मन में भगवान का ध्यान करें। व्रत के दूसरे दिन गरीब लोगों या ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और उन्हें दान-दक्षिणा दें।

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