जन्माष्टमी: इस दिन मनाया जाएगा कान्हा का जन्मोत्सव, जानें विधि और शुभ मुहूर्त

भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है।हर साल भादप्रद माह की अष्टमी के दिन होता है, क्योंकि इसी दिन श्री कृष्ण ने माता देवकी की कोख से जन्म लिया था

Update: 2020-08-04 07:18 GMT
प्रतीकात्मक

लखनऊ : भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है।हर साल भादप्रद माह की अष्टमी के दिन होता है, क्योंकि इसी दिन श्री कृष्ण ने माता देवकी की कोख से जन्म लिया था। कृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र में जन्म लिया था। इसीलिए अगर अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र होता है, तो यह बहुत ही शुभ और विशेष संयोग माना जाता है।

 

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जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में झाकिया लगती हैं और लोग अपने घरों को सजाते हैं। रात के 12 बजे भगवान का जन्म होता है। लोग भगवान कृष्ण के गीत गाते हैं। इस बार 2020 में 12 अगस्त बुधवार के दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से जन्माष्टमी का त्योहार हर साल की तरह नही हों पाएगा। जानते हैं जन्माष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जन्माष्टमी पर कोरोना के पड़ने वाले प्रभाव..

शुभ मुहूर्त

ज्योतिषीय गणना के अनुसार जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। चंद्रमा इस दिन मेष राशि में तो वहीं सूर्य कर्क राशि में रहेगा। इस दिन वृद्धि योग भी बन रहा है। 12:05 am से लेकर 12:47am तक रहेगा, यानि कुल मिलाकर पूजा की शुभ अवधि 43 मिनट तक रहेगी।

 

इस तरह करें तैयारी

जन्माष्टमी के दिन रात को 12 बजकर 5 मिनट पर भगवान की पूजा आरंभ करें। इस दौरान एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इसके बाद बाल गोपाल को किसी स्वच्छ पात्र में रखे। उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। गंगाजल से स्नान कराएं। अब बाल गोपाल को सुंदर वस्त्र पहना कर उनका शृंगार मुकुट, कान की बाली, हाथों के कंगन, बांसुरी आदि से करें। रोली और अक्षत से तिलक करें। तत्पश्चात् कृष्ण जी को झूला झुलाएं और धूप-दीप आदि दिखा कर पूजा करें। माखन मिश्री का भोग लगाएं। कृष्ण जी को तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करें। भोग के बाद गंगाजल भी अर्पित करें। अब भगवान की आरती करें और लोगों को प्रसाद बांटें व स्वयं भी ग्रहण करें। इसके बाद व्रत का पारण करें।

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भाग्योदय ...

 

इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप की पूजा होती है। मान्यता है कि जन्माष्टमी का व्रत और पूजा करने से पापों का नष्ट होता है। नि:संतान दंपत्ति को संतान सुख की प्रप्ति होती है। इस दिन व्रत रखकर सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से लड्डू गोपाल भक्तजन की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। नि:संतान दंपत्तियो को जन्माष्टमी पर रात को कृष्ण जन्म के समय बांसुरी अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से संतान से संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं और संतान दीर्घायु होती है इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भी कोरोना का साया पड़ता दिख रहा है। इस बार मथुरा में बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध होगा।

 

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