हस्तरेखा: हाथ में ऐसे पर्वत, करते हैं जातक को बदनाम, जानिए कब मिलता है सम्मान

यदि सूर्य पर्वत दूषित हो जाए तो व्‍यक्‍ति कामी, लोभी, घमंडी और चरित्रहीन तक बना देता है। सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला किंतु कुटिल स्वभाव वाला होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी पर विश्‍वास नहीं करता।

Update:2021-03-25 09:31 IST
सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ मिलते हैं। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता मिलती है। त्रिशूलाकार चिन्ह यश, आनंद, विलासिता व सफलता प्रदान करता है।

जयपुर: हस्तरेखा से मनुष्य के भूत भविष्य का पता चलता है। आपकी हथेली में रेखाओं के साथ पर्वत भी होते हैं जो जातक के बारे में बताते हैं। इन पर्वतों और निशानों का जीवन में बेहद महत्व है। इन पर्वतों का उन्नत होना उसके शुभ प्रभावों में वृद्धि करता है। इसके साथ अगर इस पर कुछ शुभ निशान भी हों तो वह सोने पर सुहागा होता है। अनामिका अंगुली के नीचे के मांसल भाग को सूर्य पर्वत के नाम से जाना जाता है। यह मनुष्य की प्रसिद्धि और व्यक्तित्व से जुड़ा होता है।

धन का नुकसान करने वाले चिह्न

हाथ में बने निशान व रेखाओं के साथ पर्वतों की स्थिति भी जीवन पर प्रभाव डालती है। इन्हीं पर्वतों में सूर्य पर्वत की अन्‍य ग्रहों के साथ की स्‍थिति भी व्‍यक्‍ति को कई तरह से प्रभावित करता है। सूर्य पर्वत पर तारे का चिह्न हो तो यह धन का नुकसान करने वाला होता है। हालांकि यह व्‍यक्‍ति को अप्रत्‍याशित अप्रसिद्धि भी दिलाता है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शेयर में धन का नाश हो सकता है।

लाभ तथा सफलता

सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ मिलते हैं। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता मिलती है। त्रिशूलाकार चिन्ह यश, आनंद, विलासिता व सफलता प्रदान करता है।

 

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विद्वान, ज्ञानवान

हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्व उन्नत है तो व्यक्ति विद्वान, ज्ञानवान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है। यदि सूर्य और शुक्र पर्वत उभार वाले हैं तो ऐसा व्‍यक्‍ति विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र एवं स्थायी प्रभाव डालता है।

घमंडी और चरित्रहीन

धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय होता है। जिस तरह से सूर्य पर्वत का अच्‍छा होना व्‍यक्‍ति के जीवन में अनेक सुविधाएं और सम्‍मान का कारण बनता है, वैसे ही यदि सूर्य पर्वत दूषित हो जाए तो व्‍यक्‍ति कामी, लोभी, घमंडी और चरित्रहीन तक बना देता है। सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला किंतु कुटिल स्वभाव वाला होता है। ऐसा व्‍यक्‍ति किसी पर विश्‍वास नहीं करता।

कंजूस तथा अविवेकी

अनामिका अंगुली के मूल में सूर्य का स्थान होता है। सूर्य का उभार जितना अधिक होगा, प्रभाव भी उतना ही अधिक प्राप्त होता है। सूर्य पर्वत का उभार अच्छा हो तथा स्पष्ट और सरल सूर्य रखा हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ पशासक, सवो या पुलिसकर्मी, सफल उद्यागे पति हातो है। पर्वत अधिक उभार वाला हो तथा रेखा कटी या टूटी हुई हो तो व्यक्ति घमंडी, अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस तथा अविवेकी होता है ।

अवसाद से पीड़ित

सूर्य पर्वत तथा बुध पर्वत के संयुक्त उभार की स्थिति में योग्यता, चतुराई तथा निर्णय शक्ति अधिक होती है। श्रेष्ठवक्ता सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। ऐसे व्यक्तियों की धन प्राप्ति की महत्वाकाक्षां असीमित होती है। दूषित उभार या अव्यवस्थित रेखाएं धनाभाव की स्थिति बनाती है तथा व्यक्ति जीवन के उत्तरार्ध में अवसाद से पीड़ित हो सकता है।

 

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प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ

तारा का चिन्ह हो तो धनहानि कारक किंतु प्रसिद्धि, अप्रत्याशित रूप से प्राप्त होती है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शयेर में धन का नाश हो सकता है। सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ होते हैं। सूर्य पर्वत पर बिंदु या वृत्त हो तो निश्चित रूप से सूर्योदय के पहले या बाद का जन्म समय तथा आंखों में विशेष परेशानी होती है। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो सर्वत्र लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है। त्रिशूलाकार चिन्ह यश, आनंद, विलासिता व सफलता प्रदान करता है।

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