चुनाव में जीतकर बनना है राजनेता तो करें यह उपाय, कुंडली के इन योग पर भी नजर दौड़ाएं

Update: 2019-03-25 04:51 GMT

जयपुर: आज के समय में राजनेताओं का वही महत्व है जो प्राचीन समय में राजा का होता था। किसी भी देश या राज्य की उन्नति और समृद्धि उसके राजनैतिक नेताओं की कार्यकुशलता निरभर करती है।एक सफल राजनेता वही है जिसमें अच्छी बौद्धिक कुशलता, वाक्शक्ति, अच्छी निर्णय–शक्ति आदि का गुण हो। ज्योतिष सरकारी कार्य और राजनीति के लिए सूर्य को ही कारक मानते है।

“शनि” जनता औरजनता से मिलने वाली सपोर्ट का कारक है इसी तरह कुंडली का “चतुर्थ भाव” भी जनता की सपोर्ट को दिखाता है इसकेआलावा कुंडली का छठा भाव प्रतिस्पर्धा और विरोधियों तथा तीसरा भाव अपनी शक्ति और पराक्रम का कारक होने सेराजनीती में अपनी सहायक भूमिका निभाते हैं।राजनीति के क्षेत्र में सफलता के लिए सूर्य ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि सूर्य को ही सरकार और सत्ताका कारक माना गया है इसके आलावा शाशन की कुशलता, प्रसिद्धि, प्रीतिष्ठा, इच्छाशक्ति और यश का का कारकभी सूर्य ही होता है और राजनीती में आगे बढ़ने के लिए प्रसिद्धि , प्रतिष्ठा का होना बहुत आवश्यक है इसलिए भीराजनीती में सफलता पाने के लिए कुंडली में सूर्य का बलि होना बहुत आवश्यक है।

शनि को जनता और जनता से मिलने वाली सपोर्ट का कारक माना गया है और सक्रीय राजनीति में सफलहोने के लिए जनता का साथ मिलना बहुत आवश्यक है अतः कुंडली में बलवान शनि जनता का सहयोग दिलाकरव्यक्ति को सफल राजनेता बनाता है। कुंडली का चौथा भाव भी जनता का कारक है अतः राजनीती में सफलता के लिए कुंडली के चतुर्थभाव और चतुर्थेश का बलि होना भी बहुत आवश्यक है। कुंडली का छठा और तीसरा भाव प्रतिस्पर्धा की क्षमता और विरोधियों पर विजय को दर्शाता है अतः कुंडली में इन दोनों भावों का बलि होना भी राजनीती में सहायक होता है तथा विरोधियों पर विजय दिलाकर प्रतिस्पर्धा में आगे रखता है।

राजनैतिक सफलता के लिए मुख्य घटक सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव ही होते हैं सूर्य सीधे-सीधे सत्ता और राजनीति का कारक है ही तथा शनि व् चतुर्थ भाव जनता का सहयोग दिलाते हैं अतः निष्कर्षतः राजनैतिक सफलता के लिए कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव का अच्छी स्थिति में होना बहुत आवश्यक है।इसके अतिरिक्त राहु कूटनीति का ग्रह होने से बली या शुभ स्थिति में स्थित राहु की भी यहां सहायक भूमिका होती है। अब यहाँ एक महत्वपूर्ण बात और है राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ने के भी दो मार्ग हैं एक सक्रीय चुनावी राजनीति और दूसरी संगठन की राजनीति, आप राजनीती के क्षेत्र में किसी भी प्रकार जुड़े हों सफलता के लिए कुंडली में सूर्य का अच्छा होना तो आवश्यक है ही परन्तु सक्रीय चुनावी राजनीती में सफल होने के लिए शनि और चतुर्थ भाव का बलि होना बहुत आवश्यक है। जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित होता है उन लोगों को जनता का सहयोग न मिल पाने के कारण वे चुनावी राजनीती में सफल नहीं हो पाते अतः कमजोर शनि वाले लोगों को चुनावी राजनीती में ना जाकर संगठन में रहकर कार्य करना चाहिये।

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विशेष योग

यदि सूर्य स्व या उच्च राशि (सिंह, मेष) में होकर केंद्र, त्रिकोण आदि शुभ भावो में बैठा हो तो राजनीति में सफलता मिलती है। सूर्य दशम भाव में हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो राजनीति में सफलता मिलती है। सूर्य यदि मित्र राशि में शुभ भाव में हो और अन्य किसी प्रकार पीड़ित ना हो तो भी राजनैतिक सफलता मिलती है। शनि यदि स्व, उच्च राशि (मकर , कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र त्रिकोण आदि शुभ स्थानों में बैठा हो तो राजनीती में अच्छी सफलता मिलती है।

यदि चतुर्थेश चौथे भाव में बैठा हो या चतुर्थेश की चतुर्थ भाव पर दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को विशेष जनसमर्थन मिलता है।चतुर्थेश का स्व या उच्च राशि में होकर शुभ स्थानं में होना भी राजनैतिक सफलता में सहायक होता है।बृहस्पति यदि बलि होकर लग्न में बैठा हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है। दशमेश और चतुर्थेश का योग हो या दशमेश चतुर्थ भाव में और चतुर्थेश दशम भाव में हो तो ये भी राजनीती में सफलता दिलाता है।सूर्य और बृहस्पति का योग केंद्र ,त्रिकोण में बना हो तो ये भी राजनैतिक सफलता दिलाता है।बुध-आदित्य योग (सूर्य + बुध) यदि दशम भाव में बने और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो राजनैतिक सफलता दिलाता है।

कुंडली में सूर्य , शनि और चतुर्थ भाव बलि होने के बाद व्यक्ति को राजनीति में किस स्तर तक सफलता मिलेगी यह उसकी पूरी कुंडली की शक्ति और अन्य ग्रह स्थितियों पर निर्भर करता है।जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु से पीड़ित हो अष्टम भाव में हो या अन्य प्रकार पीड़ित हो तो राजनीति में सफलता नहीं मिल पाती या बहुत संघर्ष बना रहता है। शनि पीड़ित या कमजोर होने से ऐसा व्यक्ति चुनावी राजनीति में सफल नहीं हो पाता, कमजोर शनि वाले व्यक्ति की कुंडली में अगर सूर्य बलि हो तो संगठन में रहकर सफलता मिलती है।

उपाय राजनीती में जाने की इच्छा रखने वाले लोगों को सूर्य उपासना जरुर करनी चाहिये।

आदित्य हृदय स्तोत्र का रोज पाठ करें।सूर्य को रोज जल अर्पित करें। ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें।

 

 

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