जयपुर: कुंडली जन्म के समय बनाई जाती है जो पूरी जिंदगी चलती है।जीवन उसी कुंडली के अनुसार ही चलता है।इस जन्म में आपके हाथ में अब कुछ नहीं है। कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन अगर कुंडली में ही भविष्य निर्धारित है तो आपको इस जन्म में कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं है, क्योंकि आपका भाग्य तो पहले ही लिख गया है। अगर ऐसा ही सत्य है तो यहां कर्म की कोई महत्ता नहीं बची है। इसका मतलब तो है कि यह जीवन निरर्थक है।
कुंडली जो बनती है वह पूर्व जन्मों के कर्म के अनुसार बनती है। अपने पूर्व जन्मों में जैसे कर्म किए होंगे उसी के अनुसार कुंडली निर्धारित की गई है। इस बात को इस प्रकार समझ सकते हैं कि परीक्षा तो बाद में होती है पहले साल भर बच्चे की पढ़ाई कराई जाती है उसके बाद परिणाम आता है। उसी प्रकार हम सभी ईश्वर के बच्चे हैं। पहले अपनी मनमानी तरीके से जिंदगी जीते हैं। जो मन में आया वह किया। अच्छा किया या बुरा किया था। लेकिन उसका परिणाम कुंडली के रूप में बाद में आता है। जिसमें पूर्व जन्मों का लेखा-जोखा लिखा हुआ है।
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जो आपकी कुंडली में पहले से लिख कर आया है तो वह ठीक लेकिन इस जन्म में भी आपके पास बहुत कुछ है। चाहे तो अपने कर्मों से ईश्वर के प्रति अपने समर्पण या अपने हठ योग से अपनी कुंडली को बदल सकते हैं। उसी प्रकार यह जिंदगी भी होती है। दूसरों को सताएंगे या किसी का हक मारेंगे तो भविष्य या कुंडली अच्छी बनेगी। बेईमानी से क्या सुखी जीवन की उम्मीद नहीं लगा सकते है। अच्छे कर्म करने से ईश्वर के प्रति श्रद्धा, पूजन-हवन , दान-पुण्य करने से भी व्यक्ति की कुंडली संवरती है।
कुंडली में लिखी बातें पूरी तरह से गलत नहीं हो सकती हैं लेकिन कर्मों से उसका असर कम या ज्यादा जरूर किया जा सकता है। अगर कुंडली में तेज धारदार हथियार से जख्मी होने का योग है तो हो सकता है , तलवार की जगह सुई ही लग जाए। उसी से थोड़ा सा खून निकल जाए। कुुंडली में अगर वाहन से चोट खाने का योग है तो अगर धीमी गति से और पूरी तरह से मुस्तैद होकर गाड़ी चलाएंगे तो हो सकता कि कोई एक्सीडेंट होने पर ज्यादा चोट न लगे। अपने कर्मों के प्रभाव से ग्रह के प्रभाव को तो नहीं टाल सकेंगे लेकिन उसके प्रभाव को तो जरूर कम कर सकते हैं। समय के प्रभाव को भी कम या ज्यादा किया जा सकता है। इसका परीक्षण कर स्वयं भी अनुभव किया जा सकता है। अपने अच्छे कर्मों से कुंडली संवारी जा सकती है।