इनकी वजह से भगवान शिव को जाना पड़ा बद्रीनाथ से बाहर,पुराणों में हैं वर्णन

कहते है बालक के भेष में आए भगवान विष्णु को इसी मौके का इंतजार था। उन्होंने तुरंत घर का दरवाजा अदंर से बंद कर लिया। जब भगवान शिव और माता पार्वती वापस लौटे तो उन्हें घर का दरवाजा अंदर से बंद मिला।

Update: 2019-05-24 09:16 GMT

जयपुर: केदारनाथ और बद्रीनाथ के पट खुलने के बाद उत्तराखंड स्थित धाम की यात्रा के लिए भक्त लम्बे समय तक इंतजार करते हैं एवं बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शन करते हैं। कहते है कि बद्रीनाथ में भगवान शिव वास करते थे और उन्हें एक बच्चे की वजह से बद्रीनाथ से पलायन कर केदारनाथ जाकर बसना पड़ा था। पुराणों में बताई गई है इससे जुड़ी कथा। भगवान शिव को बद्रीनाथ छोड़ केदारनाथ की ओर करना पड़ा गमन।

पुराणों में दर्ज कथा के अनुसार सतयुग के दौरान जब भगवान श्री नारायण बद्रीनाथ आए तब यहां बद्रियों बेर का वन था। यहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ आनंदपूर्वक रहते थे। माना जाता है कि एक दिन श्रीहरि विष्णु बालक का रुप धारण कर रोने लगे, जिसकी आवाज सुनकर माता पार्वती सोचने लगी कि आखिर इस वन में यह कौन बालक रो रहा है?माता पार्वती को उस बालक पर दया आ गई, जिसके चलते वह उसे अपने घर ले आईं। यह देख भगवान शिव तुरंत समझ गए कि ये श्री हरि विष्णु की लीला है। उन्होंने माता पार्वती से बालक को घर से बाहर छोड़ने को कहा लेकिन वह नहीं मानी और उस बालक को घर लाकर सुलाने लगी।

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कुछ देर बाद जब बालक सो गया तो माता पार्वती और भगवान शिव दोनों साथ में कुछ दूर घूमने चले गए। कहते है बालक के भेष में आए भगवान विष्णु को इसी मौके का इंतजार था। उन्होंने तुरंत घर का दरवाजा अदंर से बंद कर लिया। जब भगवान शिव और माता पार्वती वापस लौटे तो उन्हें घर का दरवाजा अंदर से बंद मिला।

जब उन दोनों ने बालक से दरवाजा खोलने को कहा तब अंदर से भगवान विष्णु ने कहा कि अब आप ये जगह भूल जाइए, मुझे ये पसंद आ गया है। मुझे यहीं विश्राम करने दिजिए। आप केदारनाथ चले जाइए। कहते हैं कि तब से लेकर आज तक बद्रीनाथ यहां पर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं, साथ ही भगवान शिव केदारनाथ में दर्शन दे रहे हैं।

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