इन मंत्रों का इस पवित्र मास में करें जाप, सदैव बना रहेगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद
हिंदू धर्म और पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। पुराणों के अनुसार, इस महीने में जल दान करने यानी प्यासों को पानी पिलाने से भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शिव तीनों प्रसन्न हो जाते हैं। इस बार वैशाख मास का की शुरूआत तो हो गई है, लेकिन 7 मई तक रहने वाले इस मास में लोग कोरोना महामारी के चलते धर्म-कर्म नहीं कर पा रहे हैं।
लखनऊ: हिंदू धर्म और पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। पुराणों के अनुसार, इस महीने में जल दान करने यानी प्यासों को पानी पिलाने से भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शिव तीनों प्रसन्न हो जाते हैं। इस बार वैशाख मास का की शुरूआत तो हो गई है, लेकिन 7 मई तक रहने वाले इस मास में लोग कोरोना महामारी के चलते धर्म-कर्म नहीं कर पा रहे हैं। जितना हो सके घरों पर ही रहकर ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्त कर रहे हैं। इस महीने के बारे में धर्म ग्रंथों में लिखा है कि-
न माधवसमो मासों न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।
(स्कंदपुराण, वै. वै. मा. 2/1)
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अर्थात वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। स्वयं ब्रह्माजी ने वैशाख को सब मासों से सर्वोत्तम है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला इसके समान दूसरा कोई मास नहीं है। जो भी इस मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उसपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती है। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल मिलता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है। अगर कोई इस मास में जलदान नहीं कर सकता। यदि वह दूसरों को जलदान का महत्व समझाए, तो भी उसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस मास में प्याऊ लगाता है, वह स्वर्ग को जाता है।
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मंत्रों का ध्यान
एक साल में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने के स्वामी एक विशेष देवता माने गए हैं। उनके पूजन की विधि भी अलग बताई गई है। उसके अनुसार वैशाख मास के स्वामी भगवान मधुसूदन हैं। धर्मानुसार सूर्यदेव के मेष राशि में आने पर भगवान मधुसूदन को प्रसन्न करने के लिए वैशाख मास में स्नान का व्रत लेना चाहिए। स्नान के बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करना चाहिए। इसके बाद भगवान मधुसूदन से इस प्रकार प्रार्थना करनी चाहिए-
मधुसूदन देवेश वैशाखे मेषगे रवौ।
प्रात:स्नानं करिष्यामि निर्विघ्नं कुरु माधव।।
वैशाखे मेषगे भानौ प्रात:स्नानपरायण:।
अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।