11 मई गंगा सप्तमी, शिव की जटा से धरती पर ऐसे आईं मां गंगा

Ganga Saptami 2019: हिंदू धर्म शास्त्र की पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु के पैर में पैदा हुई पसीने की बूंद से मां गंगा का जन्म हुआ था। जानिए कहानी...

Update: 2019-05-10 10:10 GMT

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी 11 मई को पड़ रही है। वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन ही परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से पहली बार गंगा अवतरित हुई थीं। ऋषि भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आईं थीं। कहते हैं कि इस दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने वाले भक्त के सारे पाप कर्मों का नाश होता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यह भी देखें... यंग का शतक, आस्ट्रेलिया एकादश को जीत के लिये 287 रन का लक्ष्य

इस पवित्र दिन गंगा तट पर भक्तों की भारी भीड़ जमा होती होती है। सुबह उठकर लोग गंगा स्नान कर मां गंगा से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इसके बाद ऋषि की पूजा-अर्चना करने के बाद भोजन प्रसाद का वितरण किया जाता है।

ऐसे धरती पर आईं गंगा:

हिंदू धर्म शास्त्र की पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु के पैर में पैदा हुई पसीने की बूंद से मां गंगा का जन्म हुआ था। एक अन्य मान्यता है कि गंगा की उत्पत्ति परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से हुई है। ऐसा भी जिक्र मिलता है कि आज के दिन ही राधा-कृष्ण रासलीला करते हुए एक दूसरे में इतना खो गए कि दोनों ने पानी का रूप ले लिया। इसी निर्मल जल को ब्रह्मा ने अपने कमंडल में धारण किया।

सर्वाधिक प्रचलित मान्यता है कि ऋषि भागीरथ ने राजा सागर के 60,000 बेटों के उद्धार के लिए, उन्हें कपिल मुनि के श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए और धरती वासियों की प्यास बुझाने के लिए कई सालों तक गंगा की तपस्या की। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने पृथ्वी पर आना स्वीकार किया।

यह भी देखें... अंकिता रैना महिला टेनिस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंची

लेकिन जब धरती ने गंगा के अवतरण की बात सुनी वो गंगा के वेग के बारे में सोचकर वो डर से कांपने लगी। इसपर भागीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि कृपा कर गंगा का वेग कम करें जिससे कि धरती को कोई नुकसान न हो।

तब गंगा सप्तमी के दिन ही गंगा शिव की जटा में समाईं और उनका वेग कुछ कम हुआ। इसके बाद भगवान शिव की जटा से होते हुए मां गंगा धरती लोक में अवतरित हुईं।

Tags:    

Similar News