Hanumanji: हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विधि और लाभ

Hanumanji: हनुमान जी को चोला चढ़ाने से जातक के उपाय चल रही शनि की साढ़े साती, ढैया, दशा या अंतरदशा या राहू या केतु की दशा या अंतरदशा में हो रहे कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

Update:2023-05-12 04:18 IST
Method and benefitsoffering chola to Hanuman ji (Photo-Social Media)

Hanumanji: श्री हनुमान जी को चोला चढाने से साधक को श्री हनुमान जी कृपा प्राप्त होती हैं ।ऐसा करने से श्री हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी को चोला चढ़ाने से जातक के उपाय चल रही शनि की साढ़े साती, ढैया, दशा या अंतरदशा या राहू या केतु की दशा या अंतरदशा में हो रहे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। साथ ही साधक के संकट और रोग दूर हो जाते हैं । जातक की दीर्घायु होती है।

यह तो आप सब जानते है की भगवान श्री हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार हैं ! हमारे हिन्दू धर्म में सिंदूर का महत्व बताया गया हैं! ऐसे ही हमारे हिन्दू धर्म में की भी मान्यता हैं ! साधक श्री हनुमान जी को ख़ास कर सिंदूर का चोला चढाने से श्री राम जी की भी कृपा प्राप्त होती हैं यह आपको रामायण में वर्णित मिल जायेगा। इस लेख को पढ़ने के बाद आप हनुमान जी चोला चढ़ाने में आगे से कोई भी गलती नही होगी।

हनुमान जी को चोला चढ़ाने की सामग्री

हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए श्री हनुमान जी वाला सिंदूर, गाय का घी या चमेली का तेल, शुद्ध गंगाजल मिश्रित जल, चांदी या सोने का वर्क या माली पन्ना (चमकीला कागज), धुप व दीप , श्री हनुमान चालीसा।

चोला चढ़ाने की विधि

हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराना चोला उतारकर साफ़ गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिये। स्नान के बाद प्रतिमा को साफ कपड़े से पोछने के बाद सिंदूर में घी या चमेली का तेल मिलाकर गाढ़ा लेप बना ले इसके बाद सीधे हाथ से हनुमान जी के सर से आरम्भ करके सम्पूर्ण शरीर पर लेपन करें।

सावधानियां

  • श्री हनुमान जी को चोला मंगलवार, शनिवार या विशेष पर्व जैसे की श्री हनुमान जंयती, रामनवमी, दीपवाली, व् होली के दिन चढ़ा सकते है । इसके अलावा अन्य दिन चढ़ाना निषेध माना गया हैं ।
  • श्री हनुमान जी के लिए लगाने वाला सिंदूर सवा के हिसाब से लगाना चाहिए ! जैसे की सवा पाव ,सवा किलो आदि ।
  • सिंदूर में मंगलवार के दिन देसी गाय का घी एवं शनिवार के दिन केवल चमेली के तेल का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक को पवित्र यानी साफ़ लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए ।
  • श्री हनुमान जी चोला चढाते समय सिंदूर में गाय का घी या चमेली का तेल ही मिलाना चाहिए ।
  • हनुमान जी को चोला चढ़ाने से पहले पुराने छोले को उतारना जरुर चाहिए और उसके बाद उस चोले को बहते हुए जल में बहा देना चाहिए ।
  • श्री हनुमान जी की प्रतिमा पर चोला का लेपन अच्‍छी तरह मलकर, रगड़कर चढ़ाना चाहिए उसके बाद चांदी या सोने का वर्क चढ़ाना चाहिए !
  • चोला चढ़ाते समय दिए गये मंत्र का जाप करते रहना चाहिए !
  • हनुमान जी को चोला चढ़ाने का मन्त्र
  • सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये । भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम ।।
  • श्री हनुमान जी को स्त्री द्वारा चोला नही चढ़ाना चाहिए और ना ही चोला चढ़ाते समय स्त्री मंदिर में होनी चाहिए।
  • हनुमान जी को चोला चढ़ाने के समय साधक की श्वास प्रतिमा पर नही लगनी चाहिए ।

श्री हनुमान जी को चोला सृष्टि क्रम ( पैरों से मस्तक तक चढ़ाने में देवता सौम्य रहते हैं ) में चढ़ाना चाहिए । संहार क्रम ( मस्तक से पैरों तक चढ़ाने में देवता उग्र हो जाते हैं ) । यदि आपको कोई मनोकामना पूरी करनी है तो पहले उग्र क्रम से चढ़ाये मनोकामना पूरी होने के बाद सोम्य क्रम में चढ़ाये । चोला चढ़ाने के बाद हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाकर नीचे दिए क्रम से धूप दीप के बाद क्षमा याचना करें।

धूप-दीप

अब इस मंत्र के साथ हनुमानजी को धूप-दीप दिखाएं -

साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।

दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।

भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।।

त्राहि मां निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।

ऊँ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि।।

पूजन वंदन -

इसके पश्चात एक थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर 11 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करे व अंत में श्री हनुमानजी की आरती करें। इस प्रकार पूजन करने से हनुमानजी अति प्रसन्न होते हैं तथा साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

क्षमा याचना -

श्री हनुमानजी पूजन के पश्चात अज्ञानतावश पूजन में कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए भगवान् श्री हनुमानजी के सामने हाथ जोड़कर निम्नलिखित मंत्र का जप क्षमा याचना करे।

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं l यत पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्त्वैमेव ल

आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनं l पूजा चैव न जानामि, क्षमस्व परमेश्वरं l

श्री हनुमान मंत्र शक्ती

दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना। भगवान हनुमान को रुद्र के ग्यारहवा अवतार माना गया हैं। यही वजह है कि अनोखी शिव लीलाओं की तरह ही हनुमानजी से जुड़े सारे पौराणिक प्रसंग उनकी शक्तियो को उजागर करते हैं।

एक बार हुनमान जी को भी श्री राम ने पंक्ति में बैठने का आदेश दिया। हनुमान जी बैठ तो गए पंरतु आदत ऐसी थी की राम के खाने के उपरांत ही सभी लोग भोजन खाते थे। आज श्री राम के आदेश से पहले खाना पड़ रहा था।माता जानकी भोजन का ढेर परोसती जा रही थी पर हनुमान का पेट ही नहीं भर रहा था। सीता जी कुछ समय तक तो उन्हें भोजन परोसती रही फिर समझ गई इस तरह से तो हनुमान जी का पेट नहीं भरेगा। उन्होंने तुलसी के एक पत्ते पर राम नाम लिखा और भोजन के साथ हनुमान जी को परोस दिया। तुलसी पत्र खाते ही हनुमान जी को संतुष्टी मिली और वह भोजन खा कर उठ खड़े हुए। भगवान शिव शंकर ने प्रसन्न होकर हनुमान को आशीर्वाद दिया कि आप की राम भक्ति युगों तक याद की जाएगी और आप संकट मोचन कहलाएंगे।

श्री हनुमान् वडवानल अचूक और रामबाण प्रयोग:

यह वडवानल स्तोत्र सभी रोगों के निवारण में, शत्रुनाश, दूसरों के द्वारा किये गये पीड़ा कारक कृत्या अभिचार के निवारण, राज-बंधन विमोचन आदि कई प्रयोगों में काम आता है ।

विधिः सरसों के तेल का दीपक जलाकर १०८ पाठ नित्य ४१ दिन तक करने पर सभी बाधाओं का शमन होकर अभीष्ट कार्य की सिद्धि होती है।

विनियोगः ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं, मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे सकल- राज- कुल- संमोहनार्थे, मम समस्त- रोग- प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त- पाप-क्षयार्थं श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ।

ध्यानः मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं । वातात्मजं वानर यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते

श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम सकल- दिङ्मण्डल-यशोवितान- धवलीकृत- जगत-त्रितय वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार- ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्व- पाप-ग्रह- वारण- सर्व- ज्वरोच्चाटन डाकिनी- शाकिनी- विध्वंसन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर,

त्र्याहिक-ज्वर चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर, माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा । ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय नागपाशानन्त- वासुकि- तक्षक कर्कोटकालियान् यक्ष-कुल-जगत रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-

हनुमते राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्वशत्रून्नासय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ।

।। इति विभीषणकृतं हनुमद् वडवानल स्तोत्रं ।।

विशेष हनुमत् ‘साबर’ मन्त्र प्रयोग

ये सभी मंत्र आजकल के किताबों मे मिल जायेगे । परंतु मंत्रो को कैसे प्रयोग मे लाकर कामना सिद्धी करनी है ये किसी भी किताब मे नही दिया हुआ है और इसमे मै आपकी पूर्ण मदत करती हू

1) मन्त्र: “ॐ ह्रीं यं ह्रीं राम-दूताय,रिपु-पुरी-दाहनाय अक्ष-कुक्षि-विदारणाय,अपरिमित-बल-पराक्रमाय, रावण-गिरि-वज्रायुधाय

ह्रीं स्वाहा ।।”

विधिः ‘आञ्जनेय’ नामक उक्त मन्त्र का प्रयोग गुरुवार के दिन प्रारम्भ करना चाहिए। श्री हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख बैठकर दस सहस्त्र जप करे। इस प्रयोग से सभी कामनाएँ पूर्ण होती है। मनोनुकूल विवाह-सम्बन्ध होता है। अभिमन्त्रित काजल रविवार के दिन लगाना चाहिए। अभिमन्त्रित जल नित्य पीने से सभी रोगों से मुक्त होकर सौ वर्ष तक जीवित रहता है। इसी प्रकार आकर्षण, स्तम्भन, विद्वेषण, उच्चाटन, मारण आदि सभी प्रयोग उक्त मन्त्र से सभी प्रयोग उक्त मन्त्र से किए जा सकते हैं।

2) मन्त्र: “ॐ नमो भगवते हनुमते, जगत्प्राण-नन्दनाय,ज्वलित-पिंगल-लोचनाय, सर्वाकर्षण-कारणाय ! आकर्षय आकर्षय, आनय आनय, अमुकं दर्शय दर्शय, राम-दूताय आनय आनय, राम आज्ञापयति स्वाहा।”

विधिः उक्त ‘केरल′- मन्त्र का जप रविवार की रात्रि से प्रारम्भ करे। प्रतिदिन दो हजार जप करे। बारह दिनों तक जप करने पर मन्त्र सिद्धि होती है। उसके बाद पाँच बालकों की पूजा कर उन्हें भोजनादि से सन्तुष्ट करना चाहिए। ऐसा कर चुकने पर साधक को रात्रि में श्री हनुमान जी स्वप्न में दर्शन देंगे और अभीष्ट कामना को पूर्ण करेंगे। इस मन्त्र से ‘आकर्षण’ भी होता है।

3) मन्त्र: “ॐ यं ह्रीं वायु-पुत्राय ! एहि एहि, आगच्छ आगच्छ, आवेशय आवेशय, रामचन्द्र आज्ञापयति स्वाहा ।”

विधिः ‘कर्णाटक’ नामक उक्त मन्त्र को, पूर्ववत् पुरश्चरण कर, सिद्ध कर लेना चाहिए। फिर यथोक्त-विधि से ‘आकर्षण’

प्रयोग करे।

4) मन्त्र: ॐ नमो भगवते ! असहाय-सूर ! सूर्य-मण्डल-कवलीकृत ! काल-कालान्तक ! एहि एहि, आवेशय आवेशय, वीर-राघव आज्ञापयति स्वाहा।”

विधिः उक्त ‘आन्ध्र’ मन्त्र के पुरश्चरण की

भी वही विधि है। सिद्ध-मन्त्र द्वारासौ बार अभिमन्त्रित भस्म को शरीर में लगाने से सर्वत्र विजय मिलती है।

5) मन्त्र: “ॐ नमो भगवते अञ्जन-पुत्राय,उज्जयिनी-निवासिने, गुरुतर-पराक्रमाय,श्रीराम-दूताय लंकापुरी-दहनाय, यक्ष-राक्षस-संहार-कारिणे हुं फट्।”

विधिः उक्त ‘गुर्जर’ मन्त्र का दस हजार जप रात्रि में भगवती दुर्गा के मन्दिर में करना चाहिए। तदन्तर केवल एक हजार जप से कार्य-सिद्धि होगी। इस मन्त्र से अभिमन्त्रित तिल का लड्डू खाने से और भस्म द्वारा मार्जन करने से भविष्य-कथन करने की शक्ति मिलती है। तीन दिनों तक अभिमन्त्रित शर्करा को जल में पीने से श्रीहनुमानजी स्वप्न में आकर सभी बातें बताते हैं, इसमें सन्देह नहीं है. पहले आप स्वयम मंत्र का जाप करे उसके बाद मंत्र का इस्तेमाल कैसे करना है यह मै आपको समझा दूँगी। हो सके तो अपने गुरू से आग्या लेकर मंत्र जाप करे। ये पाचो मंत्र दिव्य है,इन्हे आजमाने हेतु जाप ना करे।

लेखिका-कंचन सिंह

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